महेंद्र मधुकर के उपन्यास 'बरहम बाबा की गाछी' का लोकार्पण
कथाकार व कवि डॉ.महेंद्र मधुकर के आंचलिक उपन्यास बरहम बाबा की गाछी का लोकार्पण मंगलवार को पशुपति लेन मिठनपुरा के मंजुलप्रिया स्थित उनके आवास पर किया गया।
मुजफ्फरपुर। कथाकार व कवि डॉ.महेंद्र मधुकर के आंचलिक उपन्यास 'बरहम बाबा की गाछी' का लोकार्पण मंगलवार को पशुपति लेन, मिठनपुरा के 'मंजुलप्रिया' स्थित उनके आवास पर किया गया। जिला हिदी साहित्य सम्मेलन की ओर से आयोजित समारोह में डॉ.शिवदास पांडेय ने इसका लोकार्पण किया। कहा कि आंचलिक उपन्यासों की परंपरा में यह एक ऐसी कृति है, जिसमें यथार्थ की सुगंध के साथ कल्पना का रसायन समाहित है। अंचल विशेष की कथा और भाषा पाठक को प्रभावित करने वाली है। यह अत्यंत ही पठनीय रचना है, जिसे शुरू करने के बाद समाप्त करने की इच्छा बलवती हो उठती है। आलोचक डॉ.रेवती रमण ने इसे जीवन यथार्थ की समग्रता का उपन्यास बताया। मुख्य अतिथि डॉ.सतीश राय अनजान ने कहा कि यह उपन्यास गांव के बहाने पूरे हिदुस्तान का प्रतिनिधित्व करता है। डॉ.संजय पंकज ने कहा कि इस उपन्यास में कथ्य चयन और विषय निरुपण, गंभीरता में सरलता की पहचान कराता है। आभार व्यक्त करते हुए डॉ.महेंद्र मधुकर ने कहा कि उनका बचपन गांव में बीता, वही बीज आज वृक्ष बनकर इस उपन्यास में आया है। आगे भी रचनात्मक यात्रा जारी रहेगी। इसमें आप सभी का सहयोग पहले की तरह अपेक्षित है। मौके पर डॉ.पूनम सिंह, चंद्रमोहन प्रधान, डॉ.विजय शंकर मिश्र, डॉ.रमेश ऋतंभर आदि ने भी विचार रखे। अंत में कवि सम्मेलन के दौरान नागेंद्र नाथ ओझा, रणवीर अभिमन्यु, डॉ.शारदाचरण, विमल कुमार लाभ, गणेश प्रसाद सिंह, चितरंजन सिन्हा कनक, राम उचित पासवान, डॉ.एस.हमीदी, अविनाश कुमार, डॉ.वंदना विजयालक्ष्मी आदि ने अपनी रचनाएं सुनाई। श्रोताओं ने रचनाओं की जमकर सराहना की। संचालन डॉ.विजय शंकर मिश्र ने किया। जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ.सुनीति मिश्र ने किया।