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मुजफ्फरपुर में कल्याण योजनाओं में भारी लापरवाही, इस तरह हुई पहचान

जिला कल्याण पदाधिकारी की कल्याण योजनाओं की डीडीसी को भेजी गई रिपोर्ट के अनुसार महादलित विकास मिशन के तहत वित्तीय वर्ष 2017-18 की योजना में स्वीकृत सामुदायिक भवन में आधे का ही निर्माण कार्य पूरा हो सका है। इसके बाद के वर्षाें की स्थिति और बदतर है।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sat, 15 Jan 2022 10:45 AM (IST)Updated: Sat, 15 Jan 2022 10:45 AM (IST)
आवासीय विद्यालयों में भी नामांकन की स्थिति बेहतर नहीं। फाइल फोटो

मुजफ्फरपुर, जासं। जिले में कल्याण योजनाओं पर लापरवाही भारी पड़ रही है। महादलित विकास मिशन के तहत स्वीकृत सामुदायिक भवन का निर्माण कार्य वर्षों पूर्व राशि उपलब्ध कराने के बाद भी पूरा नहीं हुआ है। वहीं राजकीय अनुसूचित जाति आवासीय विद्यालयों में स्वीकृत संख्या से कम विद्यार्थियों का नामांकन हो सका है। कल्याण छात्रावासों में भी क्षमता से काफी कम छात्रों का नामांकन हुआ है। 

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आधे का ही निर्माण कार्य पूरा हो सका

जिला कल्याण पदाधिकारी की कल्याण योजनाओं की डीडीसी को भेजी गई रिपोर्ट के अनुसार महादलित विकास मिशन के तहत वित्तीय वर्ष 2017-18 की योजना में स्वीकृत सामुदायिक भवन में आधे का ही निर्माण कार्य पूरा हो सका है। इसके बाद के वर्षाें की स्थिति और बदतर है। वित्तीय वर्ष 2018-19 की 16 योजनाएं स्वीकृत हैं। इसकी राशि भी स्थानीय क्षेत्र अभियंत्रण संगठन प्रमंडल-एक को हस्तांतरित कर दी गई है। यहां कार्य प्रारंभ किए जाने की सूचना नहीं है। इसके तीन अगले वित्तीय वर्षाें में क्रमश: 10 और 15-15 योजनाएं स्वीकृत हैं। 10 योजनाओं की राशि दी जा चुकी है। यहां भी कार्य शुरू नहीं हुई है। वहीं 30 योजनाओं के लिए अभी राशि उपलब्ध नहीं हो सकी है। इस तरह वर्ष 2017-18 से अबतक की कुल 66 योजनाओं में पांच ही पूर्ण हो सकी हैं।

आवासीय विद्यालयों की यह है स्थिति

अनुसूचित जातियों के लिए जिले के चार राजकीय आवासीय विद्यालयों में नामांकन की स्थिति बेहतर नहीं है। रजवाड़ा आवासीय विद्यालय में 400 स्वीकृत बल के विरुद्ध 362 नामांकन हुआ है। पोखरैया में में यह संख्या 375 है। मुरौल में 280 संख्या बल के विरुद्ध 206 एक बोचहां में 205 है। इन चारों आवसीय विद्यालयों में सीटें खाली हैं। वहीं छात्रावास की स्थिति और खराब है। ठक्कर बप्पा छात्रावास संख्या एक में सौ के विरुद्ध 62, दो में 50 के विरुद्ध 11 एवं तीन में 200 के विरुद्ध 175 नामांकन हुआ है। चैपमैन छात्रावास एवं एमआइटी छात्रावास की स्थिति बेहतर है। यहां 20 एवं 25 सीटों में क्रमश: 18 एवं 25 नामांकन हैं। सौ बेड की क्षमता वाले जननायक कर्पूरी छात्रावास में महज 36 नामांकन हो सका है।

अत्याचार अधिनियम के पीडि़तों को नहीं मिल सकी है अनुदान की राशि

जिले में एससी/एसटी अत्याचार अधिनियम के 109 पीडि़तों की अनुदान राशि लंबित है। जिले में चालू वित्तीय वर्ष में एससी/एसटी अत्याचार अधिनियम के 262 मामले स्वीकृत हुए थे। इनमें से 153 को ही योजना के तहत अनुदान की राशि उपलब्ध कराई जा सकी है। शेष के लिए आवंटन नहीं होने से अनुदान लटका हुआ है।  


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