मधुबनी जिले में नील गाय के उत्पात से हलकान हो रहे दियारा क्षेत्र के किसान
Madhubani news उत्पात से परेशान किसान खेती छोड़ मजदूरी करने गए दूसरे प्रदेश कोरोना में घर वापसी बनी मजबूरी बनैया सूअर व बंदरों का भी इलाके में आतंक तटबंध के अंदर बसे गांवों के किसानों की बड़ी मुसीबत।
मधुबनी (बाबूबरही), जासं। प्रखंड क्षेत्र के कमला, बलान, सोनी एवं अन्य शाखा नदियों के तटबंध के अंदर बसे गांव के किसानों का जीना दूभर हो गया है। तकरीबन तीन सौ की संख्या में मौजूद नील गाय के उत्पात से ये किसान हलकान हैं। फिलवक्त मसूर, खेसारी, सरसो, तीसी, गेहूं सहित अन्य फसलों को ये चट कर रहे हैं। बक्साही, लालापट्टी, मधवापुर, बिठौनी, बेला आदि गांव के किसानों की मानें तो इस इलाके में तीन सौ से अधिक नील गाय मौजूद है।
नीलगाय झूंड में समूह बनाकर विचरण करते हैं। खेतों में लगी फसल जैसे ही थोड़ी बड़ी होती है कि ये फसल को ऊपर से ही चट कर जाते हैं। आलू के पौधे, बींस, मटर सहित अन्य सब्जियों की फसलों को भी खा जाते हैं। दलहन, तेलहन के संग धान व गेहूं को भी चर जाते हैं। बताया कि केले पौधे से ये केला के घौर को ही संपूर्ण खा जाते हैं। हालांकि, ये नीलगाय जुड़वा केले को नहीं खाते। सतघारा पंचायत के मुखिया लालापट्टी गांव निवासी पम्मू यादव ने कहा कि इस इलाके के किसान केवल नील गाय के आतंक से ही नहीं हलकान है, बल्कि बनैया सूगर व बंदरों के उत्पात से इनका जीना दूभर हो गया है।
बंदर तो लोगों के घर आंगन में बनाकर रखे खाना को भी चट कर जाते हैं। बताया कि किसान खेती से मुंह मोड़ने लगे थे तथा दूसरे प्रदेश मजदूरी करने को रूख भी कर लिए थे, लेकिन कोरोना जैसे वैश्विक महामारी ने इन्हें पुन: अपने घर लौटा दिया है। बिठौनी गांव के प्रमोद मंडल ने कहा कि इस इलाके में बनैया सूगरों की संख्या भी तीन सौ से ज्यादा होगी। हालांकि, एक माह पूर्व कटिहार इलाके से सौ से अधिक शिकारी आकर 50 सूअरों को जाल में फंसाकर ले गए। बताया कि सूअर एक बार में पांच-छह बच्चे देते हैं। जिस कारण देखते ही देखते इनकी तादाद बढ़ जाती है। बंदरों के बारे में बताया गया कि इनकी संख्या 30 से अधिक होगी।