गन्ने के खेत से निकलकर सड़क पर आ धमका बाघ, मजदूरों का रास्ता रोक 20 मिनट तक मारता रहा दहाड़
पश्चिम चंपारण के मधुबनी प्रखंड की घटना। ट्रैक्टर का रास्ता रोक बीस मिनट तक दहाड़ें मारता रहा बाघ। चिउरही एवं सिसई पंचायत में बाघ के भय से रतजगा कर रहे ग्रामीण।
पश्चिम चंपारण, जेएनएन। मधुबनी प्रखंड के चिउरही एवं सिसई पंचायत से सटे दियारावर्ती क्षेत्रों में धान की रोपनी करने गए मजदूरों का सामना अचानक बाघ से हो गया। बाघ ने मजदूरों का रास्ता रोक लिया और करीब 20 मिनट तक दहाड़ें मारता रहा। आफत में जान लिए ट्रैक्टर सवार मजदूर बाघ के हटने का इंतजार करते रहे। बाद में बाघ स्वत: गन्ने के खेत में चला गया। तब जाकर मजदूरों की जान में जान आई। इसकी सूचना वन विभाग को दी गई है।
धान की रोपनी के लिए जा रहे थे मजदूर
बताया गया कि सिसई पंचायत स्थित नरहवा निवासी कुछ मजदूर ट्रैक्टर पर सवार होकर धान की रोपनी के लिए दियारा गए थे। रोपनी के बाद देर शाम मजदूर ट्रैक्टर पर सवार होकर घर लौट रहे थे। इसी बीच रास्ते में अचानक गन्ने के खेत से एक बाघ बाहर निकल आया और ट्रैक्टर का रास्ता रोक लिया। बाघ की दहाड़ सुनकर मजदूरों की घिग्घी बंध गई। लेकिन, ट्रैक्टर चालक ने ट्रैक्टर का इंजन बंद नहीं किया। इंजन की आवाज सुनकर करीब 20 मिनट बाद बाघ दोबारा गन्ने के खेत की ओर निकल गया।
डेढ़ दर्जन लोग थे सवार
ग्रामीण रामनाथ यादव, शंभू यादव, गूगली चौधरी व सुरेंद्र यादव ने बताया कि ट्रैक्टर पर करीब डेढ़ दर्जन महिला-पुरुष मजदूर सवार थे। चालक की सजगता से सभी की जान बची। मजदूरों ने कहा कि बाघ के द्वारा रास्ता रोकने की यह पहली घटना नहीं है। वीटीआर का एक बाघ लंबे समय से दियारावर्ती इलाके में भ्रमण कर रहा है। रिहायशी इलाके के करीब पहुंचकर बाघ इससे पूर्व कई कुत्तों समेत पालतु जानवरों का शिकार कर चुका है।
सैकड़ों एकड़ भूमि पर नहीं हो सकी धानरोपनी
बाघ के भय से अभीतक सैकड़ों एकड़ भूमि पर धान की रोपनी नहीं हो पाई है। लोग इस बात को लेकर आशंकित हैं कि यदि बाघ ने किसी व्यक्ति पर हमला कर दिया तो फिर खेती-बारी चौपट हो जाएगी। ग्रामीणों ने बाघ के भय से मवेशियों को दियारे में ले जाना छोड़ दिया है। घर पर ही चारे की व्यवस्था कर मवेशियों का पेट भर रहे हैं। दोनों पंचायतों के करीब आधा दर्जन गांवों के लोग समूह बनाकर रात भर पहरा दे रहे हैं।
इस बारे में चिउरही पंचायत के मुखिया वीरेंद्र यादव बोले कई बार वन विभाग को सूचना दी जा चुकी है। बीते कई महीनों से वीटीआर से भटका बाघ दियारे में डेरा जमाए हुए है। ग्रामीण भय से खेेती-बारी के लिए नहीं जा रहे।