सुविधा बढ़ाने के बजाय हो रही कटौती
मुजफ्फरपुर। जब सुविधाओं को मुहैया करा कर फिर उन्हें छीन लिया जाए और एक-एक कर अन्य सुविधाओं में भी कट
मुजफ्फरपुर। जब सुविधाओं को मुहैया करा कर फिर उन्हें छीन लिया जाए और एक-एक कर अन्य सुविधाओं में भी कटौती कर दी जाए, तो इसका परिणाम आम आदमी को ही भुगतना पड़ता है। और जब खामियाजा भुगतने वाली जनता अपने पर आ जाती है, तो व्यवस्था को उसकी औकात बताने में देर नहीं लगती। जी हां, हम बात कर रहे हैं भारत के सबसे बड़े उपक्रम रेलवे की। रेलवे इकाई के नरकटियागंज जंक्शन से जुड़ी सुविधाओं के मामले में फिसड्डी होती जा रही है।
यहां के लोगों को जिला और राज्य की राजधानी से भी जुड़ने में जो मुश्किलें उठानी पड़ रही है, ऐसी दुर्दशा इसके पहले शायद कभी नहीं उठानी पड़ी थी। पाटलिपुत्र के लिए ट्रेन की शुरुआत कर फिर से उसे बंद कर देना लोगों के अंदर आक्रोश कायम कर दिया है। काफी लंबे समय से प्रतिदिन अल सुबह करीब 3 बजे एक सवारी गाड़ी मुजफ्फरपुर सोनपुर के लिए जाती थी। जब गंगा नदी पर रेल मार्ग का निर्माण हुआ, तो उसके बाद उस ट्रेन का विस्तार पाटलिपुत्र तक कर दिया गया। इलाके के लोग कम खर्च और समय से पटना पहुंच कर अपना कार्य करके पुन: शाम में वापस लौट जाते थे। फिर उस ट्रेन को भी बंद कर दिया गया। रेलवे ने उस ट्रेन की जगह डेमो सवारी गाड़ी शुरू की। लेकिन डेमो को भी दो माह से बंद कर दिया है। कार्यालय, व्यवसाय अथवा मरीजों के इलाज जैसे महत्वपूर्ण कार्यों के लिए सुबह किसी को जिला मुख्यालय, कमिश्नरी मुख्यालय से लेकर राज्य की राजधानी तक जाना हो तो लोगों के सामने रेल की यह कुव्यवस्था बड़ी बाधा बन जाती है। परिणामस्वरुप लोगों को महंगे खर्च पर सड़क मार्ग का सहारा लेना पड़ता है। बताते हैं कि रेल क्षेत्र में ट्रेनों के परिचालन की ऐसी दुर्गति कभी नहीं हुई थी। एक तरफ हमसफर जैसे ट्रेनों के सौगात का दावा किया जा रहा है तो दूसरी तरफ इस इलाके के लोग अपनी कम दूरी और आवश्यक यात्रा के लिए मिलने वाली सवारी गाड़ी की सुविधाओं से वंचित हो गए है। फिलहाल जिन गाड़ियों का परिचालन हो रहा है, उनका भी समय से पहुंचना कल की बात हो गई है। कई गाड़ियां तो एक दिन बाद आ रही हैं। लोग विभिन्न स्टेशनों पर इंतजार कर बेहाल हो रहे हैं। लोगों का कहना है कि सरकार बुलेट ट्रेन चलाने का प्रयास कर रही है। मगर रेल क्षेत्र में जापान के उन्नति का नकल करने वाली यहां की व्यवस्था को यह भी सोचना चाहिए कि वहां ट्रेनों का विलंब यदि कुछ सेकेंडों में हुआ तो दोषियों को इसकी कड़ी सजा भी भुगतनी पड़ती है। लेकिन यहां तो 10 घंटे 15 घंटे ट्रेनों का विलंब कोई मायने ही नहीं रखता और यह कह कर टाल दिया जाता है कि गाड़ियां आगे से ही विलंब से आ रही हैं। तीन साल बाद भी आमान परिवर्तन अधूरा कभी रेल के निर्माण कार्यों का लोग उदाहरण देते थे। आज इस क्षेत्र का निर्माण कार्य खुद उदाहरण बन गया है। करीब तीन वर्षों से नरकटियागंज - रक्सौल रेल खंड में आमान परिवर्तन का कार्य चल रहा है। बार बार अधिकारियों द्वारा जल्द निर्माण कार्य पूरा होने के साथ-साथ परिचालन शुरू करने की बयानबाजी होती रही। सामग्रियों से भरी मालगाड़ी दौड़ाकर क्षेत्र के लोगों में जल्द परिचालन शुरू करने का विश्वास भी भर दिया गया। फिर भी आज तक इस रेलखंड में परिचालन शुरू नहीं हुआ। इस वजह सिकटा, मैनाटांड़ प्रखंड क्षेत्र के अलावा मित्र देश नेपाल समेत लाखों लोगों को पिछले तीन वर्षों से कुव्यवस्था का सामना करना पड़ रहा है। उनकी रेल यात्राएं ठप है। इस वजह क्षेत्र के विकास कार्य में बाधा उत्पन्न हो रही है।
समस्तीपुर मण्डल , डीएमओ, अनुराग कुमार ने बताया कि
डेमो ट्रेन बंद होने की जानकारी मुझे नहीं थी। जानकारी मिली है, इसपर जल्द पहल की जाएगी