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Lockdown AGAIN! मन में लॉकडाउन का भय, बंद हुआ रोजी-रोजगार तो लौट आए मुजफ्फरपुर

लॉकडाउन के खौफ से महाराष्ट्र से लौट रहे अधिकतर लोग। वहां संक्रमण की जांच और बचाव की व्यवस्था का बुरा हाल। बीते एक सप्ताह में संक्रमण बढऩे से इलाके को रेड जोन घोषित कर दिया गया था। घर से निकलना भी मुश्किल हो गया था।

By Ajit KumarEdited By: Published: Tue, 13 Apr 2021 10:44 AM (IST)Updated: Tue, 13 Apr 2021 10:44 AM (IST)
Lockdown AGAIN! मन में लॉकडाउन का भय, बंद हुआ रोजी-रोजगार तो लौट आए मुजफ्फरपुर
कारोबार बंद होने के बाद आमदनी तो बंद हुई ही, लॉकडाउन का खौफ भी सताने लगा। फोटो: जागरण

मुजफ्फरपुर, [अंकित कुमार]। एक तो रोजगार बंद, ऊपर से भूखे मरने की नौबत। बढ़ते संक्रमण से लॉकडाउन लगने का खौफ भी था। यह भी डर था कि अगर पिछले साल की तरह अचानक सबकुछ बंद कर दिया गया तो कैसे लौटेंगे? यही सोचकर मुंबई से लौट आए। रात 8:52 बजे बांद्रा से स्थानीय जंक्शन पर पहुंची ट्रेन से उतरे अधिकतर यात्रियों का यही कहना था। तकरीबन 500 यात्री इस ट्रेन से उतरे तो शारीरिक दूरी की धज्जियां उडऩे लगीं। दर्जनों यात्री तो बिना मास्क के ही थे। शिवहर जिले के लालबाबू ठाकुर और रंजीत ठाकुर कल्याण में सैलून चलाते हैं। कहतेे हैं कि बीते एक सप्ताह में संक्रमण बढऩे से इलाके को रेड जोन घोषित कर दिया गया था। घर से निकलना भी मुश्किल हो गया था। कारोबार बंद होने के बाद आमदनी तो बंद हुई ही, लॉकडाउन का खौफ भी सताने लगा। तत्काल में टिकट लेकर लौट आए।

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स्थिति ठीक होने पर जाएंगे 

धारावी से लौटे कटरा के अरमान और मो.जमालुद्दीन ने बताया कि वहां इलेक्ट्रिशियन का कार्य करते थे। 10 दिनों से कार्य बंद हो जाने के कारण बैठकर बचत के पैसे से ही गुजारा कर रहे थे। ऐसे में घर जाना ही बेहतर समझा, क्योंकि अभी खेती का समय है यहां काम मिल जाएगा। मुंबई से पूर्व शाहपुर में रह रहे मोतीपुर के मनीष शर्मा और शुभम ने बताया कि वहां रहकर बीकॉम की पढ़ाई कर रहे थे। कॉलेज बंद हो गया और पापा का काम भी। ऐसे में घर आ गए। अब स्थिति ठीक हुई तभी वापस जाएंगे। मीनापुर के सियाराम महतो, पुपरी के मो.हैदरबेल्सर के मो.नौशाद और रेहान, सकरा के सुजीत ङ्क्षसह समेत कई अन्य लोग जो मुंबई के नाला सोपारा इलाके में रहते हैं। इन सभी ने बताया कि मोहल्ले में ही 25 से अधिक लोग संक्रमित हो गए। इस कारण दुकानें तक ठीक से नहीं खुल रहीं। अब खाना-पीना भी मुश्किल हो रहा था। इस कारण घर जाना ही बेहतर समझा। बताया कि यहां फल और जूस का कारोबार कर जीवनयापन करेंगे। सभी के चेहरे पर खौफ और डर स्पष्ट दिखाई दे रहा था।  


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