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भारत-नेपाल के बीच बेटी-रोटी के संबंधों को बचाने के लिए आगे आए बुद्धिजीवी Sitamarhi News

संस्कृति और प्रकृति दोनों के एकसमान दोनों देश तुरंत करे हस्तक्षेप। बॉर्डर की घटना दुर्भाग्यपूर्ण सुरक्षा बल संयम और धीरज से काम लें।

By Murari KumarEdited By: Published: Fri, 19 Jun 2020 02:21 PM (IST)Updated: Fri, 19 Jun 2020 02:21 PM (IST)
भारत-नेपाल के बीच बेटी-रोटी के संबंधों को बचाने के लिए आगे आए बुद्धिजीवी Sitamarhi News
भारत-नेपाल के बीच बेटी-रोटी के संबंधों को बचाने के लिए आगे आए बुद्धिजीवी Sitamarhi News

सीतामढ़ी, जेएनएन। भारत-नेपाल सीमा पर नेपाली आम्र्ड पुलिस फोर्स (एपीएफ) की कार्रवाई से उपजे तनाव को देखते हुए बुद्धिजीवी पहल के लिए आगे आए हैं। उन्होंने भारतीय विदेश मंत्री व गृह मंत्री से भी हस्तक्षेप की मांग की है। संबंधों की इस धरोहर को बचाना है। भारत की ओर से लखनदेई बचाओ संघर्ष समिति के पुरोद्धा सीतामढ़ी शहर के वरिष्ठ समाजसेवी रामशरण अग्रवाल, नागेंद्र प्रसाद सिंह व ख्यातिलब्ध लेखिका आशा प्रभात ने कहा कि उस घटना से हम लोग भी मर्माहत हैं।

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 मगर, इस एक घटना से हमारी सदियों पुरानी मित्रता पर आंच नहीं आनी चाहिए। दोनों देश के बीच बेटी-रोटी वाले संबंधों की इस धरोहर को बचाने के लिए पहल की जरूरत प्रतीत होती है। नेपाल-भारत के आपसी रिश्तों का एक लंबा व सौहार्दपूर्ण इतिहास है। संस्कृति और प्रकृति हमें जोड़ती है। नेपाल-भारत संबंधों को दोनों देशों में ‘रोटी-बेटी’ के रिश्तों से जाना जाता है। दुनिया में संबंध को अद्वितीय बनाने का आधार खुली सीमा और वैवाहिक संबंध है।

 वैवाहिक संबंधों की जड़ें सीमा के आर-पार गहरी और व्यापक है। नेपाल की तरफ से चंद्रकिशोर, सर्लाही नागरिक समाज के सचिव शिवचंद्र चौधरी, नेपाल पत्रकार महासंघ के अध्यक्ष विश्वनाथ ठाकुर ने कहा कि हम दोनों राष्ट्रों की सरकारों से अनुरोध करते हैं कि नेपाल-भारत सीमा पर तैनात सुरक्षा बलों को स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए जाएं कि दोनों तरफ के सुरक्षा बल संयम और धीरज से काम लें।

 सीमावर्ती क्षेत्र में तैनात सुरक्षाकर्मियों को इस क्षेत्र के जन संबंध व जनसंस्कृति संबंधित आवश्यक जानकारी दी जाए और संवेदनशीलता बरतने को कहा जाए। जानकीनगर घटना कि एक साझा वास्तविक जांचकर सच्चाई को शीघ्र सामने लाना आवश्यक है। स्थानीय स्तर पर भारत या नेपाल का स्थानीय प्रशासन कोई ऐसा काम नहीं करे जिससे सीमा के दोनों ओर जन जीवन में बाधा आती है। ऐसे कोई भी फैसले नेपाल व भारत की सरकारों को लेने से बचना चाहिए जिससे खुली सीमा की गरिमा को ठेस पहुंचाए।

सीमावर्ती क्षेत्र की जमीनी हकीकत समझने में हुक्मरान विफल

कोरोनाकाल में संक्रमण फैल सकने को कारण बताते हुए दोनों देशों के सरकार सीमा को सील कर दिया गया। लेकिन, यह एक ऐतिहासिक तथ्य है कि इस बार का सील विगत से अलग और मौलिक है। राष्ट्रीय सुरक्षा की अवधारणा में ’महामारी संक्रमण’ को आधार मानकर संभवत: पहली बार बॉर्डर सील किया गया। सीमा पर दोनों तरफ सुरक्षाकर्मियों का व्यापक बंदोबस्त किया गया है। इससे एक दूसरे तरफ अपने घर लौटने वाले लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ी है। अभी भी इसका उपयुक्त व्यावहारिक हल नहीं ढूंढा गया है।

 सीमावर्ती क्षेत्र की जमीनी हकीकत समझने में काठमांडू और दिल्ली की सरकार असफल रही है। 12 जून की सुबह नेपाल-भारत सीमा के सीतामढ़ी जिला स्थित सोनबरसा प्रखंड के जानकीनगर गांव की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर नेपाली सुरक्षा बल द्वारा गोलीबारी में एक भारतीय नागरिक की मृत्यु हो गई तो दो नागरिक जख्मी हो गए। हम लोग इस दुर्भाग्यपूर्ण गंभीर घटना से चिंतित हैं। ऐसी घटना से बचा जाना चाहिए। हम मृतक भारतीय नागरिक के प्रति श्रद्धांजलि देते हैं और हमारी संवेदना दुखी परिवार के साथ है। हम उनकी पीड़ा को समझते हैं। हमारी प्रार्थना है कि जख्मी नागरिक शीघ्र स्वस्थ हो जाएं।


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