माघी नवरात्र शुरू, मैया का आगमन डोला पर, जानिए क्या होगा इसका प्रभाव
माघी नवरात्र की शुरूआत हो चुकी है। इस बार मैया का आगमन डोला पर और प्रस्थापन भैंसा पर है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इसका फलाफल नकारात्मक हो सकता है। देश में प्राकृतिक आपदा के संयोग बन सकते हैं। माघी नवरात्र को शक्ति की गुप्त आराधना के लिए जाना जाता है।
मधुबनी, जासं। माघी नवरात्र की शुरूआत हो गई है। चैत्र, आषाढ़ व शारदीय नवरात्र के अलावा माघ महीना में होने वाले नवरात्र का विशेष महत्व होता है। यह नवरात्र तांत्रिक पद्धति से गुप्त साधना के लिए जाना जाता है। शुक्रवार को कलशस्थापना के साथ ही मां दुर्गा की पूजा-अर्चना में भक्त लीन हो चुके हैं। माघी नवरात्र में सार्वजनिक तौर पर माता की प्रतिमा स्थापित कर पूजन की परंपरा नहीं रही है, लेकिन मधुबनी जिले के लिए जगतपुर स्थित दुर्गा मंदिर में चहल-पहल बढी हुई है। यहां हर वर्ष माघी नवरात्र में माता की विशेष आराधना होती है। मधुबनी शहर से सटे जगतपुर गांव स्थित माता दुर्गा मंदिर की आकर्षक सजावट की गई है। मंदिर में कोरोना गाइडलाइंस के पालन को तरजीह दी जा रही है।
कलश स्थापना के साथ शुरू हुई आराधना
माघी नवरात्र में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। तांत्रिक पद्धति के अनुरुप माघ महीना में होने वाले नवरात्र के लिए 12 फरवरी शुक्रवार को सुबह नौ बजे से पूर्व और दोपहर 12 बजे के बाद कलश स्थापन अनुष्ठान संपन्न होगा। दस दिवसीय माघी दुर्गा पूजा का विसर्जन 22 फरवरी को होगा। माघी नवरात्र पर सार्वजनिक तौर पर प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना की जगह मां दुर्गा की गुप्त साधना की परंपरा रही है। साधक माता दुर्गा की पूजा-अर्चना घरों में करते हैं। दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं।
माता दुर्गा का डोला पर आगमन, भैंसा पर विदाई
इस बार महिषासुर मर्दिनी माता दुर्गा का आगमन डोला पर और विदाई भैंसा पर होगी। जिससे देश में प्राकृतिक आपदा जैसी घटना की आशंका को नकारा नहीं जा सकता है। लोगों में भय का माहौल बन सकता है। अनचाहे बड़ी घटना से शोक का माहौल बन सकता है। माता दुर्गा के आगमन एवं विदाई के फलाफल की चर्चा करते हुए ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषिनाथ झा ने बताया कि माघ महीना के शुक्ल पक्ष में नवरात्र काफी उत्तम माना गया है। माघी नवरात्र के दौरान साधक तंत्र विद्या की सिद्धी प्राप्त करते हैं। माघी नवरात्र तांत्रिकों और साधकों के लिए शुभ माना गया है। साधक उपवास रखकर माता दुर्गा की भक्ति करते हैं। साधकों की शक्ति, समृद्धि, ज्ञान जैसी कामनाएं पूर्ण होती हैं।
अष्टमी-नवमी को कन्या पूजन के साथ उद्यापन
मंगरौनी स्थित माता भुवनेश्वरी मंदिर के पुजारी पीतांबर झा कहते हैं कि माघी नवरात्र के दौरान मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। उपवास का संकल्प लेते हुए कलश स्थापन के दिन से मां दुर्गा की साधना करनी चाहिए। अष्टमी, नवमी को कन्या पूजन के साथ व्रत का उद्यापन करना चाहिए।