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मुजफ्फरपुर में बाढ़ का पानी संचय कर खत्म होगा कदाने का सूखा, बनेगा चेक डैम

बूढ़ी गंडक से कदाने नदी को जोड़कर अतिरिक्त पानी को किया जाएगा स्टोर। वर्षभर पानी रोकने के लिए बनेगा चेक डैम। इस पर करीब 56 लाख खर्च किए जाएंगे। डैम बनने से गंडक और बरसात के पानी को 15 से 20 फीट की ऊंचाई तक रोका जा सकेगा।

By Murari KumarEdited By: Published: Tue, 08 Jun 2021 10:46 AM (IST)Updated: Tue, 08 Jun 2021 10:46 AM (IST)
मुजफ्फरपुर में बाढ़ का पानी संचय कर खत्म होगा कदाने का सूखा, बनेगा चेक डैम
मृत पड़ी कदाने नदी को जीवित करने के लिए मनरेगा से हो रहा काम।

मुजफ्फरपुर [अमरेंद्र तिवारी]। अतिक्रमण और विभागीय उदासीनता के चलते मृत हो चुकी मुजफ्फरपुर की कदाने नदी को नया जीवन मिलेगा। बाढ़ और बारिश का पानी संचय कर इसे सदानीरा किया जाएगा। इसमें बरसात में तबाही मचाने वाली बूढ़ी गंडक का पानी भी पहुंचाया जाएगा। पहले चरण के लिए एक करोड़ छह लाख की योजना प्रस्तावित है। इसकी जिम्मेदारी उठा रहे ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारी योजना के क्रियान्वयन में जुट गए हैं।

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कदाने में बरसात के तीन महीने ही पानी रहता है। अन्य महीनों में प्राय: सूखी रहती है। वर्षभर पानी रोकने के लिए सकरा प्रखंड में इसके करीब 15 किमी लंबे बांध की मरम्मत की जा रही है। इस नदी पर पैगबंरपुर के पास चेक डैम बनेगा। इस पर करीब 56 लाख खर्च किए जाएंगे। डैम बनने से गंडक और बरसात के पानी को 15 से 20 फीट की ऊंचाई तक रोका जा सकेगा। इससे मुजफ्फरपुर शहर के साथ मुशहरी, बोचहां, मुरौल व समस्तीपुर के पूसा में बूढ़ी गंडक से आनेवाली बाढ़ को रोका जा सकेगा। साथ ही इसके अतिरिक्त पानी से कदाने भी जी उठेगी।

दूर होगा जलसंकट, मिलेगा किसानों को लाभ

कदाने के उद्धार के लिए प्रयासरत भरतीपुर के मुखिया इंद्रभूषण सिंह अशोक का कहना है कि सकरा इलाके में हर साल गर्मी में जलस्तर पांच से छह फीट नीचे चला जाता है। जलसंचय से पेयजल का संकट दूर होगा। सौ से अधिक गांवों के किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिल सकेगा। साथ ही बाढ़ से मुक्ति मिल जाएगी।

मनरेगा के कार्यक्रम पदाधिकारी गोपाल कृष्ण बताते हैं कि पहले चरण में बांध निर्माण व खोदाई होने के बाद दूसरे चरण में बूढ़ी गंडक से कदाने को जोड़ा जाएगा।

नून नदी से निकलती है कदाने

जल संसाधन विभाग के अभियंता संजीव कुमार ने बताया कि कदाने मुजफ्फरपुर के करजा के बड़कागांव के पास नून से निकलती है। वहां से कुढऩी होते हुए सकरा में प्रवेश कर जाती है। सकरा में सुक्की कटेसर के पास वापस नून में मिल जाती है। दोनों प्रखंडों के बीच इसका कुल प्रवाह करीब 40 किमी है। आगे चलकर नून वैशाली में बाया नदी से जुड़कर समस्तीपुर के रास्ते गंगा में मिल जाती है।

जल संसाधन मंत्री स्तर पर कर रहे पहल

इस संबंध में मुजफ्फरपुर के सांसद अजय निषाद ने कहा कि कदाने को जीवित करने और उससे बूढ़ी गंडक को जोडऩे की योजना पर काम आगे बढ़ा है। इसमें जल संसाधन मंत्रालय और संबंधित अधिकारियों से संवाद हो रहा है। इससे बाढ़ से राहत मिलने के साथ सिंचाई की सुविधा होगी।


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