आज मनाया जा रहा जूड़ शीतल , जानिए क्या है इसका महत्व व इसके पीछे की परंपरा
Jud Sheetal पूर्व दिवस पर मनी सतुआनी। मेष संक्रांति पर लोगों ने स्नान और पूजन के बाद किया सत्तू जल से भरा घड़ा और पंखा दान।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। हालांकि पुरानी परंपराएं अब पुरानी पड़ती जा रही हैं, लेकिन कुछ लोग अब भी पुरानी परंपराओं को निभा रहे हैं। उन्हीं में एक है मिथिला का परंपरागत त्योहार जूड़ शीतल। यह मूल रूप से पर्यावरण व स्वच्छता से जुड़ा है। इस बार यह मंगलवार को मनाया जाएगा। इसके साथ ही मिथिलांचल के नववर्ष की शुरुआत होगी।
सिर पर बासी जल देने की परंपरा
बाबा गरीबनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी पं.विनय पाठक बताते हैं कि यह प्रकृति का संयोग है कि मिथिलांचल के नए साल की शुरुआत तपती गर्मी से होती है। इसके स्वागत में बड़े-बुजुर्ग सुबह-सुबह छोटों के सिर पर बासी जल देकर शीतलता के साथ जीवन जीने का आशीष देते हैं, ताकि यह शीतलता सदा बरकरार रहे। इस दिन घरों में चूल्हा नहीं जलाने की भी परंपरा रही है।
साफ-सफाई करना नहीं भूलते
हरिसभा चौक स्थित राधाकृष्ण मंदिर के पुजारी पं.रवि झा व रामदयालु स्थित मां मनोकामना देवी मंदिर के पुजारी पंडित रमेश मिश्र बताते हैं कि इस दिन लोग नित्य दिनचर्या से परे मार्ग की साफ-सफाई करना नहीं भूलते। साथ ही सड़क पर जल का छिड़काव कर आम राहगीरों के लिए भी शीतलता की कामना करते हैं। पर्यावरण को स्वच्छ रखने की दिशा में यह त्योहार काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस अवसर पर बासी भोजन करने की भी परंपरा है।
पूर्व दिवस पर खाए सत्तू, किया स्नान-दान
इसके पूर्व सोमवार को मेष संक्रांति के अवसर पर लोगों ने स्नान-पूजन के बाद सत्तू, जल से भरा घड़ा व पंखा दान किया। इसके परिवार के सदस्यों के साथ सत्तू का सेवन किया। इस अवसर पर आम के टिकोले के लिए इस बार काफी मशक्कत करनी पड़ी। लॉकडाउन होने के कारण आमतौर पर आठ से दस रुपये बिकने वाला टिकोला सौ से सवा सौ रुपये किलो तक बिका।