जिंदगी और परिवार से है प्यार तो हेलमेट पहनने से कभी नहीं करें इन्कार, जानिए इसके फायदे और कानूनी पहलू
बाइक चलाने में हेलमेट कार ड्राइविंग के समय बेल्ट का उपयोग नहीं करना खतरनाक। हादसे के दौरान सिर में चोट लगने से जिंदगी बचना मुश्किल।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। बाइक चलाते समय हेलमेट को नजरअंदाज करना जिंदगी के लिए खतरनाक है। चार पहिया वाहन से सफर में सीट बेल्ट को भी नजरअंदाज करना बड़ी परेशानी बन सकती है। हादसे के दौरान सिर पर चोट लगने से जिंदगी का बचना मुश्किल होता है। लाखों रुपये खर्च कर जिंदगी बच भी जाए तो वो बोझ बन जाती है। दुर्घटनाएं कभी भी बता कर नहीं होती। इसलिए इसे रोका नहीं जा सकता, लेकिन सतर्कता व सावधानी से नुकसान को कम किया जा सकता है।
आंकड़े बताते हैं कि दुर्घटनाओं में सिर में चोट लगने के बाद सैकड़ों जिंदगियां खत्म हो गईं। परिवार की खुशियां खत्म हो गई। जिनकी मति मारी जाती हैं वो हेलमेट व बेल्ट का प्रयोग नहीं करते। अपनी जिंदगी से खिलवाड़ करते हैं। विभाग जब अभियान चलाता है तो लोग जुर्माने से बचने के लिए हेलमेट लगाते हैं।
बेलगाम होती है युवाओं की बाइक और चारपहिया
युवाओं की बाइक व कार सड़कों पर हवा से बातें करती हैं। शहर की व्यस्ततम सड़कों पर भी इनकी बाइक की गति कम नहीं होती। शहर के एमडीडीएम कॉलेज रोड, एमएसकेबी कॉलेज, चैपमैन स्कूल रोड, मोतीझील समेत अधिकतर प्रमुख सड़कों पर इनकी रफ्तार बेलगाम होती है। विडंबना यह भी कि बड़े आराम से ये बाइक पर ट्रिपल लोडिंग कर चलते हैं। इन्हें न तो कानून का खौफ है और न जिंदगी का मोह। युवा पीढ़ी ट्रिपल लोडिंग को अपनी शान व हेलमेट पहनने को अपना अपमान समझती हैं। युवक के साथ युवतियां भी स्कूटी पर धड़ल्ले से ट्रिपल लोडिंग चलती हैं। हेलमेट नहीं लगाने के पीछे इनका तर्क होता कि हेयर स्टाइल बिगड़ जाएगी।
कार चालक नहीं लगाते बेल्ट
जान को जोखिम में डालने में चारपहिया वाले भी पीछे नहीं हैं। सफर के दौरान वे बेल्ट को नजरअंदाज करते हैं। कार चलाते समय खुद भी बेल्ट नहीं लगाते और परिवार भी इससे बचता है। हादसे में कार में बैठे सभी की जान पर खतरा मंडराता रहता है।
अभियान के नाम पर खानापूरी करते पुलिस-परिवहन अधिकारी
सड़क सुरक्षा को लेकर सरकार ने परिवहन विभाग एवं पुलिस को नियमित हेलमेट जांच का आदेश दिया था, मगर यह अभियान चंद दिन चलने के बाद ही हांफ गया। नियमित नहीं चलने से यह कामयाब नहीं हो पा रहा। कभी-कभार जब अभियान चलाया जाता है तो अधिकारियों को विरोध का सामना करना पड़ता है। परिवहन विभाग के अधिकारी सरकार द्वारा दिए गए राजस्व वसूली के लक्ष्य को पूरा करने में जुट गए।
जांच के नाम पर चौक-चौराहों पर उगाही करती है पुलिस
परिवहन नियमों का सख्ती से पालन कराने के लिए सरकार ने शहरी क्षेत्र के थानों को परिवहन एक्ट के तहत जुर्माना करने का अधिकार दिया है। यह अधिकार वसूली तक सिमट गया है। चौक-चौराहों पर जांच के नाम पर वसूली होती है। पुलिस की इस कार्यशैली से हेलमेट के लिए जागरूकता नहीं आ रही है।
हेलमेट की बढ़ जाती बिक्री
बाइक सवारों में हेलमेट लगाने को लेकर खौफ एसएसपी दीपिका सूरी के समय में था। उस समय करीब 80 फीसद बाइक सवार हेलमेट लगाकर चलने लगे थे। खुद एसएसपी हेलमेट को लेकर जांच करती थीं। इस दौरान जुर्माना करने के साथ ही कान पकड़कर उठक-बैठक भी कराई जाती थी। अभी जब परिवहन एवं पुलिस जांच अभियान चलाती है तो हेलमेट की बिक्री काफी बढ़ जाती है।
इस बारे में डीटीओ मो. नजीर अहमद ने कहा कि हेलमेट को लेकर लगातार अभियान चलाया जाता है। साथ ही लोगो को जागरूक भी किया जा रहा है। हेलमेट को लेकर लोगों को स्वयं सतर्क रहने की जरूरत है। उन्हें यह समझना होगा कि हेलमेट से उनकी व उनके परिवार की सुरक्षा है।
वाहन चलाते समय ये बरतें सावधानियां
- यातायात नियमों का पालन करें।
- बाइक चलाते समय हेलमेट का प्रयोग करें।
- चारपहिया वाहन चलाते समय बेल्ट का प्रयोग करें।
- नशे में ड्राइविंग नहीं करें।
- ओवरटेक करने से बचे।
- अनियंत्रित रफ्तार से बचे।
- कम उम्र के बच्चों को वाहन चलाने से रोके।
- ट्रिपल लोडिंग बाइक चलाने से बचें।
- वन-वे का पालन करें।