मधुबनी न्यूज: नारी सशक्तिकरण की मिसाल बनी सुमित्रा, सीएम से कहा-आब कोनो तकलीफ नय छय
Madhubani News जीविका से मिला सहारा तो आत्मनिर्भरता की राह पर बढ़ चली सुमित्रा पंडौल के सरिसबपाही की बेसहारा महिला समाज में बनी नारी सशक्तिकरण की मिसाल मुख्यमंत्री के सामने अपने अनुभवों को साझा कर बताई अपने संघर्ष की कहानी।
मधुबनी, {राजीव रंजन झा}। पति की मौत के बाद कोई सहारा नहीं था। मिट्टी का पुराना घर भी बारिश में धराशाई हो गया। पति का सहारा भी गया और सिर से छत भी चली गई। परिवार में कोई बुजुर्ग नहीं, ना कोई बच्चे। एक अकेली बेसहारा महिला के लिए जीवन की डगर कितनी मुश्किल हो सकती है, सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। ऐसे हालात में भी जिले के पंडौल प्रखंड के सरिसव पाही पश्चिमी पंचायत के सरिसव पाही गांव की महिला सुमित्रा ने हिम्मत नहीं हारी।
जीवन की गाड़ी खिंचनी थी। पेट भरने के लिए सुमित्रा के पास कोई चारा ना बचा तो दूसरे के घरों व खेतों में काम करने लगी। किसी तरह जिंदगी तकलीफों के साथ गुजर रही थी। अचानक एक दिन सुमित्रा की मुलाकात पंचायत स्तर पर काम कर रही जीविका के मास्टर रिसोर्स पर्सन रेणु देवी से हुई। रेणु ने सुमित्रा की हालत देखी तो उसे जीविका के सतत जीविकोपार्जन योजना के बारे में बताया। सुमित्रा को मानो उम्मीद की एक किरण नजर आ गई। वह इस योजना से जुड़ गई।
योजना के तहत सुमित्रा को करीब 37 हजार की आर्थिक मदद मिली। इसमें से 20 हजार रुपये का सामान खरीदा और गांव में ही एक छोटी सी दुकान खोल ली। दुकान से सुमित्रा के जीवन की गाड़ी चल निकली। आज सुमित्रा आत्मनिर्भर है। सुकून से अपनी जिंदगी जी रही है। औसतन तीन से साढ़े तीन हजार की प्रतिमाह आमदनी से अपना भरण-पोषण खुद कर रही है। सरकारी योजना से इंदिरा आवास मिला तो छत की कमी भी दूर हो गई। आज सुमित्रा खुश है और सरकार के प्रति इन योजनाओं के लिए आभार जता रही है।
चार साल पहले पति की मौत से हो उजड़ी दुनिया
सुमित्रा के पति जिले के एक स्कूल में चालक की नौकरी करते थे। उनकी कमाई से उसका गुजारा किसी तरह हो रहा था। अचानक चार साल पहले पति उसे दुनिया में अकेला छोड़ कर चले गए। सुमित्रा की पूरी दुनिया ही उजड़ गई। सुमित्रा बताती है कि अब उसकी दुकान ही उसका सहारा है। सितंबर में 3812 रुपये, अक्टूबर में 1348 रुपये और नवंबर में 5842 रुपये की आमदनी हुई। हर माह औसतन तीन से साढ़े तीन हजार रुपये वह कमा लेती है जिससे जीवन की गाड़ी आराम से चल रही है।
सीएम से साझा की अपने संघर्ष की कहानी
सीएम के समाज सुधार अभियान के क्रम में गुरुवार को समस्तीपुर में आयोजित कार्यक्रम में सुमित्रा ने आत्मविश्वास से लबरेज होकर सीएम नीतीश कुमार को अपनी कहानी बताई। बताया कि कैसे चार साल पहले पति की मौत के बाद जीविका का सहारा मिला और अब किस तरह वह जीविका के सहयोग से अपने पैरों पर खड़ी है। सुमित्रा ने कहा कि जीविका से कर्ज मिलल त दुकान चलाबय लगली। आब दुकान चलय लागल। इंदिरा आवास स मकान बनेलउ। दुकान केला स हमरा बड़ लाभ भेटल। आब कोनो चीज के तकलीफ नय छय।