अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेटी इवांका बिहार की इस लड़की की हुईं फैन, जानिए क्या कहा
इवांका ने कहा 15 साल की ज्योति साइकिल से घायल पिता को लेकर 1200 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय कर गांव पहुंच गई। धैर्य और प्रेम के इस खूबसूरत कार्य ने लोगों का ध्यानी खींचा।
मुजफ्फरपुर,जेएनएन। कोरोना संक्रमण के कारण लागू लॉकडाउन में फंसे जख्मी पिता को गुरुग्राम से साइकिल पर बिठाकर 12 सौ किमी दूर दरभंगा लाने वाली 15 वर्षीय ज्योति की चर्चा अब अमेरिका में भी होने लगी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेटी इवांका ने ट्विटर पर उनकी प्रशंसका की है। कहा, 15 साल की ज्योति कुमारी साइकिल से अपने घायल पिता को लेकर 1,200 किलोमीटर से अधिक की दूरी सात दिनों में तय कर गांव पहुंच गई। धैर्य और प्रेम के इस खूबसूरत कार्य ने भारतीय लोगों और भारतीय साइकिलिंग महासंघ का ध्यान अपनी ओर खींचा है।
15 yr old Jyoti Kumari, carried her wounded father to their home village on the back of her bicycle covering +1,200 km over 7 days.
This beautiful feat of endurance & love has captured the imagination of the Indian people and the cycling federation!🇮🇳 https://t.co/uOgXkHzBPz" rel="nofollow — Ivanka Trump (@IvankaTrump) May 22, 2020
पुरानी साइकिल पर लेकर आई थी पिता को
ज्योति के पिता गुरुग्राम में रहकर ऑटो चलाते थे। सड़क दुर्घटना में उनके घायल होने के बाद वह 30 जनवरी को मां के साथ गुरुग्राम गई थी। मां के गांव आने के बाद वह पिता की सेवा में लगी रही। इसी बीच मार्च के तीसरे सप्ताह में लॉकडाउन हो गया। कुछ दिनों में जमा-पूंजी खर्च हो गई तो कोई रास्ता न देख ज्योति ने साइकिल से घर लौटने का फैसला किया। पिता ने ज्योति की जिद पर पांच सौ में पुरानी साइकिल खरीदी। दिव्यांग पिता को उस पर बैठाकर 10 मई की रात गुरुग्राम से घर के लिए निकली। आठ दिन में घर पहुंची तो आस-पड़ोस के लोग दंग रह गए थे।
घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं
कमतौल क्षेत्र के सिरहुल्ली गांव निवासी मोहन पासवान की बेटी ज्योति के घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। मां फूलो देवी आंगनबाड़ी में सहायिका हैं। साथ ही खेतों में काम करती हैं। पांच भाई-बहनों में दूसरे नंबर की ज्योति पैसे के अभाव में आठवीं की पढ़ाई बीच में ही छोड़ चुकी है। लेकिन, गुरुग्राम से आने के बाद उसकी दुनिया बदल गई है।
ट्रायल देने का ऑफर
भारतीय साइकिलिंग महासंघ के पदाधिकारियों का दिल्ली में आकर ट्रायल देने का फोन आने के बाद उसके घर में खुशी का माहौल है। ज्योति कहती है, साइकिलिंग के बारे में कभी सोचा नहीं था। लेकिन, अब इसके लिए पूरी मेहनत करूंगी। साइकिलिंग के जरिये सपना पूरा करने के साथ गांव का नाम रोशन करूंगी। मां फूलो देवी ने बताया कि बेटी ने बड़ा काम किया है। उसने हौसला बढ़ाया है। कभी सोचा नहीं था कि लोग मदद के लिए आएंगे। ज्योति के पिता के क्वारंटाइन सेंटर से घर आने का इंतजार है।
राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के लिए किया जाएगा तैयार
जिला साइकिलिंग संघ के अध्यक्ष प्रदीप गुप्ता ने बताया कि ज्योति के बारे में जानकारी मिली है। संघ हर संभव मदद करेगा। उसे राज्य स्तर पर ट्रेनिंग देकर राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार किया जाएगा। जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एसएम ने बताया कि सदर एसडीओ उसके घर गए थे। इंदिरा आवास के तहत मकान बना है। यदि ज्योति की पढ़ाई में किसी प्रकार की समस्या आती है तो जिला प्रशासन हरसंभव मदद करेगा। अब भविष्य के सपने बुनने लगी है। भारतीय साइकिलिंग महासंघ से ट्रायल का ऑफर मिलने के बाद इसकी तैयारी में जुट गई है। गांव में सुबह-शाम साइकिल चलाने की प्रैक्टिस कर रही। जिला साइकिलिंग संघ भी मदद के लिए आगे आया है।