Darbhanga News : दरभंगा में संसाधन विहीन विभाग के लिए मुश्किल हो रहा हादसों को रोकना
वाहनों की संख्या में लगातार हो रही वृद्धि ट्रैफिक व्यवस्था संभालने के लिए संसाधनों में घोर कमी लगातार हो रहे हादसों के बीच यातायात नियमों का नहीं हो रहा कड़ाई से पालन 40 लाख आबादी के लिए 50 ट्रैफिक जवान।
दरभंगा, जेएनएन। यातायात नियमों का पालन कराने और उल्लंघन रोकने के लिए यातायात पुलिस और परिवहन विभाग के पास संसाधनों की घोर कमी है। यही कारण है कि इन दिनों हर लोग यातायात की समस्याओं से परेशान हैं। कोई जाम से हलकान हैं तो कोई दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं। स्थिति यह है कि घायल भी ससमय अस्पताल नहीं पहुंच पा रहे हैं। जाम रहने के कारण कई रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं। हो भी क्यों नहीं, 2 हजार 279 सौ वर्ग किमी में फैले इस जिले की आबादी 40 लाख है। जबकि, यातायात को सु²ढ़ करने की जिम्मेदारी मात्र 50 ट्रैफिक पुलिस को दी गई है। अर्थात 80 हजार लोगों का भार एक ट्रैफिक पुलिस के जिम्मे है। ऐसी स्थिति में सु²ढ़ ट्रैफिक की सपना मुश्किल ही नहीं बल्कि, असंभव है।
ट्रैफिक पुलिस की कमी रहने के कारण उपलब्ध बलों को दो पालियों में बांट कर कार्य लिया जा रहा है। सुबह के 7 बजे से दो बजे तक व दो बजे से रात्रि के दस बजे तक ट्रैफिक पुलिस अपनी ड्यूटी पर तैनात रहते हैं। इन लोगों को भी कोई बुनियादी सुविधाएं मुहैया नहीं कराई गई है। मसलन, बारिश हो या गर्मी अथवा ठंड सभी मौसमों में जवान खुले आकाश में खड़े होकर अपने दायित्वों का निर्वहन करते हैं। बल की कमी के कारण कई पोस्टों पर पुलिस की पोङ्क्षस्टग नहीं है। बल व संसाधनों की कमी के कारण ही ट्रैफिक पुलिस अपने उद्देश्यों में कामयाब नहीं हो पा रही है। हालांकि, ट्रैफिक डीएसपी बिरजू पासवान का मानना है कि ट्रैफिक व्यवस्था पहले से बेहतर हुई है।
वाहनों में वृद्धि, संसाधनों में कमी
आबादी व वाहनों की संख्या में जिस अनुपात से वृद्धि हुई है, उस तुलना में सुरक्षित यातायात की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। अभी तक ट्रैफिक पुलिस प्रशिक्षित नहीं हैं। होमगार्ड, पीटीसी व डीएपी जवानों के सहारे यातायात व्यवस्था की कमान संभाले हुई है। कहीं भी संकेतकों व सिग्नलों की व्यवस्था नहीं है। जबकि, दिनों दिन वाहनों में वृद्धि हो रही है। अप्रैल से लेकर सितंबर माह तक जिले में 22 हजार 655 गाडिय़ों का निबंधन परिवहन विभाग की ओर से की गई है। जबकि, वर्ष 2019-20 में जिले में 28 हजार 538 बाइक, 926 कार, 639 कार, 145 ऑटो रिक्शा का निबंधन हुआ था। इस अनुपात में न तो ट्रैफिक पुलिस बल में वृद्धि हुई और न ही संसाधनों में ।
सड़क पर नहीं दिखता संशाधन
ट्रैफिक संधारण के लिए सड़क पर संशाधन की घोर कमी है। जो सामग्री है उसका सही से इश्तेमाल नहीं हो रहा है। रस्सी, रिफलेक्टर स्टैम्प सामग्रियों की कई बार क्रय की गई। लेकिन,सड़क पर सही से दिखाई नहीं दिया। शेष सामग्री का न तो क्रय हुआ है और न कोई प्रस्ताव है। शहर में ट्रैफिक व्यवस्था के संचालन के लिए 19 पोस्ट बनाए गए हैं। लेकिन, ट्रैफिक जवानों की संख्या मात्र 54 है।
ऑनलाइन लाइसेंस में भी दलाल हावी
नए उम्र के वैसे नौजवान जो बिना लाइसेंस के सड़कों पर गाडिय़ां दौड़ाते नजर आते हैं, वे अक्सर दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। इनकी चपेट में कभी-कभार पांव-पैदल राहगीर भी आ जाते हैं। दरअसल बिना ट्रायल दिए दलालों के माध्यम से ऐसे युवा लाइसेंस बना लेते हैं। ऑनलाइन व्यवस्था होने के बाद भी दलालों के माध्यम से लाइसेंस मिल रहा है। कागज पर आवेदकों का टेस्ट लिया जाता है।