मृत्यु दर कम करने के लिए जच्चे-बच्चे की होगी ट्रैकिंग, होने जा रही इस तरह की व्यवस्था
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने लागू किया इंटीग्रेटेड आरसीएच रजिस्टर। कार्यपालक निदेशक ने सभी क्षेत्रीय अपर निदेशक और सीएस को लिखा पत्र।
मुजफ्फरपुर, [अजय पांडेय ]। स्वस्थ होगा मातृत्व तो खुशहाल होंगे नौनिहाल। साथ ही, कम होगी जच्चा-बच्चा मृत्यु दर। केंद्र सरकार की पहल पर प्रजनन शिशु स्वास्थ्य (आरसीएच) रजिस्टर में बदलाव से सुविधा और उसकी मॉनीटरिंग बढ़ेगी। नए रजिस्टर में योग्य दंपती (18-45 वर्ष), गर्भवती और नवजात का डाटा तैयार किया जाएगा। साथ ही, उन्हें दी जानेवाली सुविधाओं की ट्रैकिंग भी की जाएगी। राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार ने सभी सिविल सर्जन को पत्र लिखा है।
गर्भवती की सेवाओं को समय पर उपलब्ध कराने में आसानी
आरसीएच रजिस्टर में हुए ये बदलाव नए आरसीएच रजिस्टर में समरी शीट का प्रावधान है। इससे पंजी के अंदर योग्य दंपती व गर्भवती को दी जानेवाली सेवाओं को अपडेट किया जा सकेगा। उनके निबंधन के समय लाभार्थी स्टेटस का भी प्रावधान है। इससे वास्तविक स्थिति (एक्टिव/गेस्ट/माइग्रेंट/इनएक्टिव) के साथ सेवाओं को देने में स्वास्थ्य कर्मियों को आसानी होगी। इसके अलावा नए रजिस्टर में इंडेक्स का प्रावधान है, जिससे योग्य दंपती व गर्भवती की सेवाओं को समय पर उपलब्ध कराने में आसानी होगी। इसका सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि नए रजिस्टर के माध्यम से ऐसे पात्रों को स्वास्थ्य विभाग ट्रैक कर सकता है। इन सब के अलावा पीएनसी (प्रसव के बाद देखभाल) एचबीएनसी (गृह आधारित नवजात की देखभाल), मैटरनल डेथ (मातृ मृत्यु), न्यू नेटल डेथ (नवजात मृत्यु) और अन्य की ट्रैकिंग का प्रावधान है। इससे ऐसे मामलों के रिकॉर्ड में आसानी होगी। पुराने रजिस्टर में ऐसी सुविधा नहीं होने से विभिन्न सेवाएं कभी अपडेट नहीं हो पाती थीं। उनकी ट्रैकिंग भी नहीं हो पाती थी।
स्वास्थ्य कर्मियों को दिया जाएगा प्रशिक्षण
जिला मूल्यांकन एवं अनुश्रवण पदाधिकारी जयशंकर प्रसाद ने बताया कि नए इंटीग्रेटेड आरसीएच रजिस्टर को बेहतर तरीके से लागू करने के लिए सभी मास्टर ट्रेनर को ऑनलाइन ट्रेनिंग दी जाएगी। जिलास्तर पर प्रशिक्षण के बाद सभी प्रखंडस्तरीय पदाधिकारियों द्वारा प्रखंडस्तर पर एएनएम और आशा को ट्रेनिंग दी जाएगी।
आरसीएच रजिस्टर में दर्ज होगा पूरा ब्योरा
मृत्यु दर में कमी लाने के लिए जच्चा-बच्चा का स्वस्थ्य रहना जरूरी है। इसी को लेकर यह कार्यक्रम शुरू किया गया है। इस कार्यक्रम के तहत महिलाओं की देखभाल गर्भधारण के साथ ही शुरू हो जाती है और प्रसव के बाद तक नवजात के साथ प्रसूता की देखभाल की जाती है। इसमें टीकाकरण पर खास जोर दिया गया है।
पहले ऐसे रखा जाता था रिकॉर्ड
पहले प्रजनन व शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत गांव-गांव गर्भवती और शिशुओं की सेहत की जानकारी जुटाने के अलावा टीकाकरण और उन्हेंं स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती थीं। एएनएम स्वास्थ्य केंद्रों के अधीन गांवों में टीकाकरण और संस्थागत प्रसव कराने के अलावा गर्भवतियों और नवजातों का सर्वे करती थीं। इसके बाद स्वास्थ्य केंद्र पर आकर रजिस्टर में जानकारी दर्ज कर उसे स्वास्थ्य केंद्र में जमा करती थीं। इतनी प्रक्रिया से गुजरने के बाद कंप्यूटर ऑपरेटर डाटा को आरसीएच पोर्टल पर अपलोड करते थे।