भारत-नेपाल सीमा पर नो मेंस लैंड को अतिक्रमण मुक्त कराने की कवायद तेज
Indo-Nepal border tension भारत -नेपाल के अधिकारियों की बैठक पर हुआ विमर्श। दोनों देश के संबंधित अधिकारियों की मौजूदगी में सर्वे पर जरूरी।
सीतामढ़ी, जेएनएन। भारत-नेपाल सीमा पर लंबे समय से नो मेंस लैंड पर कब्जा है। इसके लेकर विवाद भी होता रहा है। इसके निदान के लिए शुक्रवार को दोनों देश के सुरक्षा अधिकारियों की उच्चस्तरीय बैठक भिट्ठामोड़ स्थित एसएसबी के चेक पोस्ट पर हुई। इसमें नेपाल के महोत्तरी जिले के एसपी नीलकृष्ण और एसएसबी-51वीं बटालियन के कमांडेंट नवीन कुमार ने आपसी समन्वय बनाए रखने पर बातचीत की। दोनों देश के अधिकारियों ने अपनी समस्याएं रखीं। बैठक में यह बात सामने आई कि नो मेंस लैंड स्पष्ट नहीं होने से बार-बार समस्या आ रही है। इसके लिए दोनों देश के संबंधित अधिकारियों की मौजूदगी में नो मेंस लैंड का सर्वे जरूरी है।
एसएसबी-51 वीं बटालियन के कमांडेंट नवीन कुमार ने कहा कि नो मेंस लैंड स्पष्ट नहीं है। संबंधित डीएम को पत्र लिखकर संयुक्त सर्वे कराने को कहा जाएगा। अतिक्रमण हटाने के लिए एसएसबी को प्रशासनिक मंजूरी के साथ मजिस्ट्रेट व सुरक्षा बल की दरकार है। इसके लिए शासन-प्रशासन को लिखा जाएगा। बैठक में नेपाल के महोत्तरी एसपी के अलावा डीएसपी बातुल प्रसाद ढेकाल, नेपाली आम्र्ड पुलिस फोर्स (एपीएफ) के इंस्पेक्टर बालकृष्ण, एसआइ केदार राय और भारत की ओर से एसएसबी-51वीं बटालियन के कमांडेंट थे।
लंबे समय से जारी है अतिक्रमण
एसएसबी-20 वीं बटालियन के कमांडेंट तपन कुमार दास ने कहा कि नो मेंस लैंड के कई स्थानों पर दोनों ओर से अतिक्रमण है। इन स्थलों को चिह्नित कर हाल में स्थानीय प्रशासन समेत गृह मंत्रालय को पत्र भेजा गया है। बॉर्डर पिलर संख्या 332 से 332/1 के बीच नेपाल - भारत के साइड में लंबे समय से अतिक्रमण है। एक तरफ भारत का मुरहदी गांव और दूसरी तरफ नेपाल का फेनहारा है।
इसी तरह बॉर्डर पिलर संख्या 336/1 से 336/3 के बीच भारत के ननकार क्षेत्र के पास दोनों तरफ से अस्थायी घर बना लिए गए हैं। वहीं, पूर्वी चंपारण जिले में बलुआ गांव के पास नो मेंस लैंड के दोनों तरफ बाजार है। यहां नेपाल के उस पार का क्षेत्र बंजारा है। 348/12 बॉर्डर पिलर नंबर के पास परसा गांव के पास हनुमान जी का मंदिर बना है।