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पर्यावरण संरक्षण को लगे पौधे 'अनाथ', नहीं हो रही सही से रखवाली

वन विभाग की विभिन्न योजनाओं के तहत लगाए गए थे लाखों पौधो। कर्मियों की कमी की वजह से नहीं हो पा रही सुरक्षा। सरकार पर्यावरण संरक्षण को चुनौती मान रही है।

By Ajit KumarEdited By: Published: Thu, 06 Jun 2019 10:36 AM (IST)Updated: Thu, 06 Jun 2019 10:36 AM (IST)
पर्यावरण संरक्षण को लगे पौधे 'अनाथ', नहीं हो रही सही से रखवाली
पर्यावरण संरक्षण को लगे पौधे 'अनाथ', नहीं हो रही सही से रखवाली

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। पर्यावरण संरक्षण आज बड़ी चुनौती है। शहरीकरण के इस दौड़ में पेड़-पौधों की अंधाधुंध कटाई हो रही है। सरकार पर्यावरण संरक्षण को चुनौती मान रही है। विभिन्न योजनाओं के तहत लाखों पौधे लगाए जा रहे हैं। करोड़ों रुपये भी खर्च हो रहे हैं। छात्र-छात्राओं में पौधरोपण को लेकर जागरुकता लाने के लिए छात्र पौधरोपण योजना भी शुरू की गई। इसके बावजूद पर्यावरण को बचाना एक गंभीर चुनौती बनी है। पेड़ों के उन्मूलन के कारण यह दिन-ब-दिन प्रदूषित होता जा रहा।

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  वन विभाग हरियाली के लिए विभिन्न योजनाओं के तहत लाखों पौधे लगाने का दावा कर रहा है। बावजूद इसके शहर में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। बड़ा सवाल यह है कि वे पौधे कहां गए? क्या इनकी सुरक्षा हो पा रही? कौन कर रहा है उसकी सुरक्षा? कैसे की जा रही सुरक्षा? इसके लिए क्या हैं संसाधन? जब इन सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश की गई तो पता चलेगा कि विभिन्न कारणों से पेड़ों को काटा जा रहा है। पौधे लगाए तो जा रहे मगर उसका संरक्षण नहीं हो पा रहा। इसके लिए संसाधन की कमी व इच्छा शक्ति का अभाव भी है।

एक वनपाल, दो वनरक्षी के सहारे जिले के पौधों की सुरक्षा

पेड़ों की सुरक्षा की जिम्मेदारी जिन पर है जिले में उसकी स्थिति चिंताजनक है। एक वनपाल एवं दो वनरक्षी के भरोसे जिले के पौधों की सुरक्षा है। इससे सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल है। पिछले कई वर्षों से पद रिक्त है। बताया जाता है कि मुजफ्फरपुर वन प्रमंडल में वनपाल के 13 पद सृजित हैं। इस पर मात्र एक ही कार्यरत हैं। वहीं वनरक्षी के 47 पदों के बदले दो कार्यरत हैं। हालांकि विभाग का कहना है कि सुरक्षा को लेकर वैकल्पिक उपाय किए गए हैं।

पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलवा रहे असामाजिक तत्व

मुजफ्फरपुर में पेड़ों की कटाई धड़ल्ले से हो रही है। सरकारी जमीन पर लगे पेड़ों को काटा जा रहा है। जिले में इन असामाजिक तत्वों का जाल बिछा है। जो सरकारी जमीन पर लगे हरे पेड़ों की कटाई कर रहे हैं। पर्यावरण को बर्बाद कर रहे हैं। उन्हें किसी का डर नहीं। वन विभाग का इन पर लगाम नहीं है। विभाग संसाधनों की कमी का रोना रो रहा है।

शीशम को निगल रहा सिस्टम, स्थिति और होगी विकराल

लकड़ी माफिया ने शीशम के पेड़ों को सर्वाधिक निशाना बनाया। इसकी लकड़ी की मांग अधिक होने की वजह से इसे सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया गया। सड़क, नहर आदि जगहों पर लगे हजारों शीशम के पेड़ को मौत दे दी। इसके साथ ही हाल के वर्षों में शीशम मे लगे कीड़े ने इस प्रजाति को विलुप्त होने के कगार पर पहुंचा दिया है। वन विभाग द्वारा पौधरोपण में शीशम को तवज्जो नहीं दिया जा रहा है। किसान भी कम समय में अधिक आर्थिक लाभ की सोच में इससे किनारा करने लगे हैं।

सूख गए ग्रेबियन में भी लगे पौधे

शहर में विभिन्न योजनाओं के तहत हजारों पौधे लगाए गए। मवेशियों से बचाने के लिए गे्रबियन लगाए गए। इसके बाद भी अधिकतर पौधे सूख गए। देखभाल के अभाव में अधिकतर ने दम तोड़ दी। कच्ची-पक्की- केरमा पथ, अघोरिया बाजार समेत कई जगहों पर लगाए गए पौधे सूख चुके हैं।

लगाए गए एक लाख 23 हजार से अधिक पौधे

वन विभाग ने वित्तीय वर्ष 2018-19 में विभिन्न योजनाओं में करीब एक लाख 23 हजार 180 पौधे लगाए। पौधरोपण पर लाखों रुपये खर्च हुए। इसके बाद भी विभाग यह बताने में सक्षम नहीं कि इनमें कितने पौधे बचे हुए हैं।

इन योजनाओं में लगे पौधे

- पथतट वर्षाकालीन : 16 हजार

- पथतट वसंतकालीन : 30 हजार

- पथतट पोपुलर कृषि वानिकी वसंतकालीन : 21 हजार

- पथतट वसंतकालीन : 14 हजार

- पथतट वसंतकालीन : 17 सौ

- पथतट वर्षाकालीन : 24 हजार

- हर परिसर-हरा परिसर : दो हजार 110

- कैम्पा फंड पौधरोपण : 10 हजार 370

नमामी गंगा योजना के तहत लगे पौधों का बुरा हाल

नमामी गंगा योजना के तहत जिले में करीब चार हजार पौधे लगाए गए थे। प्रधानमंत्री की इस महत्वाकांक्षी योजना ने सुरक्षा एवं संरक्षा के अभाव में दम तोड़ दिया। योजना के तहत गंडक नदी के किनारे 10 किमी के रेंज में ये पौधे लगाए गए थे। इनमें अधिकतर रख-रखाव के अभाव में सूख चुके हैं। वन विभाग का दावा है कि इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी किसानों की थी। योजना के तहत लगे पौधों में कितने लहलहा रहे और कितने सूख गए, इसका जवाब देने में वन विभाग कन्नी काट रहा है।

पौधरोपण पर एक नजर

- 04 हजार पौधे गंडक नदी के किनारे 10 किमी के दायरे में लगाए गए थे

- 01 वनपाल के भरोसे है तिरहुत वन प्रमंडल के लाखों पेड़ों की सुरक्षा

- 122 किमी के दायरे में हरियाली लाने के लिए लगाए गए पौधे

- पेड़ों की सुरक्षा नहीं होने से बर्बाद हो रहे पौधरोपण पर खर्च हुए लाखों रुपये

- वित्तीय वर्ष 2018-19 में लगाए गए एक लाख 23 हजार 180 पौधे

करीब 80 फीसद पौधे सुरक्षित: डीएफओ

डीएफओ सुधीर कुमार कर्ण ने कहा कि विभाग द्वारा जितने भी पौधे लगाए गए हैं उनमें कम से कम 80 फीसद सुरक्षित हैं। ऐसा टास्क सभी वनकर्मियों को है। 80 फीसद से कम पौधों के जीवित रहने पर होने पर कर्मियों के वेतन से राशि काटने की चेतावनी दी गई है।

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