शहरवासियों के लिए नासूर बना जाम, प्रशासन नहीं कर पा रहा इलाज
जलजमाव के बाद जाम अब शहरवासियों के लिए नासूर बन गया है। प्रशासन इसका इलाज नहीं कर पा रहा है। मंगलवार को भी शहरवासी जाम के झाम से जूझते रहे।
मुजफ्फरपुर। जलजमाव के बाद जाम अब शहरवासियों के लिए नासूर बन गया है। प्रशासन इसका इलाज नहीं कर पा रहा है। मंगलवार को भी शहरवासी जाम के झाम से जूझते रहे। घंटों सड़कों व चौक-चौराहों पर राहगीर फंसे रहे। जाम से बचने को लोगों ने जब गलियों का रुख किया तो वहां भी जाम लग गया। हालात यह हैं कि लोगों को गंतव्य तक पहुंचने के लिए दो घंटे पहले घर या कार्यालय से निकलना पड़ रहा है। जूरन छपरा, मोतीझील, सरैयागंज टावर, अघोरिया बाजार चौक, हरिसभा चौक, अखाड़ाघाट पुल, भगवानपुर चौक जाम से सर्वाधिक प्रभावित हैं। इन इलाकों में यदि फंसे तो बाहर निकलने के लिए घंटों संघर्ष करना पड़ेगा।
सड़कों पर अवैध पार्किंग व अतिक्रमण जाम का मूल कारण है। शहर की आबादी बढ़ रही है और वाहनों की संख्या भी। लेकिन, सड़कों की चौड़ाई अतिक्रमण व अवैध पार्किंग से घटती जा रही है। हालत तो यह है कि सड़क पर वाहनों के चलने के लिए एक चौथाई हिस्सा बचा है। सीनियर सिटीजन कृष्ण मोहन तिवारी का कहना है कि सड़कों की चौड़ाई नहीं बढ़ाई जा सकती। ऐसे में यदि सड़कों से अतिक्रमण हटा दिया जाए और वाहनों की पार्किग की व्यवस्था कर दी जाए तो जाम की समस्या से राहत मिल सकती है। इसके लिए जिला, पुलिस व निगम प्रशासन को सख्त कदम उठाने होंगे। अन्यथा इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है।
यातायात नियमों की अनदेखी से भी लग रहा जाम : सड़क पर चलने के लिए नियम तो बने हैं, लेकिन लोग इनका पालन नहीं कर रहे हैं। आगे बढ़ने की होड़ में वे पूरी सड़क को कब्जे में ले लेते हैं। यह भी नहीं देखते की दूसरी तरफ से आने वाले वाहन कैसे निकलेंगे। इस प्रकार लोगों द्वारा यातायात नियमों का पालन नहीं किया जाता है। यही नहीं कई लोग बीच सड़क व चौराहे पर ही वाहन खड़ा कर देते हैं। उनको न रोकने वाला और न ही कोई टोकने वाला। इसका खामियाजा भी उन्हीं को जाम के रूप में भुगतना पड़ता है।