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Karva Chauth : महिलाएं आज करेंगी करवा चौथ, इस पूजन विधि को अपनाना होगा बेहतर Muzaffarpur News

Karva Chauth पति की लंबी आयु के लिए महिलाएं रखेंगी निर्जला व्रत। इसके प्रभाव से सारे पाप नष्ट होते हैं और जीवन में किसी प्रकार का कष्ट नहीं होता।

By Ajit KumarEdited By: Published: Thu, 17 Oct 2019 12:03 PM (IST)Updated: Thu, 17 Oct 2019 12:03 PM (IST)
Karva Chauth : महिलाएं आज करेंगी करवा चौथ, इस पूजन विधि को अपनाना होगा बेहतर Muzaffarpur News
Karva Chauth : महिलाएं आज करेंगी करवा चौथ, इस पूजन विधि को अपनाना होगा बेहतर Muzaffarpur News

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। करवा चौथ पति की लंबी आयु के लिए रखा जाने वाला व्रत है। इसके प्रभाव से सारे पाप नष्ट होते हैं और जीवन में किसी प्रकार का कष्ट नहीं होता। व्रत करने से पति की आयु में वृद्धि होती है। इस दिन गणपति, शिव-पार्वती और चंद्रमा की पूजा की जाती है। इसमें चंद्रमा को अघ्र्य देकर पूजा की जाती है और पूजन के बाद मिट्टी के करवा में चावल, उड़द व सुहाग की सामग्री रखकर अपनी सास या उनकी समकक्ष किसी सुहागिन को भेंट किया जाता है।

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गुरुवार को करवा चौथ है। इसे लेकर महिलाओं में काफी उल्लास है। व्रत को लेकर पूर्व दिवस पर देर शाम तक खरीदारी होती रही। कर्मकांड विशेषज्ञ पं.कमलापति त्रिपाठी 'प्रमोद' बताते हैं कि करवा चौथ के व्रत में चलनी का बेहद महत्व है। इस दिन पूजा की थाली में महिलाएं सभी सामान के साथ-साथ चलनी भी रखती हैं। वे अपना व्रत पति को इसी चलनी में से देखकर पूरा करती हैं। सुहागिन इस चलनी में पहले दीपक रखकर चांद को देखती हैं और फिर पति को निहारती हैं। इसके बाद पति उन्हें पानी पिलाकर व्रत पूरा करवाते हैं।

गन्नीपुर स्थित मां वैष्णो देवी मंदिर के पुजारी पंडित अंबरीश शर्मा बताते हैं कि ङ्क्षहदू मान्यताओं के मुताबिक चंद्रमा को लंबी आयु का वरदान मिला हुआ है। इनमें सुंदरता, शीतलता, प्रेम, प्रसिद्धि और लंबी आयु जैसे गुण पाए जाते हैं। इसीलिए सभी महिलाएं चांद को देखकर ये कामना करती हैं कि ये सभी गुण उनके पति में आ जाएं।

विधि अनुसार करें पूजन

इस व्रत की विधि हर सुहागिन को सही तरीके से करनी चाहिए। अगर करवा चौथ व्रत विधि अनुसार नहीं किया जाए तो उसे पूर्ण नहीं माना जाता। व्रत की विधि व सामग्री इस प्रकार है -

पूजन सामग्री

भगवान शिव, पार्वती व गणपति की फोटो, कच्चा दूध, कुमकुम, अगरबत्ती, शक्कर, शहद, पुष्प, शुद्ध घी, दही, मेहंदी, मिठाई, गंगाजल, चंदन, चावल, सिंदूर, महावर, कंघा, चुनरी, बिंदी, बिछुआ, चूड़ी, मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, दीपक व रुई की बाती, गेहूं, शक्कर का बूरा, पानी का लोटा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, चलनी, आठ पुरियों की अठवारी, हलवा और दक्षिणा के लिए पैसे।

विधि : पूरी पूजन सामग्री को व्रत के एक दिन पहले ही जुटा लेना है। व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर साफ और स्वच्छ कपड़े पहन लें और शृंगार भी कर लें। व्रत का संकल्प लें।

घर के मंदिर की दीवार पर गेरू से फलक बनाएं और चावल को पीसकर उससे करवा का चित्र बनाएं। इस अवसर पर करवा की पूजा कर उसके साथ मां पार्वती और शिव की पूजा की जाती है। शाम को मां पार्वती और भगवान शिव की कोई ऐसी फोटो लकड़ी के आसन पर रखें, जिसमें भगवान गणेश मां पार्वती की गोद में बैठे हों। मां पार्वती को शृंगार सामग्री चढ़ाएं या उनका शृंगार करें। इसके बाद भगवान शिव व गणपति सहित उनकी आराधना करें। कोरे करवा में जल भरकर करवा चौथ व्रत की कथा सुनें या पढ़ें। चंद्रोदय के बाद चांद की पूजा करें और अघ्र्य दें। फिर पति के हाथ से पानी पीकर या निवाला खाकर अपना व्रत खोलें। पूजा के बाद अपने सास-ससुर और घर के बड़ों का आशीर्वाद जरूर लें। 


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