Move to Jagran APP

मुजफ्फरपुर जिले में सिर्फ कहने को रह गया है 'पानी है अनमोल' का नारा

शहरी इलाके में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की हर स्तर पर अनदेखी। सरकारी गैरसरकारी एवं पर्यावरण संरक्षण को समर्पित संस्थाएं उदासीन। भूगर्भ जल का स्तर गिरने के कारण हर साल गर्मी में जल संकट की स्थिति उत्पन्न हो रही है। इसके बावजूद हम नहीं चेत रहे हैं।

By Ajit KumarEdited By: Published: Thu, 01 Apr 2021 09:35 AM (IST)Updated: Thu, 01 Apr 2021 09:35 AM (IST)
मुजफ्फरपुर जिले में सिर्फ कहने को रह गया है 'पानी है अनमोल' का नारा
गंदा पानी को वाटर ट्रीटमेंट प्लांट द्वारा शुद्ध कर सिंचाई कार्य में लगाने की जरूरत है।

मुजफ्फरपुर, जासं। जिले में ' पानी है अनमोल' महज नारा बनकर रह गया है। मानव जीवन के लिए अति महत्वपूर्ण जल को लेकर जिले में हर स्तर पर लापरवाही बरती जा रही है, खासकर शहरी क्षेत्र में। एक ओर भूमिगत जल का तेजी से दोहन हो रहा है तो दूसरी तरफ वर्षा जल का संचय नहीं किया जा रहा है। ऐसे में हम भावी पीढ़ी को क्या देंगे ? सूखी धरती और बिन पानी मौत। शहरीकरण की दौड़ में प्राकृतिक जल स्त्रोतों को नष्ट किया जा रहा है।

loksabha election banner

गर्मी में जल संकट की स्थिति उत्पन्न हो रही

कृषि एवं व्यावसायिक उपयोग के लिए बड़े पैमाने पर भूमिगत जल का दोहन हो रहा है। इसका खामियाजा गर्मी की शुरुआत के साथ ही दिखने लगती है। भूगर्भ जल का स्तर गिरने के कारण हर साल गर्मी में जल संकट की स्थिति उत्पन्न हो रही है। इसके बावजूद हम नहीं चेत रहे हैं। शहरी इलाकों में बने मकानों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम तो दूर सोख्ता तक का निर्माण नहीं कराया जा रहा है। जबकि वर्षा जल का संचय ही हमें भविष्य में जल संकट से बचा सकता है। सरकार इस संकट से निपटने के लिए जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम हर घर में लगाने की बात तो कह रही है, लेकिन यह जमीन पर दिखे इसके लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। दैनिक जागरण के कैच द रेन अभियान के तहत जब लोगों से इस संबंध में राय ली गई तो सभी ने जल संकट को गंभीर समस्या बताया और इससे निपटने के लिए सोख्ता निर्माण की जरूरत पर बल दिया।

भूमिगत जल के दोहन से जलस्तर में लगातार गिरावट

सिकंदरपुर निवासी विक्रांत किशोर ने बताया कि बड़े पैमाने पर भूमिगत जल के दोहन से जलस्तर में लगातार गिरावट हो रही है। इसलिए हमें जल संरक्षण के लिए गंभीर प्रयास करने की जरूरत है। लक्ष्मी चौक निवासी ममता सिंह ने कहा कि वर्षा जल से जमीन की प्यास बुझाई जा सकती है। जब जमीन में पानी होगा तो जल संकट की स्थिति से बचा जा सकता है। इसलिए जरूरी है कि सभी वर्षा जल संचय के उपायों पर ध्यान दें। शासन-प्रशासन को भी इसके लिए आवश्यक कदम उठाना होगा। अधिवक्ता धीरज कुमार ने कहा कि जल प्रबंधन को लेकर जनप्रतिनिधियों को भी जागरूक होना होगा। कृषि एवं व्यावसायिक उपयोग के लिए बड़े पैमाने पर भूमिगत जल का दोहन हो रहा है। हमें वर्षा जल संरक्षण के जरिये इस दोहन सेे होनी वाली कमी को दूर करना होगा। रामबाग निवासी सर्वेंदु कुमार सिंह ने कहा कि बहुमंजिली भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने एवं शहर से निकलने वाले गंदा पानी को वाटर ट्रीटमेंट प्लांट द्वारा शुद्ध कर सिंचाई कार्य में लगाने की जरूरत है।

जल संकट से निपटने को निगम गंभीर

महापौर सुरेश कुमार ने कहा है कि भूजल में आ रही गिरावट पर निगम की नजर है। इससे निपटने के उपायों को लेकर निगम गंभीर है। भूजल के दोहन को रोकने के लिए पानी का कारोबार करने वालों को नियंत्रित किया गया है। सर्विस सेंटरों को सोख्ता बनाने का निर्देश दिया गया है। ऐसा नहीं करने वालों पर कठोर कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। यदि लोग नहीं माने तो उनपर कार्रवाई की जाएगी। पर्यावरण संरक्षण के नाम पर काम करने वाली संस्थाओं को भी आगे आना चाहिए और सोख्ता निर्माण के लिए लोगों को प्रेरित करना चाहिए।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.