सिक्की कला के मधुबनी सीएफसी में पहुंचे कई उपकरण, कलाकारों में खुशी
अब रैयाम में होगा सिक्की की चटाई-पर्दा टेबल क्लॉथ समेत कई कलाकृतियों का उत्पादन। उपकरणों की मदद से उत्पादों की बढ़ेगी गुणवत्ता डिमांड के अनुरूप कलाकृति तैयार करने में मिलेगी मदद। इसके उत्पादन के लिए झंझारपुर में सीएफसी बनाए गए हैं।
मधुबनी,जासं। अब मधुबनी की परंपरागत सिक्की की चटाई, पर्दा, टेबल क्लॉथ सहित अन्य कलाकृतियां कलाकारों को आत्मनिर्भर बनाएगी। इसके उत्पादन के लिए झंझारपुर प्रखंड के रैयाम स्थित कॉमन फैसिलिटी सेंटर (सीएफसी) में करीब 50 लाख से अधिक मूल्य के उपकरण लगाए गए हैं। जिसमें हैंड लूम, हीट प्रेस मशीन, ग्लोगन, ऑटोमेटिक सिलाई मशीन, हांट एयरगन, कटिंग टेबल, ब्लो लैंप, गैस चूल्हा सहित अन्य उपकरण शामिल हैं। इन उपकरणों से कलाकारों को अपनी कलाकृतियों को उत्कृष्ट बनाने में मदद मिलेगी। इन उपकरणों का हस्तशिल्प के सहायक निदेशक विभूति कुमार झा ने निरीक्षण भी किया है। निरीक्षण के क्रम में उपकरणों की कीमत को लेकर सवाल सवाल उठते रहे। निरीक्षण के बाद सहायक निदेशक ने बताया कि सिक्की कलाकारों के लिए यह उपकरण काफी मददगार साबित होंगे। इससे बेहतर और बाजार की डिमांड के अनुरूप कलाकृति तैयार करने में सहयोग मिलेगा। उपकरणों से कलाकृतियों की क्वालिटी में निखार आएगा। व्यापक स्तर पर उत्पादन बढ़ेगा। जिससे कलाकारों की आमदनी में इजाफा होगा।
रैयाम में एक करोड़ की लागत से बना सीएफसी
एक सवाल के जवाब में सहायक निदेशक ने बताया कि उपकरणों की क्वालिटी और उसकी कीमत के संदर्भ में विभागीय स्तर पर जांच की जाएगी। मौके पर सिक्की कला के कई कलाकारों ने बताया कि सेंटर पर सिक्की कला से जुड़े अनेकों उपकरण लगाए गए हैं, जबकि कुछ और उपकरण की जरूरत है। मौके पर हस्तशिल्प संवर्धन अधिकारी अमित कुमार, सिक्की कलाकार नेशनल अवार्डी सुधीरा देवी, मुन्नी देवी, राधा कुमारी देवी, क्लस्टर इंचार्ज भास्कर पराशर, विवेक कुमार सहित कई स्थानीय कलाकार व कर्मी मौजूद थे। बता दें कि उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान, पटना द्वारा रैयाम में करीब एक करोड़ की लागत से कॉन फैसिलिटी सेंटर का निर्माण कराया गया है। सेंटर के लिए भवन का निर्माण करीब साढे 32 लाख से किया गया है।
सिक्की कला के जरिए आत्मनिर्भर हो रही महिलाएं
रैयाम में सिक्की कला के विकास के लिए अत्याधुनिक उपकरणों से लैस कॉमन फैसिलिटी सेंटर का संचालन शुरु होने से परंपरागत सिक्की कला से रैयाम सहित आसपास के गांवों के 200 से अधिक महिलाओं को रोजगार हासिल होगा। वर्तमान में इस गांव की सिक्की कला में नेशनल अवार्ड हासिल कर चुकी सुधीरा देवी सहित 50 से अधिक कलाकार ऑनलाइन कारोबार कर अर्थोपार्जन कर रही हैं। यहां सिक्की कलाकारों की उत्पादित कलाकृतियों की दुनियाभर में मांग बढ़ी है।
महिलाओं को मिल रहा प्रशिक्षण
सिक्की कला के लिए उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान, पटना द्वारा महिलाओं को प्रशिक्षित किया जाता रहा है। प्रशिक्षण के दौरान महिलाओं को प्रतिदिन 300 रुपये मानदेय भी दिया जाता है। प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली कलाकारों में अरुणा देवी, रानी देवी, सरोवर देवी, सुनीता देवी, सुशीला देवी, दुर्गा देवी, अवंतिका देवी, भारती रानी, रीता देवी, काजल कुमारी, गुंजा कुमारी, रूपा कुमारी सहित अन्य ने बताया कि सिक्की कला के जरिए प्रतिमाह माह 15 से 20 हजार रुपये की आमदनी कर लेती है। प्रशिक्षण से सिक्की कला में नए-नए डिजाइन में कलाकृतियां तैयार करने का लाभ मिल रहा है।