Madhubani News: भारत-नेपाल संबंध को बिगाडऩे की साजिश रच रहा चीन : केके मिश्रा
भारत-नेपाल मैत्री संघ के अध्यक्ष ने प्रेसवार्ता कर दोनों देशों के रिश्तों पर की चर्चा कहा-चीन के कूटनीतिक दांव-पेंच से दोनों देशों का रिश्ता नहीं होगा खत्म दोनों देश के रिश्ते के मजबूती को नेपाल के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. रामवरन यादव ने यहा आकर दोहराया है।
मधुबनी (हरलाखी), जासं। भारत-नेपाल का संबंध वैदिक युग से रहा है। हमारा संबंध बिजली के तार से नहीं, बल्कि खून के तार से जुड़ा हुआ है। इसे किसी तरह की कूटनीति के तहत बिल्कुल खत्म नहीं किया जा सकता है। कोरोना का बहाना बनाकर चीन भारत-नेपाल सीमा को सील कर यातायात को प्रभावित कर रिश्ते को खत्म करने की साजिश रच रहा है। जिससे हमारे संबंध पर कोई प्रभाव पडऩे वाला नहीं है। इस रिश्ते के मजबूती को नेपाल के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. रामवरन यादव ने आकर दोहराया है।
उक्त बातें हरलाखी में प्रेसवार्ता के दौरान भारत-नेपाल मैत्री संघ के अध्यक्ष केके मिश्रा ने कही। उन्होंने कहा कि भारत का नेपाल के सबंध द्वापर व त्रेता युग से है। जहां द्वापर में राजा विराट की पुत्री उतरा की शादी पांडव वंश के अभिमन्यु तथा त्रेता युग में माता सीता का विवाह मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम से हुआ था। तब से लेकर आज तक हमारा संबंध खून का रहा है। उन्होंने कहा कि नेपाल में जब भी कोई गंभीर समस्या आई तो भारत मजबूती से नेपाल के साथ खड़ा रहा है। भारत जब ब्रिटिश के अधीन था, उस समय 1847 से 1951 तक श्रीपांच व तीन सरकार भी चला।
1947 में जब जवाहर लाल नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने तब पहली बार सुरसंड स्टेट के सीपीएम सिन्हा को राजदूत बनाकर नेपाल भेजा। जहां राजा त्रिभुवन को राज दरबार कैद से निकालकर गुप्त तरीके से भारत लाया और फिर 10 नवंबर 1950 को त्रिभुवन को काठमांडू भेजकर राणा की तानाशाही सरकार को हटाकर 18 फरवरी 1951 को त्रिभुवन को नेपाल का राजा बनाया गया। इसलिए किसी देश में एक मजबूत सरकार की जरूरत होती है और नेपाल की वर्तमान नई शेर बहादुर की सरकार से अपेक्षा है कि पहले भारत के साथ संबंध को बेहतर बनाएंगे। कहा कि कूटनीति से भारत और नेपाल का संबंध खत्म नहीं होगा। दोनों सरकार भी अगर चाह लें तो हमारे संबंध को खत्म नहीं कर सकते। भारत और नेपाल का संबंध मजबूत है। मौके पर ङ्क्षपटू ङ्क्षसह, शम्भू कुमार, अरङ्क्षवद कुशवाहा, सोनफी महतो समेत अन्य लोग भी मौजूद थे।