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BRA Bihar University: गैर संवैधानिक नियुक्ति मामले में जांच टीम ने कुलपति को सौंपी रिपोर्ट

जांच टीम ने की BRABU के पूर्व कुलपति के कार्यकाल में हुई बहाली की जांच। इस बारे में सीतामढ़ी सांसद ने राजभवन से की थी शिकायत। पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

By Murari KumarEdited By: Published: Fri, 22 Nov 2019 09:16 AM (IST)Updated: Fri, 22 Nov 2019 09:16 AM (IST)
BRA Bihar University: गैर संवैधानिक नियुक्ति मामले में जांच टीम ने कुलपति को सौंपी रिपोर्ट
BRA Bihar University: गैर संवैधानिक नियुक्ति मामले में जांच टीम ने कुलपति को सौंपी रिपोर्ट

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय (BRA Bihar University) में वर्ष 2018-19 में गैर संवैधानिक नियुक्ति की शिकायत की जांच कर रही टीम ने अपनी रिपोर्ट प्रभारी कुलपति को सौंपी है। टीम ने जांच में पाया कि नियम को ताक पर रखकर बिना राजभवन की अनुमति के कुलसचिव के स्तर से रिपोर्ट तैयार कर नियुक्ति कर दी गई है। 

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मूल कॉपी नहीं कराई गई हस्तगत

जांच के दौरान टीम ने तीन दिनों के अंदर कागजात मांगे लेकिन कुलसचिव ने सात दिनों तक संचिका उपलब्ध नहीं कराई। टीम की ओर से तय समय सीमा खत्म होने के बाद 18 नवंबर को बैठक हुई। अध्यक्ष ने मूल संचिका उपलब्ध कराने के लिए मोबाइल पर कुलसचिव से बात की। लेकिन मूल संचिका की जगह फोटो कॉपी मिली, वह भी आधी-अधूरी थी। जो कागजात मिले उसमें उपकुलसचिव द्वितीय की नियुक्ति से संबंधित संचिका उपलब्ध नहीं कराई गई। इसकी जानकारी के लिए टीम ने अलग-अलग जगहों से जानकारी जुटाने में काफी मशक्कत से छानबीन पूरी कर जांच प्रतिवेदन प्रभारी कुलपति को सौंपी है। 

जांच कमेटी की अनुशंसा

विश्वविद्यालय से मिली जानकारी के अनुसार जो रिपोर्ट प्रभारी कुलपति तक गई है उसमें कार्रवाई की अनुशंसा की गई है उसके कुछ बिंदु इस प्रकार हैं--

- नियुक्ति बिना राजभवन की अनुमति के हुई है। इसलिए कुलपति को यह अधिकार है कि वह तुरंत सबको कार्यमुक्त कर दें।

- जांच के दायरे में आए शिक्षकों को विरमित करते हुए उनके संबंधित महाविद्यालय में मूल पद पर वापस कर दिया जाए।

- बिना पद के विधि पदाधिकारी की नियुक्ति की गई है। उनका मूल पद भी स्वीकृत नहीं है। इसकी अलग से जांच कराई जाए। 

- कमेटी का यह सुझाव है कि आगे इन पदों पर विश्वविद्यालय के नियम के अनुसार अविलंब नियुक्ति की जाए ताकि विश्वविद्यालय का काम सामान्य गति से चलता रहे। 

 इस तरह से चला मामला 

विश्वविद्यालय कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार सीतामढ़ी के सांसद सुनील कुमार पिंटू सहित कई जनप्रतिनिधियों ने राजभवन को पत्र देकर शिकायत की थी कि 2018 से 2019 के बीच कई महत्वपूर्ण पदों पर नियम के विपरीत नियुक्तियां हुईं हैं। उपकुलसचिव द्वितीय, विकास पदाधिकारी, उप परीक्षा नियंत्रक, विधि पदाधिकारी, पेंशन पदाधिकारी एवं अन्य महत्वपूर्ण पद पर बिना राजभवन के अनुमोदन के ही नियुक्ति हो गई है। 

जांच टीम में ये रहे शामिल  

 राजभवन से प्राप्त शिकायत पत्र के आधार पर कुलपति ने जांच टीम गठित की। जिसके अध्यक्ष विश्वविद्यालय वाणिज्य संकाय के संकायाध्यक्ष डॉ. सैयद आले मुज्तबा तथा सचिव उप कुलसचिव उमाशंकर दास के साथ सदस्य के रूप में सीसीडीसी अमिता सिंंह, कॉलेज निरीक्षक कला एवं वाणिज्य डॉ.प्रमोद कुमार,  पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ.कौशल किशोर चौधरी शामिल रहे।

 पदाधिकारी के लिए ये हैं मापदंड

जानकारों की मानें तो विश्वविद्यालय परिनियम कहता है कि सहायक प्राध्यापक के पद बहाली के बाद कार्य करने का कम से कम सात साल का अनुभव होगा, वहीं व्यक्ति पदाधिकारी हो सकते हैं। वहीं पदाधिकारी के लिए विश्वविद्यालय पैनल पर राजभवन से अनुमोदन के बाद ही वह पदाधिकारी बनेंगे। 

  इस संबंध में बीआरए बिहार विश्‍वविद्यालय के प्रभारी कुलपति डॉ.आरके मंडल ने कहा कि 'नियम के खिलाफ बहाली की शिकायत के लिए गठित जांच टीम ने रिपोर्ट दे दी है। अब उसकी समीक्षा के उपरांत कार्रवाई होगी।'

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