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किसान चाची ने बताई सफल होने की कहानी, बोलीं- समाज एक बार ही ना खराब कहेगा... बस यही सोचकर बढ़ते चले गए

Kisan Chachi success story जेपी नड्डा मिलने घर आए तो किसान चाची ने बताई सफल होने की कहानी। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने देखा घर में तैयार किए गए कृषि उत्पाद।

By Murari KumarEdited By: Published: Sun, 13 Sep 2020 08:30 AM (IST)Updated: Sun, 13 Sep 2020 08:30 AM (IST)
किसान चाची ने बताई सफल होने की कहानी, बोलीं- समाज एक बार ही ना खराब कहेगा... बस यही सोचकर बढ़ते चले गए
किसान चाची ने बताई सफल होने की कहानी, बोलीं- समाज एक बार ही ना खराब कहेगा... बस यही सोचकर बढ़ते चले गए

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। घर की दहलीज से बाहर कदम क्या रखी। समाज ने तिरस्कृत करना शुरू कर दिया। मगर, यह ठान लिया था समाज जो भी भला-बुरा कहेगा वह एक बार ही कहेगा। बस यही सोचकर आगे बढ़ते गए। आज लोग इज्जत की नजर से देखते हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के सामने ये बातें कहते हुए राजकुमारी देवी उर्फ किसान चाची भावुक हो उठती हैं। सरैया में किसानों से रूबरू होने से पहले भाजपा अध्यक्ष आनंदपुर किसान चाची के घर उनसे मिलने आए थे। उन्होंने सफलता के पीछे की प्रेरणा के बारे में जानना चाहा था। 

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 किसान चाची ने कहा, फसल को सीधे बाजार में नहीं बेचकर वह उसे अलग-अलग उत्पाद के रूप में बेचने का काम किया। खुद साइकिल उठाकर गांव-गांव में इसकी बिक्री की।समाज को यह कुछ अच्छा नहीं लगा। मगर, आगे बढऩे की ठान चुकी थी। विभिन्न तरह के आचार व मोरब्बा बनाने के साथ उसका प्रशिक्षण लिया। इसके बाद इसकी क्वालिटी बेहतर हुई तो दिल्ली व अन्य शहरों में लगने वाले कृषि मेले में स्टॉल लगाई। गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी ने उन्हें वहां आने का निमंत्रण दिया। गुजरात में भी अपने उत्पादों का स्टॉल लगाया। आज वही समाज इज्जत दे रहा है। 

 किसान चाची की सफलता की कहानी उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, भाजपा के बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल भी सुन रहे थे। उन्होंने यह भी कहा कि हर कोई राजकुमारी देवी नहीं हो सकती। इसलिए जरूरी है कि महिला किसानों के लिए विशेष व्यवस्था हो। हालांकि, उन्होंने माना कि पति का साथ हो तो महिला कोई भी मंजिल हासिल कर सकती है। भले समाज कितना भी तिरस्कृत क्यों ना करे। किसान चाची ने बताया कि बहुत सी महिलाओं ने प्रशिक्षण लिया है। मगर, सभी को काम नहीं दे पातीं। जरूरी है सभी हाथों को काम मिले। यहां से विदाई के समय किसान चाची ने खुद से बनाया अचार उपहार के रूप में दिया। स्वागत में उनके पति, पुत्र, पुत्री समेत परिवार के सभी सदस्य लगे रहे। 


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