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BRA Bihar University : जानिए प्रभार की व्यवस्था ने कैसे विश्वविद्यालय को बना दिया पंगु Muzaffarpur News

किसी को प्रोविजनल चाहिए तो कोई माइग्रेशन व सर्टिफिकेट के लिए दौड़ लगाने को विवश। सैकड़ों छात्र रोजाना लगा रहे विश्वविद्यालय का चक्कर सुनवाई नहीं।

By Ajit KumarEdited By: Published: Tue, 22 Oct 2019 09:21 AM (IST)Updated: Tue, 22 Oct 2019 09:21 AM (IST)
BRA Bihar University : जानिए प्रभार की व्यवस्था ने कैसे विश्वविद्यालय को बना दिया पंगु Muzaffarpur News
BRA Bihar University : जानिए प्रभार की व्यवस्था ने कैसे विश्वविद्यालय को बना दिया पंगु Muzaffarpur News

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय अर्से से प्रभार में चल रहा। स्थायी कुलपति की नियुक्ति नहीं होने से कामकाज बुरी तरह प्रभावित है। छात्र संगठनों से लेकर कर्मचारी संगठन तक नाराज हैं। परीक्षा विभाग में मूल प्रमाणपत्र के लिए रोजाना सैकड़ों छात्र-छात्राएं चक्कर लगा रहे हैं। समय पर प्रमाणपत्र नहीं मिलने से छात्रों का भविष्य अंधेरे में है।

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 बीए पार्ट थर्ड की परीक्षा पार्ट टू के एडमिट कार्ड पर ली गई, जो विश्वविद्यालय के इतिहास में अजीबोगरीब मामला है। स्नातक के सभी खंडों में स्पेशल टेबुलेटर के रहते हजारों छात्रों का पेंडिंग रिजल्ट नहीं सुधर पाता। छात्र संगठनों का कहना है कि विश्वविद्यालय में रिजल्ट पेंडिंग उद्योग चल रहा। स्नातक पार्ट टू-2018 का कम्प्यूटराइज्ड टेबुलेशन बाहरी एजेंसी से कराया गया। इसके लिए टेंडर नहीं हुआ। कोटेशन भी नहीं लिया गया।

पढ़ाने वाले शिक्षक बन बैठे अफसर

लोक सेवा आयोग से जिन शिक्षकों की नियुक्ति पढऩे-पढ़ाने के लिए हुई है, उन्हें विश्वविद्यालय में अफसर बनाकर बैठा दिया गया है। कॉलेजों तक शिक्षकों की घोर कमी के बीच विश्वविद्यालय के इस कदम से छात्रों का भविष्य अंधेरे में है। अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो रही। यह जानते हुए भी कि कॉलेज से लेकर विश्वविद्यालय तक शिक्षकों की भारी कमी है।

दूरस्थ शिक्षा के हजारों छात्रों के भविष्य से खिलवाड़

छात्रहित में बीएड, एम.फिल की परीक्षा अविलंब होनी चाहिए। बीएड कोर्स दूरस्थ माध्यम से तीन सत्रों-2014-16, 2015-17, 2016-18 के 1500 शिक्षकों की नौकरी जाने वाली है। उसकी परीक्षा के लिए विश्वविद्यालय की बेफिक्री भारी पड़ रही है। दूरस्थ शिक्षा निदेशालय में अन्य कोर्स-बीए, एमए एवं व्यावसायिक कोर्स में 40 हजार छात्रों का भविष्य अंधकार में है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से दूरस्थ शिक्षा निदेशालय को नामांकन के लिए मान्यता दी जा चुकी है। बावजूद नामांकन नहीं हो रहा।

इनके कार्यकाल में भी भ्रष्टाचार चरम पर

छात्र जदयू के प्रदेश उपाध्यक्ष उत्तम पांडेय ने कहा है कि राजभवन ने बड़े ही भरोसे व विश्वास के साथ उनको कुलपति बनाया मगर वह उस पद पर खरा नहीं उतर रहे। विश्वविद्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार उनके कार्यकाल में भी थमने का नाम नहीं ले रहा। शैक्षणिक व प्रशासनिक अराजकता बढ़ती जा रही। छात्रहित की अनदेखी हो रही। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अकर्मण्यता बरकरार है। सिंडिकेट की बैठक से पहले इस निमित ध्यान देने पर इसके खिलाफ आंदोलन शुरू करने की बात कही है।

विश्वविद्यालय की स्टैच्यूटरी बॉडी की नियमित बैठक नहीं हो रही। मनमाना निर्णय लेकर नियम-परिनियम की अवहेलना की जा रही। विश्वविद्यालय में कर्मचारी का टेबुल ट्रांसफर में भी मनमानी की गई है। हाल में प्राचार्यों के तबादले में मनमानी की शिकायत सामने आ रही। श्रीराधा कृष्ण गोयनका महाविद्यालय, सीतामढ़ी से प्राचार्य के स्थानांतरण की मांग के बावजूद उन्हें बने रहने दिया गया। छात्रों को उम्मीद थी कि तबादले के दौर में उन्हें भी हटाया जाएगा। मगर ऐसा नहीं हुआ। छात्र जदयू का कहना है कि उनके कार्यकाल में महाविद्यालय का माहौल अनुकूल नहीं रह गया है।

इस बारे में बीआरएबीयू के प्रभारी कुलपति डॉ. आरके मंडल ने कहा कि व्यवस्था सुधार के लिए तमाम कदम उठाए जा रहे हैं। सर्टिफिकेट की समस्या को दूर करने के लिए ही नई व्यवस्था की जा चुकी है। समस्याएं हैं, मगर उनकी अनदेखी की बात सही नहीं है। 


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