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बढ़ती ठंड आलू, मटर, टमाटर, धनियां व लहसून की फसल के इस तरह पैदा कर रहे संकट

जिला कृषि पदाधिकारी विकास कुमार ने बताया कि बढ़ती ठंड से फसलों को बचाने के लिए किसानों को जागरूक रहना होगा। किसान रात के समय खेतों में पानी लगाएं जिससे आलू पौधे में गर्मी बनी रहेगी। फफूंदनाशक का छड़काव कर आलू में लगने वाले रोगों से बचाया जा सकता है।

By Ajit KumarEdited By: Published: Thu, 06 Jan 2022 09:31 AM (IST)Updated: Thu, 06 Jan 2022 09:31 AM (IST)
बढ़ती ठंड आलू, मटर, टमाटर, धनियां व लहसून की फसल के इस तरह पैदा कर रहे संकट
जिले में 12 हजार हेक्टेयर में होती है आलू की खेती। फाइल फोटो

समस्तीपुर, जासं। जिले में बढ़ती ठंड से आम जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया है। खासकर ठंड से आलू की फसल की नलिकाओं में पानी जमने की स्थिति बन सकती है। आलू के अलावा मटर, टमाटर, धनियां, लहसून एवं अन्य रबी फसलों में झुलसा रोग होने की संभावना बढ़ गई है। इसके अलावा सरसों की फसल भी प्रभावित हो सकती है। बादलनुमा मौसम तथा वतावरण में नमी होने पर यह बीमारी फसलों में काफी तेजी से फैलती है। यदि तापमान में गिरावट के साथ आसमान में कोहरा भी छाया तो आलू के लिए नुकसानदायक हो सकता है। ठंड के कारण सब्जियों की ग्रोथ भी बंद हो गई है। यह मौसम गेहूं की फसल के लिए बेहतर बना हुआ है। बढ़ती ठंड का असर फसलों पर भी पड़ने लगा है। जिले में लगभग 12 हजार हेक्टेयर जमीन में आलू की खेती होती है। अधिक ठंड होने से आलू की फसल पर संकट बना हुआ है।

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जिला कृषि पदाधिकारी विकास कुमार ने बताया कि बढ़ती ठंड से फसलों को बचाने के लिए किसानों को जागरूक रहना होगा। किसान रात के समय खेतों में पानी लगाएं जिससे आलू पौधे में गर्मी बनी रहेगी। फफूंदनाशक का छड़काव कर आलू में लगने वाले रोगों से बचाया जा सकता है। बताया कि इस समय मसूर, चना, मटर की फसलें कोहरा बढ़ने से ग्रोथ हल्की हो सकती है। इसके साथ ही सब्जियों के ग्रोथ पर भी इसका असर पड़ता है।

आलू का ऐसे करें बचाव

जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि पाला से प्रभावित आलू व सब्जी फसल की पत्तियां गलने लगती हैं। पत्तियों में धब्बे दिखाई पड़ने लगते हैं। इसके साथ ही पौधे सूख जाते हैं। सुरक्षा के लिए किसानों को चाहिए कि नियमित तौर पर देखभाल करते रहें। रोग का लक्षण दिखने पर 2.5 ग्राम डाई-इथेन एम 45 फफूंदनाशक दवा काे प्रति लीटर पानी की दर से घोल बना कर समान रूप से फसल पर दो से तीन बार छिड़काव 10 दिनों के अंतराल पर करनी चाहिए। 


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