मधुबनी के झंझारपुर व रहिका में सिक्की कला और मिथिला पेंटिंग को बढ़ावा देने की पहल
मधुबनी जिले में कल्पना को आकार दे रही आधी आबादी रंग भरने को तैयार लगाई जा रहीं मशीनें उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान पटना की ओर से महिलाओं को दिया जाएगा प्रशिक्षण सिक्की से झोला बैग सहित अन्य सामान भी किए जाएंगे तैयार।
मधुबनी, {कपिलेश्वर साह}। मिथिला पेंटिंग और सिक्की के सहारे अपनी कल्पना को आकार दे रही आधी आबादी अब उसमें रंग भरने को तैयार है। इसमें सरकार ने भी हाथ बढ़ाया है। अब मशीनों को सहारे काम होगा। इससे सिक्की से बने सामान की जहां गुणवत्ता बढ़ेगी, वहीं अधिक से अधिक महिलाओं को रोजगार मिलेगा। एक महीने के अंदर मशीनों से निर्माण शुरू हो जाएगा।
झंझारपुर प्रखंड के रैयाम और रामपुर के कामन फैसिलिटी सेंटर में करीब 50 लाख की लागत से मशीनें लगाई जा रही हैं। इनमें हैंडलूम, हीट प्रेस, आटोमेटिक सिलाई मशीन, कटिंग टेबल, ब्लो लैंप सहित अन्य मशीनें शामिल हैं। हाथ से सिक्की (एक प्रकार की घास) की एक चटाई बनाने में अभी जहां औसतन 20 घंटे लग जाते हैं, वहीं मशीन के सहारे रोजाना करीब 100 चटाई का निर्माण हो सकेगा। सिक्की से झोला, बैग सहित अन्य सामान भी तैयार किए जाएंगे।
मशीनों से निर्माण कैसे करना है, इसके लिए उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान, पटना की ओर से महिलाओं को प्रशिक्षण भी दिलाया जाएगा। इससे रैयाम और रामपुर सहित आसपास के गांवों की करीब 500 से अधिक महिलाओं को रोजगार मिलेगा। इससे गुणवत्ता के साथ उत्पादन भी बढ़ेगा।
पेंटिंग बनाने में होगी सहूलियत
दूसरी ओर, रहिका प्रखंड के जितवारपुर में मिथिला पेंटिंग के कलाकारों के लिए पेपर कटिंग मशीन, पेपर आयरन, फ्रेमिंग सहित अन्य मशीनें उपलब्ध कराई गई हैं। मधुबनी पेंटिंग के लिए लगाए गए ट्रेसिंग टेबल से एक तरह की अनेक पेंटिंग बनाने में सहूलियत होगी। वहीं रामपुर और रैयाम में लगाई गईं मशीनों में हीट प्रेस से टी-शर्ट सहित अन्य कपड़ों पर डिजाइन बनाई जा सकेगी।
राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त सिक्की का सामान बनाने वाली सुधीरा देवी मानती हैं कि मशीनों से सामान तैयार करने में सुविधा होगी। साथ ही इस कला के प्रति महिलाओं का रुझान भी बढ़ेगा। रैयाम गांव में उनके अलावा 50 से अधिक महिलाएं सिक्की से सामान बनाकर बेच रही हैं।
मांग के अनुरूप तैयार होगा सामान
हस्तशिल्प विभाग के सहायक निदेशक विभूति कुमार झा कहते हैं कि मशीनों के सहयोग से महिलाएं अपने उत्पाद को और बेहतर बना सकेंगी। बाजार की मांग के अनुरूप उन्हें तैयार भी कर सकेंगी। उत्पादित सामान की बिक्री में भी मदद की जाएगी।