चाकू घोंप कर हत्या के दोषी को आजीवन कारावास
2010 विधानसभा चुनाव में अपने प्रत्याशी की जीत पर पटाखा फोडऩे पर हुआ था विवाद। सरैया थाना क्षेत्र के चकिया महम्मदपुर गांव में घटी थी घटना।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। विधानसभा चुनाव-2010 में उम्मीदवार की जीत पर पटाखा फोड़ रहे शिवदत्त महतो की चाकू घोंप कर हत्या के दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। सजा पाने वाला सरैया थाना के चकिया महम्मदपुर गांव के जियालाल महतो है। उसे दस हजार रुपये जुर्माना भी देना होगा। जुर्माने की राशि नहीं देने पर उसे एक साल अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी।
मामले के सत्र-विचारण के बाद अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश- प्रथम आरपी तिवारी ने उसे सजा सुनाई। इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक राजीव रंजन राजू ने कोर्ट के समक्ष साक्ष्य पेश किए। उन्होंने घटना के समर्थन में 10 गवाहों की कोर्ट में गवाही कराई। बचाव पक्ष की ओर से एक गवाह कोर्ट में पेश किया गया।
यह है मामला
घटना सरैया थाना के चकिया महम्मदपुर गांव में 24 नवंबर 2010 को घटी थी। गंभीर रूप से घायल शिवदत्त महतो के बयान पर थाना में केस दर्ज किया गया था। इसमें उसने कहा था कि विधानसभा चुनाव-2010 में उसके पसंदीदा उम्मीदवार अशोक सिंह की जीत हुई। इस जीत की खुशी में वह अपने दरवाजे पर पटाखा फोड़ रहा था।
इस पर गांव के रामसागर महतो, जियालाल महतो, जदु महतो, सरयुग महतो व सुनील महतो उसके दरवाजे पर आया। उसके पेट में चाकू घोंप व मारपीट कर गंभीर रूप से घायल कर दिया। उसे बैरिया स्थित एक निजी अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया। पुलिस ने मामले का अनुसंधान शुरू किया। इस बीच उसे पटना रेफर किया गया। जहां इलाज के क्रम में उसकी मौत हो गई। अनुसंधान के बाद पुलिस ने आरोपित रामसागर महतो, सियालाल महतो व सुनील महतो के खिलाफ पहला आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल किया। दूसरा आरोप पत्र जियालाल महतो के खिलाफ दाखिल किया।
सजा सुनाए जाने से पहले ही मुख्य आरोपित हुआ था फरार
शिवदत्त की पेट में चाकू घोंपने का मुख्य आरोपित सुनील महतो सजा सुनाए जाने से पहले फरार हो गया था। रामसागर महतो व सियालाल महतो के साथ एडीजे-प्रथम के कोर्ट में उसके खिलाफ सत्र- विचारण चल रहा था। 16 मार्च 2016 को दोनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
कोर्ट ने सुनील महतो का विचारण अलग कर दिया व उसके खिलाफ कुर्की वारंट जारी भी किया। तीन साल में पुलिस उसे गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश नहीं कर सकी। यही नहीं पुलिस दो अन्य आरोपितों के खिलाफ नौ साल में भी अनुसंधान पूरा नहीं कर सकी।