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सीएम नीतीश कुमार की पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं, 10 दिनों के अंदर मुजफ्फरपुर में दो बार भिड़े कार्यकर्ता

JDU controversy बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के बाद सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड ने पार्टी को मजबूत करने के लिए कई स्तर पर काम शुरू किए। इसका सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल रहा है लेकिन मुजफ्फरपुर इकाई में सबकुछ सही होता नहीं दिख रहा।

By Ajit KumarEdited By: Published: Thu, 06 Jan 2022 08:29 AM (IST)Updated: Thu, 06 Jan 2022 12:55 PM (IST)
सीएम नीतीश कुमार की पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं, 10 दिनों के अंदर मुजफ्फरपुर में दो बार भिड़े कार्यकर्ता
संगठन प्रभारी पूर्व मंत्री डा. रंजू गीता की उपस्थिति में उलझे जदयू कार्यकर्ता। फाइल फोटो

मुजफ्फरपुर, जासं। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के प्रदर्शन को आधार बनाकर खुद को मजबूत करने की दिशा में जिस पार्टी ने सबसे अधिक काम किया है वह जनता दल यूनाइटेड (Janta Dal United) है। सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) व संगठन के अन्य लोगों ने इस दिशा में कई महत्वपूर्ण काम किए। संगठन के स्तर पर कई बदलाव देखने को मिले। दो बार राष्ट्रीय अध्यक्ष बदले गए। पार्टी को नए प्रदेश अध्यक्ष मिले। जिला व प्रखंड स्तर के संगठन में भी बदलाव किए गए। इसका प्रभाव मुजफ्फरपुर में भी देखने को मिला, लेकिन यहां सबकुछ उतना बेहतर नहीं हो सका, जिसकी अपेक्षा थी। आलम यह है कि समाज सुधार अभियान (Social Reform Campaign) के दौरान एमआइटी मैदान में सीएम के सामने और अब दो दिन पहले संगठन प्रभारी व पूर्व मंत्री डा. रंजू गीता (Former Minister Dr. Ranju Geeta) के सामने ही पार्टी कार्यकर्ता उलझ गए। इससे लग रहा है कि अभी स्थानीय संगठन में आल इज नाट वेल। हालांकि इसे सुधार की प्रक्रिया माना जा रहा है। 

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डा.रंजू गीता ने स्थिति को संभाला

दरअसल, मुजफ्फरपुर जदयू में दो लेवल पर दिख रहा है। एक जो समता पार्टी के समय से सीएम नीतीश (CM Nitish Kumar)से जुड़े हैं। उनकी नीतियों काे मानते हुए आगे बढ़ रहे हैं। दूसरे स्तर पर वे नेता व कार्यकर्ता हैं जो हाल में पार्टी से जुड़े हैं। जिन्होंने पार्टी के संघर्ष के दिनों को नहीं देखा है। वे सत्ता में आने के बाद से जदयू के साथ हैं। इसका ही प्रभाव यहां दिख रहा है। पिछले दिनों जब संगठन प्रभारी डा. रंजू गीता संगठन की बैठक कर रही थीं तो कांटी, मीनापुर, गायघाट व सकरा प्रखंड अध्यक्ष तथा कार्यकारिणी समिति का आकार छोटा करने को लेकर टकराव शुरू हो गया। इसको लेकर सवाल उठाए जाने लगे। हालांकि बाद में डा.रंजू गीता ने स्थिति को संभाला और नेताओं को शांत कराया।

अनुभवी नेताओं को मौका मिले

बैठक से जो बात निकल कर सामने आई उसके हिसाब से चार प्रखंड कांटी, मीनापुर, गायघाट व सकरा के प्रखंड अध्यक्ष बदलने तथा जिला कार्यकारिणी समिति का आकार छोटा करने को लेकर मंथन चल रहा था। चिंतन शिविर के संयोजक रंजीत सहनी और रमाशंकर सिंह, सौरभ कुमार साहेब व पंकज किशोर पप्पू ने सुझाव दिया कि जो जदयू का सामान्य सदस्य नहीं है उसको वरीय पद देना उचित नहीं होगा। साथ ही उन्होंने संगठन में उनलोगों को जिम्मेदारी देने की बात कही जो समता पार्टी के समय से जुडे़ हैं और पहले भी जवाबदेही निभा चुके हैं।

विकास कार्य पर ध्यान देने की सलाह

कांटी प्रखंड के पूर्व अध्यक्ष सौरभ साहेब ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जदयू राष्ट्रीय अध्यक्ष व सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह (Lalan Singh) तथा प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा (Umesh Kushwaha)का निर्देश है कि सबको लेकर पार्टी को आगे बढ़ना है। केवल बोर्ड लटकाकर घूमने वाले को किनारा लगाया जाए। इसी सवाल पर बैठक में तनातनाी हो गई। इस बारे में संगठन प्रभारी पूर्व मंत्री डा.रंजू गीता ने कहा कि पार्टी में सबकुछ ठीक चल रहा है। परिवार है तो थोड़ा 19-20 होते ही रहता है। उन्होंने कहा कि पार्टी के नेताओं को विकास के काम पर ध्यान देने को कहा गया है। अगली बार जब मैं आऊंगी तो विकास के जो काम आधूरे हैं उसका स्थल निरीक्षण किया जाएगा। इसके बाद उसको किस तरह पूरा किया जा सकता है, इसके बारे में विस्तार से बात होगी।

सौरभ साहेब ने डा.गीता को बताया कि चांदबारा घाट पुल बनकर तैयार है वहीं मिठनसराय को बाढ से बचाने के लिए जलसंसाधन विभाग से मिलकर पहल हो। केवल आपस में उलटा सीधा करने से नहीं होगा। पद बड़ा नहीं होता इसलिए निष्ठावान कार्यकर्ता की अनदेखी नहीं होनी चाहिए। डा.गीता उनके बात से सहमत हुई तथा बोली कि अगले बार विकास के जो काम आधूरे है उसका वह स्थल निरीक्षण कर पूरा कराने का प्रयास करेगी।

इस मौके पर यह रहे शामिल

जदयू जिलाध्यक्ष मनोज किसान, वरीय नेता मो.जमाल, शैलेश कुमार शैलू, श्रवण झा, सचिदानंद शाही, मनाेज कमार, प्रो.अरूण पटेल, अम्बरीस सिन्हा, ठाकुर हरिकिशोर, रामबाबू कृशवाहा, प्रो.संगीता, सबिता जायसवाल, शिशिर कुमार नीरज, पूर्व प्रमुख अनिल राम, रामलला ठाकुर, कुंदन शांलिल्य, उतम पाण्डेय, सुबोध सिेह आदि शामिल रहे।


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