Indian Railways News: यात्रीगण कृपया ध्यान दें, अब नहीं चलेगी सियालदह एक्सप्रेस ट्रेन... जानें कारण
बोर्ड के चीफ प्रोग्राम मैनेजर ट्रेन ने सूचना जारी कर पूर्वोंत्तर रेलवे व पूर्व मध्य रेलवे को भेजा पत्र। स्थायी रूप से एक जुलाई से रेलवे बोर्ड ने ट्रेन का परिचालन किया रद।
मुजफ्फरपुर/ भागलपुर, जागरण टीम। Indian Railways News: अब सीतामढ़ी से सियालदह जाने वाली 13124 सियालदह एक्सप्रेस ट्रेन का परिचालन नहीं होगा। रेलवे बोर्ड ने स्थायी रूप से एक जुलाई से इस ट्रेन का परिचालन रद कर दिया है। बोर्ड के चीफ प्रोग्राम मैनेजर ट्रेन केएन चंद्रा ने सूचना जारी कर पूर्वोंत्तर रेलवे व पूर्व मध्य रेलवे को पत्र भेजा है। इसमें कहा है कि अप व डाउन सियालदह एक्सप्रेस को स्थायी रूप से रद कर दिया गया है।
छह माह पहले हुआ था विस्तार
जानकारी के अनुसार मुजफ्फरपुर से सियालदह फास्र्ट पैंजेसर बनकर चलती थी। छह माह पहले पथ विस्तार कर मुजफ्फरपुर के बदले सीतामढ़ी से इसका परिचालन शुरू किया गया। यह सीतामढ़ी से सुबह 5.30 बजे चलती थी और मुजफ्फरपुर जंक्शन पर सुबह 7.45 बजे पहुंचती थी। पांच मिनट ठहराव के बाद यहां से आगे के लिए रवाना होनी थी। सोनपुर व समस्तीपुर मंडल के नारायणपुर अनंत, सिलौत, सिहो, ढोली, दूबहा, कपुरीग्राम व अन्य छोटे स्टेशनों पर इसका ठहराव था। इससे लोकल यात्रियों को काफी फायदा होता था। दोनों मंडलों को टिकट बिक्री से करोड़ों की आय भी होती थी। हालांकि इस ट्रेन का परिचालन रद होने से दोनों मंडल की आय पर भी असर पड़ेगा।
यात्रियों की डिमांड ज्यादा, फिर भी बंद करने का प्रस्ताव
भागलपुर से जेएनएन के अनुसार, इस ट्रेन में यात्री टिकटों की डिमांड काफी ज्यादा है। रेलवे के अनुसार 13119 अप सियालदह-आनंद विहार टर्मिनल के बीच औसतन 157 फीसद टिकटों (ऑक्यूपेंसी) की डिमांड है। 13120 डाउन आनंद विहार टर्मिनल से सियालदह के बीच यह मांग 171 फीसद है। इसी तरह 13133 अप सियालद-वाराणसी के बीच 110 फीसद और 13134 डाउन वाराणसी-सियालदह के बीच 99 फीसद है। यात्रियों की डिमांड और टिकटों की बुकिंग अच्छी होने के बाद ट्रेन को बंद करने का प्रस्ताव दिया गया है।
13 अप और 14 डाउन के नाम से चलती थी ट्रेन
अंग्रेजी शासनकाल में करीब 1935 में यह ट्रेन पहली बार हावड़ा-दिल्ली के बीच चली थी। उस समय ट्रेन का नंबर 13 अप और 14 डाउन था। तब भागलपुर जंक्शन छोटा स्टेशन हुआ करता था। इस कारण ट्रेन का ठहराव चुनिंदा स्टेशनों पर ही था। 1990 के बाद ट्रेन का नंबर बदल दिया गया। स्लीपर, फस्र्ट क्लास कोच और जेनरल कोच के साथ यह चलने लगी। धीरे-धीरे ट्रेन का ठहराव भी बढऩे लगा। अभी यह ट्रेन 80 से अधिक जगहों पर रुक रही है।