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मुजफ्फरपुर में शराब को लेकर पुलिस तंत्र के कार्यों का प्रभाव अब सभी जगहों पर दिखने लगा

विद्युत कामगार यूनियन के केंद्रीय उपाध्यक्ष राजेश कुमार का कहना है कि शराबबंदी कानून सख्त होनी चाहिए। इसका असर है कि शराबबंदी से कई परिवार की स्थिति बदली है। कानून का डर तो लोगों में है। खुलेआम कोई पी नहीं सकता।

By Ajit KumarEdited By: Published: Wed, 26 Jan 2022 10:42 AM (IST)Updated: Wed, 26 Jan 2022 10:42 AM (IST)
मुजफ्फरपुर में शराब को लेकर पुलिस तंत्र के कार्यों का प्रभाव अब सभी जगहों पर दिखने लगा
थाना स्तर पर नहीं देकर वरीय अधिकारियों की भी प्रत्यक्ष सहभागिता की जरूरत।

मुजफ्फरपुर, जासं। किसी भी अपराध पर नियंत्रण की जवाबदेही पुलिस तंत्र की होती है। शराब नियंत्रण हेतु बनाए गए कानून को भी कारगर तरीके से लागू कर शराब संबंधी प्रत्येक गैरकानूनी गतिविधि पर नियंत्रण करने की जबाबदेही पुलिस तंत्र की ही हैं। उक्त बातें रिटायर्ड डीआइजी उपेंद्र प्रसाद सिंह ने कहीं। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में जाने अनजाने यह कटाक्ष की परंपरा चल रही है कि शराब नियंत्रण में पुलिस तंत्र असफल हो गया है। जबकि यह सही नहीं है। पुलिस तंत्र का शराब संबंधी गतिविधियों के विरुद्ध किए जा रहे कार्योंं का प्रभाव देहाती एवं शहरी क्षेत्रों में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से नजर आता है। क्योंकि यह गतिविधि खुलेआम लगभग बंद हैं। चोरी-छिपे व अन्य तरीके से इस प्रकार की गतिविधियां हैं। 

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पुलिस तंत्र से उम्मीद ज्यादा थी, जो पूरा नहीं हो रहा है, जहां तक इस संबंध में पूर्ण नियंत्रण नहीं होने के कारण की बात है। उस बिंदु पर पुलिस तंत्र का स्वयं की कमी है, जो सारी जवाबदेही थाना स्तर पर दिया जाता है। वरीय पदाधिकारियों का प्रत्यक्ष सहभागिता नहीं होना, थाना के पदाधिकारियों व कर्मियों का गलत मंशा होना से संबंधित है। उन्होंने कहा कि किसी भी जहरीले फल वाले पेड़ से जहरीला फल पैदा होता है। फैले हुए जहरीले फलों को चुन-चुन कर नष्ट करना न तो कारगर है और न हीं आसान। आसान तरीका उस प्रकार के पेड़ों को फैलने से रोकना होता है। क्योंकि वैसे पेड़ों की जानकारी रहती है। इसी प्रकार शराब संबंधी गैरकानूनी गतिविधियों में संलिप्त लोगों की जानकारी पुलिस तंत्र को थाना अभिलेख से एवं अपने सूत्र से रहती है।

कानून को सही से अनुपालन कराने की आवश्यकता

अधिवक्ता सुशील कुमार सिंह ने बताया कि शराबबंदी कानून में इतना कड़ा सजा व जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इसमें कम करने की जरूरत है। क्योंकि हत्या के केस में आजीवन कारावास व मृत्युदंड तक की सजा है। बावजूद घटनाएं हो रही है। इसलिए इस कानून का अनुपालन कराने की आवश्यकता है। न कि कड़ा कानून बनाकर लोगों के मन में डर पैदा करना है। अघोरिया बाजार के प्रेम प्रकाश का कहना है कि शराबबंदी कानून में बदलाव की जरुरत है। इसमें बिल पास कर संशोधन होना चाहिए। दूसरी ओर अन्य प्रदेशों से चोरी-छिपे शराब की खेप केसे आ रहा है। इसे हर हाल में इसके चेन को तोडऩे को सरकार को ठोस कानून बनाना होगा। वहीं, विद्युत कामगार यूनियन के केंद्रीय उपाध्यक्ष राजेश कुमार का कहना है कि शराबबंदी कानून सख्त होनी चाहिए। इसका असर है कि शराबबंदी से कई परिवार की स्थिति बदली है। कानून का डर तो लोगों में है। खुलेआम कोई पी नहीं सकता। पुलिस की तरफ से धंधेबाजों को पकड़ा जा रहा, मगर सजा नहीं हो पा रहा। इसमें सख्ती की आवश्यकता है। 


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