बालक को अगवा कर हत्या के दोषी को आजीवन कारावास, जानिए क्या है पूरा मामला... Muzaffarpur News
पंचायत चुनाव की रंजिश को लेकर घटी थी घटना। गला दबाने के बाद बेहोशी अवस्था में स्कूल के शौचालय में रख दिया था बालक को। साहेबगंज थाना क्षेत्र में मई 2016 में घटी थी घटना।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। साहेबगंज थाना क्षेत्र के पकड़ी बसारत गांव में आठ वर्षीय रूपेश कुमार का अगवा कर गला दबाकर हत्या के एक दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। सजा पाने वाले में उसी गांव का छबीला राय है। उसे 20 हजार रुपया जुर्माना देना होगा। मामले के सत्र-विचारण के बाद अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश-10 दीपक कुमार ने सजा सुनाई है। अभियोजन पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक मोतीलाल साह ने न्यायालय के समक्ष साक्ष्य पेश किया। इस दौरान दस गवाहों को पेश किया गया। घटना का कारण पंचायत चुनाव से उपजी रंजिश बताया गया है।
घर के निकट से रात में कर लिया गया अगवा
घटना आठ मई 2018 की है। पकड़ी बसारथ गांव के मोख्तार राय ने इस संबंध में साहेबगंज थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इसमें उसने कहा था कि आठ मई की रात लगभग 8.30 बजे उसका पोता रूपेश कुमार उसे खाना के लिए बुलाने दरवाजे पर आया। वे उस समय दरवाजे पर नहीं थे। इसी दौरान अज्ञात लोगों ने रूपेश का अपहरण कर लिया। जब उसकी मां खाना खिलाने के लिए खोज की तो उसका पता नहीं चला।
जानकारी मिलने के बाद परिवार व गांव के लोग उसे ढूढऩे लगे। इस दौरान घर से दक्षिण स्थित स्कूल परिसर के बाहर उसका चप्पल मिला। जब आगे खोज की तो स्कूल के शौचालय में वह बेहोशी की अवस्था में मिला। उसे साहेबगंज अस्पताल ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
पुलिस जांच में सामने आई छबीला व उसके भाई की संलिप्तता
पुलिस जांच में गांव के ही छबीला राय व उसके बड़े भाई सुदीष्ट राय की संलिप्तता सामने आई। पुलिस ने छबीला राय के खिलाफ 12 अगस्त 2016 को कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया। वहीं सुदीष्ट राय अब तक फरार है। बाद में उसे फरार दिखाते हुए पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल किया। उसका मामला अलग से चल रहा है।
परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर मिली सजा
अपर लोक अभियोजक मोतीलाल साह ने बताया कि इस घटना का कोई चश्मदीद गवाह नहीं था। परिस्थितिजन्य साक्ष्य काफी मजबूत तरीके से पेश किया गया। गवाहों ने इसकी पुष्टि की। इस आधार पर कोर्ट ने छबीला राय को दोषी पाते हुए भादवि की धारा- 302 (हत्या करने) के मामले में आजीवन कारावास व दस हजार रुपये जुर्माना व धारा-364 (हत्या करने के लिए अपहरण करने) के मामले में दस साल कारावास व दस हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई गई है। कारावास की दोनों सजा साथ-साथ चलेगी। जुर्माने की राशि नहीं देने पर तीन-तीन माह अतिरिक्त कठोर कारावास की सजा भुगतनी होगी।