मधुश्रावणी 10 जुलाई से, चौदह दिनों तक नवविवाहिताएं करेंगी गौरी- विषहरा की पूजा
Madhusravani 2020 मधुश्रावणी नवविवाहिताओं का है लोकपर्व। महिला पंडित कराएंगी पूजा करेंगी कथावाचन। 14 दिनों तक इस पर्व को मनाएंगी नवविवाहिताएं।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। 'पग-पग पोखर, माछ-मखानÓ के लिए प्रसिद्ध मिथिला की प्राचीन जीवन पद्धति पूर्ण वैज्ञानिक है। सभी पर्व-त्योहारों का खासा वैज्ञानिक सरोकार है। प्रत्येक उत्सव में कुछ संदेश। नवविवाहितों का लोक पर्व मधुश्रावणी शुक्रवार 10 जुलाई से शुरू हो रहा है। जिनकी शादी इस वर्ष हुई है, वे इस बार पर्व को 14 दिनों तक मनाएंगी। इस दौरान गौरी-विषहरा की विधिवत पूजा होगी।
श्रावण कृष्ण पक्ष की पंचमी से शुरू होने वाला मधुश्रावणी मिथिलांचल का एकमात्र ऐसा लोकपर्व है जिसमें पुरोहित महिला ही होती हैं। इसमें व्रतियों को महिला पंडित न सिर्फ पूजा कराती हैं बल्कि कथावाचन भी करती हैं। व्रतियां पंडितजी को पूजा के दक्षिणा भी देती हैं। यह राशि नवविवाहिता की ससुराल से आती है। दिन में फलाहार के बाद रात में ससुराल से आए अन्न से तैयार अरबा भोजन ग्रहण करेंगी। इन दिनों मिथिलांचल का हर कोना शिव नचारी व विद्यापति के गीतों से गुंजायमान रहता है।
पर्व में पति-पत्नी साथ में नाग-नागिन, शिव-गौरी आदि की पूजा-अर्चना करते हैं। पति कितना भी व्यस्त क्यों न हो वह छुट्टी में ससुराल आने का प्रयास अवश्य करता है। इस बीच हंसी-ठिठोली का भी दौर जमकर चलता है। कहा जाता है कि इस पर्व में जो पत्नी अपने पति के साथ गौरी-विषहरा की अराधना करती है, उसका सुहाग दीर्घायु होता है। व्रत के दौरान कथा के माध्यम से उन्हें सफल दांपत्य जीवन की शिक्षा भी दी जाती है।