बिहार की यह कथक नृत्यांगना जो देश-विदेश में बिखेर रही भारतीय संस्कृति की खुशबू
Kathak Dancer Ranjana Sarkar बिरजू महाराज की शिष्या रंजना सरकार की कथक नृत्य के क्षेत्र में बड़ी पहचान। रंजना ने इंडोनेशिया फ्रांस मारीशस मलेशिया उजबेकिस्तान दक्षिण अफ्रीका इंग्लैंड सिंगापुर आदि देशों में अपनी कला प्रतिभा का प्रदर्शन किया। उन्हें कई सम्मान मिले।
मुजफ्फरपुर, जागरण संवाददाता। Kathak Dancer Ranjana Sarkar: कला गुरु बिरजू महाराज की शिष्या तथा कथक नृत्य की बड़ी पहचान रंजना सरकार देश-विदेश में भारतीय संस्कृति की खुशबू बिखेर रही हैं। ध्रुवतारे की तरह नृत्याकाश पर उभरी मुजफ्फरपुर की रंजना निरंतर भारतीय संस्कृति के पोषण में लगी हैं। हाल के वर्षों में स्वप्निल समृद्धियों का यथार्थ वैशाली, बुद्ध और आम्रपाली नामक बैले की प्रस्तुति कर लोकतंत्र की जननी वैशाली और बिहार के परंपराओं से देशवासियों खासकर युवाओं को अवगत करने का प्रण कर चुकी है। इन दिनों वह रवींद्रनाथ टैगोर की कहानी चंडालिका एवं कथक सम्राट बिरजू महाराज के संगीत संरचना पर तैयार सागर किनारे नृत्य नाटिका की तैयारी में लगी हैं। सागर किनारे नृत्य नाटिका के माध्यम से वह अपने गुरु को श्रद्धांजलि देंगी।
रंजना ने कदम पीछे नहीं खींची
मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाली सरल स्वभाव की रंजना का नृत्य के प्रति बाल्यावस्था से रुझान रहा है। तब माता-पिता का खूब साथ मिला। किशोरावस्था में उनकी यही रुचि रूढि़वादी समाज की सोच के कारण पारिवारिक टकराव का कारण बन गई। बैंक मैनेजर पिता उसकी इस सोच की बेडिय़ों में बांधने को व्याकुल हो गए। नृत्य साधना को ही अपने जीवन का लक्ष्य बनाने की ठान चुकी रंजना ने अपने कदम पीछे नहीं खींची। रंजना स्वयं स्वीकार करती हैं कि संघर्ष के बीच कुंदन बनने की जुनून ने ही शायद मुझे इस मंजिल तक पहुंचाया जिसपर स्वजनों को भरोसा नहीं था।
शहर से दिल्ली तक का सफर
शहर के चैपमैन स्कूल से मैट्रिक, एमडीडीएम कालेज से स्नातक एवं बीआरए बिहार विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि हासिल करने वाली रंजना सरकार ने नृत्य की प्रारंभिक शिक्षा शहर से शुरू की। उसने कथक की बारीकियों को कई गुरुओं से सीखा। वीरेंद्र कुमार वर्मा, नागेंद्र मोहिनी, ओम प्रकाश मिश्रा, वंदना सेना उनकी राह के सारथी बने। उनका अधूरापन बिरजू महाराज की शिष्या बनने के बाद पूरा हुआ।
देश-विदेश तक पहचान
दिल्ली में रहते हुए रंजना सरकार को देश ही नहीं विदेशों में अपनी प्रतिभा को मुकाम देने का मौका मिला। कथक सम्राट एवं अपने गुरु के सानिध्य में रंजना को झांसी महोत्सव, कथक महोत्सव (दिल्ली), नाट्यांजलि महोत्सव (चेन्नई), सुर-श्रृंगार सम्मेलन (मुंबई) में कला का प्रदर्शन का मौका मिला। इन मंचों पर मिली वाहवाही ने उसे विदेशों की राह दिखाई। रंजना ने इंडोनेशिया, फ्रांस, मारीशस, मलेशिया, उजबेकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, सिंगापुर आदि देशों में अपनी कला प्रतिभा का प्रदर्शन किया। उन्हें कई सम्मान मिले। उनको जेसिस क्लब अवार्ड, श्रृंगार मणि अवार्ड, फेलोशिप अवार्ड, भारतेंदु सम्मान, संचेतन सम्मान, नवयुवक क्लब सम्मान जैसे कई पुरस्कार मिले। बिहार शताब्दी दिवस पर पटना में आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें सम्मानित किया। वर्तमान में वह एलएन कालेज भगवानपुर में प्राध्यापक के रूप में संगीत की शिक्षा दे रही हैं। नुपूर कलाश्रम के माध्यम से बच्चों को प्रशिक्षण देकर अपनी राह ले जा रही हैं। आइसीसीआर की ओर से उन्होंने मैक्सिको, उजबेकिस्तान, रूस एवं जापान के कलाकारों को ट्रेनिंग दी।