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इन लोगों का आज तक नहीं पड़ा पुलिस से पाला, मिल-बैठकर सुलझा लेते विवाद

बिहार के चनपटिया प्रखंड में रहने वाले नट समुदाय के लोग पंचायत में ही आपसी झगड़े सुलझाते हैं। समाज के बुजुर्ग ही होते इनके लिए थानेदार और जज होते हैं। उनका हर फैसला मान्य होता है।

By Ajit KumarEdited By: Published: Mon, 25 Feb 2019 07:43 PM (IST)Updated: Tue, 26 Feb 2019 09:51 AM (IST)
इन लोगों का आज तक नहीं पड़ा पुलिस से पाला, मिल-बैठकर सुलझा लेते विवाद
इन लोगों का आज तक नहीं पड़ा पुलिस से पाला, मिल-बैठकर सुलझा लेते विवाद

पश्चिम चंपारण [मनोज मिश्र]। चनपटिया प्रखंड की महना कुली पंचायत के नट समुदाय के हजारों लोगों ने आज तक कोर्ट और थाने का मुंह नहीं देखा। वे आपसी विवाद चौपाल में ही सुलझा लेते हैं। इसकी शिकायत न तो पुलिस में करते हैं और न ही कोर्ट जाते हैं। विवादों को सुलझाने के दौरान वे अपनी रीति-रिवाज का भी ध्यान रखते हैं। ये ही थानेदार व जज होते। इसी विशेषता के चलते पश्चिम चंपारण में रहने वाले नट समुदाय के लोग अलग स्थान रखते हैं। 
 चनपटिया प्रखंड की महनाकुली पंचायत और बैरिया के बगही बैरिया में नटों की अच्छी-खासी संख्या हैं। यहां तकरीबन 100 परिवार रहते हैं। ये दशकों पहले घुमंतू जीवन व्यतीत करते थे। सरकारी सुविधा मिलने के बाद यहां स्थायी आशियाना बना लिया। मजदूरी और पशुपालन कर जीवन चलाते हैं।

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महनाकुली पंचायत के झखरा सेम्मुआपुर निवासी रुस्तम नट, मुस्लिम नट, नुनिया टोली के किशोरी नट, कन्हाई नट और बगही रतनपुर पंचायत के मोहन व सुरेश बताते हैं कि उनके समाज में किसी भी विवाद का फैसला पंच का दर्जा प्राप्त बुजुर्ग करते हैं। भरे समाज में दोनों पक्षों की बात सुनी जाती है। फिर बुजुर्ग आपस में राय-मशविरा कर पारंपरिक रीति-रिवाज के तहत फैसला सुनाते हैं। यह पत्थर पर लकीर की तरह होता है। आमतौर पर शादी-विवाह और जमीन संबंधी विवाद उत्पन्न होता है।

जटिल मामलों में सत्यता जानने के लिए परीक्षा

पेचीदा मामलों में कोई गवाह नहीं होने पर सत्यता जानने के लिए परीक्षा लेने की भी परंपरा है। हालांकि यह अंधविश्वास से भरा है। पंच का दर्जा प्राप्त बगही के राजेंद्र नट, असीम नट, मोहन नट और महनाकुली के कन्हाई नट व किशोरी नट बताते हैं कि दो पक्षों में कौन झूठ बोल रहा, यह जानना जब मुश्किल होता है तो एक परीक्षा ली जाती है। लोहे की छड़को आग में गर्म किया जाता है।

 जिसकी परीक्षा ली जानी होती है, उसकी दोनों हथेली पर पीपल के ढाई पत्ते सूत से बांध दिया जाता है। शुद्ध घी का लेप किया जाता है। इस पर गर्म छड़ रख उस व्यक्ति को सात कदम चलाया जाता है। इन लोगों का कहना है कि यदि हथेली नहीं जलती तो समझा जाता है कि वह सत्य बोल रहा। इसके अलावा पानी में डुबकी लगवाकर भी परीक्षा ली जाती है। इन पंचों का कहना है कि इस तरह की परीक्षा की नौबत जल्द नहीं आती।

जैसा दोष, वैसी सजा

अमूमन समझाने-बुझाने के अलावा डांट-फटकार कर छोड़ दिया जाता है। कई बार समाज के लोगों से बातचीत की मनाही, कुछ दिन बहिष्कार और अर्थदंड लगाया जाता है।
महनाकुली, चनपटिया के मुखिया अजय सिंह का कहना है कि नट समुदाय में बुजुर्गों की काफी इज्जत है। यह अच्छी बात है। बगही रतनपुर, पंचायत के मुखिया पति नंदलाल राम कहते हैं कि नट समुदाय को आपसी विवाद सुलझाने के लिए बाहरी व्यक्ति की जरूरत नहीं पड़ती।

इस बारे में चनपटिया थानाध्यक्ष मनीष कुमार शर्मा ने कहा कि जब से यहां हूं, नट समुदाय का कोई विवाद सामने नहीं आया। वे अपने अधिकतर मामले आपसी सहमति से ही हल कर लेते हैं।


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