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Happy Mother's Day 2021: बेटे को खिलौने नहीं सेवा की सीख से मालामाल कर रहीं समस्तीपुर की यह अनोखी मां

इस कोरोना काल में समस्तीपुर पीएचसी में तैनात स्टाफ नर्स सुरुचि को दो मोर्चे पर जूझना पड़ रहा है। एक ओर बतौर मां तो दूसरी ओर बतौर नर्स। उन्हें जहां अपने बच्चे को अभी सबसे अधिक सुरक्षा देनी है वहीं वायरस के खतरों के बीच मरीजों की सेवा करनी है।

By Murari KumarEdited By: Published: Sat, 08 May 2021 04:04 PM (IST)Updated: Sun, 09 May 2021 06:00 AM (IST)
Happy Mother's Day 2021: बेटे को खिलौने नहीं सेवा की सीख से मालामाल कर रहीं समस्तीपुर की यह अनोखी मां
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र समस्तीपुर में तैनात नर्स सुरुचि कुमारी।

समस्तीपुर [प्रकाश कुमार]। मम्मा आज ड्यूटी मत जाओ ना...आज मेरे साथ ही रुक जाओ...! रोज ड्यूटी के लिए निकलते वक्त मेरा बेटा कुछ ऐसा ही कह कर मुझे रोकने की कोशिश करता है। एक क्षण के लिए तो मुझे भी लगता है कि रुक जाउं... लेकिन समाज के प्रति जो दायित्व है वो मुझे फिर ड्यूटी पर खींच कर लाता है। यह कहानी समस्तीपुर पीएचसी में तैनात नर्स सुरुचि कुमारी की। वह अपने बेटे को ममता की छांव से दूर रखकर कोरोना काल में सेवा की सीख दे रहीं हैं।जो उसे एक बेटा की तुलना में एक बेहतर इंसान बनने में मदद करेगा।

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 कोरोना महामारी से जंग में स्वास्थ्य कर्मी योद्धा बने हुए हैं। सबसे बड़ी जिम्मेदारी उन स्टाफ नर्स पर है, जो दिन-रात मरीजों की सेवा में लगी हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र समस्तीपुर में तैनात नर्स सुरुचि कुमारी ऐसी ही जिम्मेदारी निभा रही हैं। इस समय कोरोना टीकाकरण में उनकी ड्यूटी लगी है। वह कहती हैं कि पूरा विश्व महामारी के दौर से गुजर रहा है। इसमें हम स्वास्थ्य कर्मियों पर अहम जिम्मेदारी है। हर रोज काम के बाद घर लौटने पर आत्मसंतुष्टि का अनुभव होता है। कोरोना के खिलाफ सुरक्षा तंत्र मजबूत करने पर मन में संतोष होता है। यहीं संतोष और अनुभव अगले दिन सेवा देने के लिए प्रेरित करते हैं। 

परेशानी के साथ आत्मसंतोष होकर लौटती हैं घर

कोरोना से बचाव को लेकर सुबह से शाम तक लोगों के बीच रहकर वैक्सीनेशन करते हुए ड्यूटी निभा रही है। वह कहती है कि आधुनिक नर्सिंग की जन्मदाता फ्लोरेंस नाइटिंगेल के बताए रास्ते पर चल रही हैं। परेशानी तो है की घर की जिम्मेवारी ड्यूटी के साथ निभा रही है। वह कहती है कि उनका एक छोटा पुत्र है। ड्यूटी आते वक्त जब मेरा बेटा बोलता है की मम्मा आज मत जाओ ना तो एक समय के लिए लगता है की शायद मैं अपनी मां होने का दायित्व नहीं निभा पा रही हूं। लेकिन अपने समाज के प्रति जो दायित्व है वो मुझे फिर ड्यूटी पर खींच कर लाता है। घर लौटते समय एक अलग ही तरह की आत्मसंतुष्टि का अनुभव होता है। मेरी ये तुच्छ सी सेवा समाज को इतनी बड़ी संकट से उबाड़ रही है। यही रोज का अनुभव मैं अपने साथ घर लेकर जाती हूं जो मुझे फिर से अगले दिन के लिए सेवा देने को तैयार करता है।

खुद को भी बचाए रखना जिम्मेदारी

महामारी में खुद को बचाए रखने के लिए सुरुचि नियमों का पालन करती हैं। ड्यूटी के दौरान थ्री लेयर मास्क लगाकर रखती हैं। जब से कोरोना महामारी फैली है, तभी से वह ठंडे पानी से परहेज कर लिया है। घर हो या ड्यूटी पर गर्म पानी ही पीती हैं। इसके साथ ही डाइट में विटामिन वाले खाद्य पदार्थों को शामिल कर लिया है। ड्यूटी से जब घर पर जाती है, तो पहले खुद को सैनिटाइज करती है। कपड़ों व जूतों को अलग रखती हैं। इसके बाद ही परिवार से मिलती हैं। इन सब सावधानी की वजह से ही वह कोरोना संक्रमण से मुक्त हैं।

केवल सुरुचि ही नहीं, दुनिया की हर मां के सामने ममत्व की परीक्षा का वक्त आता है। उस समय कोई भी निर्णय करना सहज नहीं होता, लेकिन यह भारत की मां ही हैं जो हमेशा अपने सुख और संतुष्टि से ऊपर समाज और देश की सेवा को रखा है। यही वजह है कि हमारा तमाम परेशानियों के बाद भी खड़ा है और आगे की ओर बढ़ रहा है। इस तरह के लोगों से प्रेरणा लेने की भी जरूरत है।  


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