सीतामढ़ी में सहकारी संस्थाओं की मनमानी से गेहूं की खरीद की रफ्तार सुस्त, किसान परेशान, विचौलियों की मौज
गेहूं के लिए निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य 1975 रुपये प्रति क्विंटल की बजाए 1600 से 1800 रुपये प्रति क्विंटल के बीच बारगेन की जा रही है। पैक्सों से जुड़े जबावदेहों को यह कहने से भी गुरेज नहीं कि इस गोरखधंधे में नीचे से उपर तक सभी शामिल हैं।
सीतामढ़ी (रुन्नीसैदपुर), जासं। गेहूं की सरकारी खरीदारी की सुस्त रफ्तार व इसमें सहकारी संस्थाओं की मनमानी के कारण किसानों की परेशानी अपनी जगह हीं कायम है । किसानों की बजाए विचौलियों से खरीद कर कुछ खास लोगों के आईडी व बैंक खातों में भुगतान के गोरखधंधा से उनकी समृद्धि बढ़ाने के लिए इसकी शुरुआत की गई है। गेहूं के लिए निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य 1975 रुपये प्रति क्विंटल की बजाए 1600 से 1800 रुपये प्रति क्विंटल के बीच बारगेन की जा रही है।
खाली बोरा भी किसान हीं देंगे वह भी मुफ्त में। पैक्सों से जुड़े जबावदेहों को यह कहने से भी गुरेज नहीं कि इस गोरखधंधे में नीचे से उपर तक सभी शामिल हैं। इस गोरखधंधे सबकी हिस्सेदारी है। सहकारी संस्था से हीं जुड़े एक शख्स ने बताया कि बगैर लेन-देन के कहीं कोई काम नहीं होता है। फिर,सिस्टम के विपरीत चलने में भी रिस्क है। इनकी मानें तो एसएफसी के गोदाम प्रभारी को एक ट्रक गेंहूं रिसीव करने के लिए कुल ग्यारह हजार रुपये की दरकार होती है। दैनिक जागरण से बातचीत में रुन्नीसैदपुर के बगाहीं-रामनगर पैक्स अध्यक्ष के पुत्र नीरज कुमार की मानें तो एमएसपी पर भुगतान संभव नहीं है। वर्तमान सिस्टम में अधिकतम 1800 रुपये प्रति ङ्क्षक्वटल से अधिक भुगतान नहीं दिया जा सकता है। इसके अलावा प्रति ङ्क्षक्वटल गेहूं की मात्रा 3 किलोग्राम अधिक ली जाती है। किसानों के हीं बोरे में गेंहूं का वजन होता है तथा बोरे के लिए कोई अतिरिक्त भुगतान देय नहीं है। सरकारी आदेश के अनुरूप जन वितरण प्रणाली से जुड़े पैक्सों को गेहूं अधिप्राप्ति से मुक्त रखा गया है। बावजूद इसके, बगाहीं रामनगर पैक्स को गेहूं अधिप्राप्ति के लिए कैसे अधिसूचित किया गया यह जांच का विषय है । इस मामले में प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी तरुण कुमार से लेकर जिला सहकारिता पदाधिकारी की भूमिका भी जांच के दायरे में है । हालांकि, प्रभारी जिला सहकारिता पदाधिकारी मुकेश कुमार के अनुसार कहीं भी अनियमितता नहीं है । जनवितरकों से खाली बोरा 22 रुपये के भुगतान पर लिया जाना है। बोरे के अभाव में खरीदारी लक्ष्य के अनुरूप नहीं हो सकी है।
रुन्नीसैदपुर में अभी तक 25 फीसदी भी खरीदारी नहीं हो सकी है जबकि डीसीओ की मानें तो जिले में 40 फीसदी खरीदारी हो चुकी है । प्रेमनगर पैक्स के अध्यक्ष चंद्रशेखर ङ्क्षसह ने खाली बोरे की कमी का ठिकरा प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी के सिर फोड़ते हुए कहते हैं कि प्रखंड के सभी जनवितरकों के पास प्रयाप्त संख्या में खाली बोरा उपलब्ध हैं। फिर भी, इसके लिए जनवितरकों के नाम एक पत्र जारी करते अधिकारी अपनी जबावदेही से अलग हो चुके हैं। इनकी मानें तो गेंहूं खरीद की रफ्तार अगर इसी प्रकार बनी रही तो खरीद के लिए निर्धारित डेडलाइन 15 जून तक लक्ष्य तक पहुंच पाना संभव नहीं होगा ।