Serving cows : मुजफ्फरपुर के होम्योपैथ चिकित्सक शंकर रमण ने पेश की मिसाल, अपना पेशा छोड़ बेसहारा गायों की कर रहे सेवा
Serving cows मुजफ्फरपुर जिले के औराई प्रखंड अंतर्गत सरहंचिया गांव निवासी होम्योपैथी चिकित्सक डॉ. शंकर रमण तन-मन धन से ऐसी लाचार गायों की सेवा करते हैं ।
मुजफ्फरपुर, शीतेश कुमार। Serving cows : यह प्रेरणादायी कहानी है एक ऐसे गो पालक की जिसने चिकित्सा का अपना पेशा त्याग गो-सेवा का धर्म अपनाने का संकल्प लिया। हम बात कर रहे हैं मुजफ्फरपुर जिले के औराई प्रखंड अंतर्गत सरहंचिया गांव निवासी डॉ. शंकर रमण (43) की। होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. रमण बीते तीन सालों से अपना सारा समय देसी नस्ल की गायों के संरक्षण में ही लगा रहे हैं। इस काम में इनकी धर्मपत्नी डॉ. साधना कुमारी का भी सहयोग रहता है।
समाज को राह दिखाने का संकल्प
ये बताते हैं कि होम्योपैथ के चिकित्सक रहते इनका पेशा भली-भांति फल-फूल रहा था। लेकिन, आध्यात्मिक मन समाज को राह दिखाने वाले कुछ अलग काम को करने को प्रेरित करता रहता था। ऐसे में वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आए। वहीं से गो-सेवा की प्रेरणा मिली। गांव में चल रही अपनी क्लीनिक को बंद कर ये समाजसेवा की राह चल पड़े।
छोड़ी गई गायों की सेवा
इन्होंने पाया कि जब गायें दूध देना बंद कर देती हैं तो अधिकांश मामलों में पालक उन्हें छोड़ देते हैं । उन गायों की दशा बहुत दयनीय हो जाती है। ऐसी गायों की सेवा का लक्ष्य इन्होंने बनाया है। मौका मिलने पर ये कीमत देकर ऐसी गायें खरीद लाते हैं और फिर उनकी सेवा करते हैं। इस तरह बूचड़खाने के हवाले होने से भी ये बचाते हैं।
चार गायों से शुरू की अपनी गोशाला
आरंभ में इन्होंने चार गायों को पालना शुरू किया। फिलवक्त इनकी गोशाला में पास सात गायें पल रहीं हैं। गोशाला के लिए गांव में ही ढाई कट्ठा जमीन की खरीदारी इन्होंने की है, जिस पर चहारदीवारी खड़ी कर मुख्य गेट लगा दिया गया है। गोशाला को दो- मंजिला बनाने की योजना है।
गोबर-गोमूत्र से बनाते हैं औषधि व अन्य उपयोगी सामान
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की कार्यशाला में इन्होंने गाय के गोबर और गोमूत्र से कई उपयोगी सामान बनाना सीखा। आज उसका उपयोग कर ये धूपबत्ती ,साबुन ,बर्तन धोने वाला पाउडर, दंतमंजन, वर्मी कंपोस्ट, बायोगैस ,जीवामृत, फर्श क्लीनर, जैव टॉनिक एवं कीट नियंत्रक का निर्माण करते हैं। स्थानीय बाजार में इनके उत्पाद हाथों-हाथ बिक रहे हैं। इससे होने वाली आय को ये गोशाला बढ़ाने में लगा रहे।
तीन लोगों को दिया रोजगार
डॉ. शंकर रमण ने अपनी गोशाला में तीन लोगों को रोजगार भी दे रखा है। ये लोग उत्पाद निर्माण, मार्केटिंग आदि काम संभालते हैं। वहीं सुरेश कुमार व रविंद्र प्रसाद मार्केटिंग का काम संभालते हैं। यहां रोजगार पाए फतेहपुर बेरौना गांव के प्रसाद राय ने कहा कि इससे पहले ये बेरोजगार थे अब गांव के पास ही रोजगार मिल गया है। इसी तरह आनंदपुर गांव के सुरेश कुमार ने कहा कि अपने घर का काम देखनें के बाद इस कार्य से जुड़ा हुआ हूं। वहीं डीहजीवर गांव के रवींद्र प्रसाद ने कहा कि अपने गांव के बगल में ही मनपसंद रोजगार मिल गया है।
किसानों को वर्मी कंपोस्ट के लिए करते प्रेरित
डॉ. शंकर रमण एवं उनकी टीम के सदस्य गांव व आसपास के किसानों को आर्गेनिक खेती करने एवं खेतों में रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं कर वर्मी कंपोस्ट का इस्तेमाल करनें के लिए प्रेरित भी करते हैं।