मधुबनी : गोबर व कचरे के बदले ग्रामीणों को मिलेगी रसोई गैस
मधुबनी के कृषि विज्ञान केंद्र सुखेत ने मछधी गांव में शुरू की यह योजना। गांव के 50 परिवारों को जोड़ा गया गैस सिलेंडर भराने के लिए करेगा भुगतान। डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा कचरे से जैविक खाद बनाने का पायलट प्रोजेक्ट चला रहा है।
मधुबनी, शैलेंद्रनाथ झा। घर से निकले कचरे और गोबर के बदले अब रसोई गैस मिलेगी। इस तरह की योजना शुरू की है कृषि विज्ञान केंद्र, सुखेत ने। वह इससे जैविक खाद बनाकर जुड़े परिवारों को गैस सिलेंडर भराने के लिए भुगतान करेगा। योजना पर काम शुरू हो चुका है। इसके लिए नौ कट्ठा जमीन पांच साल के लिए लीज पर ली गई है।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा कचरे से जैविक खाद बनाने का पायलट प्रोजेक्ट चला रहा है। इसी के तहत उसके निर्देशन में चार फरवरी को इस योजना का शुभारंभ कृषि विज्ञान केंद्र, सुखेत ने मछधी गांव में किया। इससे गांव के 50 परिवारों को जोड़ा गया है। योजना के अनुसार इन परिवारों को गीला और सूखा कचरा अलग-अलग रखने के लिए हरे और नारंगी रंग की डस्टबिन दी जा रही है। इसके अलावा उन्हें मवेशी का गोबर भी देना होगा। केंद्र के कर्मी प्रतिदिन घर-घर जाकर इसका उठाव करेंगे। इसे गांव में ही लीज पर ली गई जमीन पर एकत्र किया जाएगा। इससे कचरे और गोबर को मिलाकर जैविक खाद बनाई जाएगी। इसकी बिक्री छह रुपये प्रतिकिलो की जाएगी।
कृषि विज्ञान केंद्र, सुखेत के वरीय वैज्ञानिक सुधीर कुमार दास कहते हैं कि एक किसान को प्रतिदिन दो मवेशी का गोबर व घर से निकला कचरा देना होगा। इसके बदले महीने में एक गैस सिलेंडर भराने की रकम का भुगतान किया जाएगा। अधिक मवेशियों का गोबर देने वाले किसान चाहेंगे तो नकद भुगतान भी किया जाएगा। किसान इसके बदले खाद भी ले सकते हैं। महीने में तकरीबन 350 क्विंटल खाद उत्पादन का लक्ष्य है। वह कहते हैं कि सबसे बड़ी बात यह है कि इससे जुड़े 35 परिवार उज्ज्वला योजना का लाभ लेने वाले किसान हैं। उन्हें सिलेंडर भराने में रकम की दिक्कत नहीं होगी। इसके लिए गैस एजेंसी से भी बात की जा रही है। इस प्रोजेक्ट की सफलता के बाद इसका विस्तार सुखेत पंचायत के सुखेत, गोधनपुर, विशौल व बलियारी गांवों में भी किया जाएगा। इससे करीब 1100 परिवार लाभान्वित होंगे। इस योजना से जुड़े किसान सुनील कुमार, प्रवीण मंडल, संतोष मंडल, गंगा प्रसाद ठाकुर, राजेंद्र यादव, वैद्यनाथ ठाकुर व रासबिहारी यादव कहते हैं कि यह योजना कचरा प्रबंधन की दिशा में वरदान साबित होगी। उन्हें गैस भराने के लिए रकम की भी दिक्कत नहीं होगी।