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मधुबनी: संघर्ष कर लिखी सफलता की इबारत, अब दूसरों को बना रहीं आत्मनिर्भर

डेढ़ सौ लड़कियों को बनाया आत्मनिर्भर मिथिला पेंटिंग को नया आयाम दे रहीं भारती। कोरोना काल में भी इन लड़कियों की आमदनी जारी रही। ये लड़कियां काफी खुश हैं और शुक्रगुजार हैं अपनी गुरु भारती झा की ।

By Ajit KumarEdited By: Published: Tue, 30 Mar 2021 09:21 AM (IST)Updated: Tue, 30 Mar 2021 09:21 AM (IST)
मधुबनी: संघर्ष कर लिखी सफलता की इबारत, अब दूसरों को बना रहीं आत्मनिर्भर
भारती आज समाज में महिलाओं के लिए नई प्रेरणा बन चुकी हैं।

मधुबनी, जासं। ग्रामीण परिवेश की करीब डेढ़ सौ लड़कियां आज आर्थिक रुप से सबल हैं। वे आत्मनिर्भर बन चुकी हैं। ये लड़कियां प्रतिदिन दो से तीन सौ तक की कमाई आसानी से घर बैठे कर रही हैं। कोरोना काल में भी इन लड़कियों की आमदनी जारी रही। ये लड़कियां काफी खुश हैं और शुक्रगुजार हैं अपनी गुरु भारती झा की। इनके प्रशिक्षण के बदौलत ही आज इन लड़कियों की स्थिति बदली हैं। भारती आज समाज में महिलाओं के लिए नई प्रेरणा बन चुकी हैं। उनके जीवन के संघर्ष व उपलब्धियों से आज कई लड़कियां सीख ले आगे बढ़ने में जुटी हैं।

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परिस्थितियों का डट कर मुकाबला किया

मूल रूप से मधुबनी जिला के बेनीपट्टी प्रखंड स्थित डुमरा गांव की करीब 45 वर्षीय भारती का जीवन आसान नहीं रहा। पंद्रह साल पहले उनके पति का निधन हो गया। अचानक से परिवार व दो बच्चों की जिम्मेवारी भारती के कंधों पर आ गई। लेकिन, भारती ने हार नहीं मानी और परिस्थितियों का डट कर मुकाबला किया। इसके लिए उन्होंने अपनी कला को ही अपना हथियार बनाया और आगे बढ़ती गई। मिथिला पेंटिंग के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए जिला प्रशासन भी उन्हें सम्मानित कर चुका है। इसके बाद समाज में भारती की पहचान बदलने लगी। मिथिला पेंटिंग की बदौलत भारती ने अपने बेटे को इंजीनियर बनाया। बिटिया भी बीएससी कर प्रतियोगिताओं की तैयारी में जुटी है। भारती ने मिथिला पेंटिंग की बदौलत ना केवल अपना वर्तमान व भविष्य बदला, बल्कि समाज की लड़कियों को भी आत्मनिर्भरता की राह पर आगे बढ़ाती गई। आज वे डुमरा गांव व मधुबनी शहर में लड़कियों को मिथिला पेंटिंग की कला सीखा रही हैं। कहती हैं कि मिथिला पेंटिंग ने जीवन के हर मोड़ पर उनका साथ दिया है। महिलाओं के लिए यह कला आत्मनिर्भरता की सीढ़ी है। अब तो जीवन का लक्ष्य बस यही है कि अधिक से अधिक महिलाओं को इस कला का हुनर देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनने में सहायक बनूं। 


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