स्वावलंबन की राह पर बढ़े कदम तो आई खुशहाली
आधी आबादी बेरोजगार न रहे। शिक्षित होने के साथ अपने पैरों पर खड़ी हो। देश व समाज के विकास में योगदान दे। कुछ इसी सोच के साथ दो साल पहले सरकारी विद्यालय की शिक्षक सुनीता कुमारी ने एक कदम उठाया तो धीरे-धीरे कारवां बन गया।
मुजफ्फरपुर। आधी आबादी बेरोजगार न रहे। शिक्षित होने के साथ अपने पैरों पर खड़ी हो। देश व समाज के विकास में योगदान दे। कुछ इसी सोच के साथ दो साल पहले सरकारी विद्यालय की शिक्षक सुनीता कुमारी ने एक कदम उठाया तो धीरे-धीरे कारवां बन गया। आज उनकी मेहनत से 500 से अधिक महिलाएं शिक्षित होने के साथ निश्शुल्क सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण ले स्वावलंबन की राह पर चल रही हैं।
समस्तीपुर जिले के दल¨सहसराय प्रखंड की रामपुर जलालपुर पंचायत के मध्य विद्यालय में संकुल समन्वयक सुनीता की सोच बचपन से ही कुछ अलग करने की थी। रामपुर जलालपुर में तैनाती हुई तो यहां उनका सामना गरीबी और अशिक्षा से हुआ। दलित बस्ती की ज्यादातर महिलाएं घर पर बैठी रहती थीं। कुछ खेत में काम करती थीं। लड़कियां स्कूल नहीं जाती थीं। कोई साक्षर नहीं था। इस पर उन्होंने लड़कियों और महिलाओं को साक्षर बनाने के साथ रोजगार देने का निर्णय लिया। इसी बीच उनकी मुलाकात आनंदशाला के प्रभात कुमार से हुई। उन्होंने महिलाओं के उत्थान के लिए सिलाई-कढ़ाई प्रशिक्षण केंद्र खोलने का सुझाव दिया। सुनीता ने खुद औररेलवे में इंजीनियर पति अजय कुमार ठाकुर के आर्थिक सहयोग से इसकी शुरुआत करने का निर्णय लिया। जगह की आवश्यकता हुई तो बीएड कॉलेज रामपुर जलालपुर के प्राचार्य ने खाली पड़ा एक कमरा उपलब्ध करा दिया। इस तरह वर्ष 2016 में महिला उत्थान केंद्र की शुरुआत हुई। घर-घर जाकर किया जागरूक सुनीता दलित बस्ती से लेकर आसपास के घरों में गई। महिलाओं को जागरूक कर केंद्र से जोड़ा। सिलाई का प्रशिक्षण देने से पहले उन्हें सुबह-शाम पढ़ाना शुरू किया। अक्षर ज्ञान कराने के साथ जोड़, घटाना, गुणा, भाग सिखाया। धीरे-धीरे महिलाओं की संख्या बढ़ने लगी। जो निपुण हो गई, उन्हें अपने वेतन से सिलाई मशीन खरीद कर दी, ताकि काम कर सकें। सीख चुकीं महिलाएं ही प्रशिक्षक सुनीता कहती हैं, जब रामपुर जलालपुर में बतौर संकुल समन्वयक बनी तो माहौल अच्छा नहीं था। महिलाएं एवं युवती बेरोजगार थीं। सुबह ड्यूटी जाने से पहले व आने के बाद पढ़ाने के साथ प्रशिक्षण देने लगी। कुछ ही महीने में कई अपने पैरों पर खड़ी हुई तो संख्या बढ़ी। अभी बैच बनाकर सुबह आठ से शाम चार बजे तक प्रशिक्षण दिया जाता है। यहां सीख चुकीं महिलाएं ही प्रशिक्षक के रूप में काम कर रही हैं। 500 से अधिक प्रशिक्षण ले स्वावलंबी बन चुकी हैं। कर रहीं परिवार की मदद
आशा कुमारी, निर्मला, रुचि, सतिया, अंजली, सरिता, प्रीति और रामदुलारी देवी सहित अन्य प्रशिक्षण ले परिवार की आर्थिक मदद कर रही हैं। वे दूसरों को भी जागरूक कर रही हैं। पंचायत के मुखिया सुमित भूषण कहते हैं कि सुनीता जो काम कर रही हैं, वह काबिलेतारीफ है। इससे लोगों को सीख लेनी चाहिए।