हौसले से दिव्यांगता को मात, कर रहे निश्शुल्क शिक्षादान
स्वयं दोनों पैर से दिव्यांग हैं रामबरन सहनी। शिक्षा के महत्व को समझने के बाद वंचित और साधनहीन परिवार के बच्चों के बीच कर रहे शिक्षादान।
समस्तीपुर, [अंगद कुमार सिंह]। कुछ करने का जज्बा हो तो कोई भी परेशानी आड़े नहीं आती। भले ही वह दिव्यांगता क्यों न हो। समस्तीपुर जिला अंतर्गत दलसिंहसराय प्रखंड के मालपुर निवासी रामबरन सहनी के मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ। वे दोनों पैर से दिव्यांग हैं।
घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। जिस समाज में पैदा हुए वहां के लोग शिक्षा के महत्व से अनभिज्ञ हैं। इस विषम स्थिति में रामबरन ने जब होश संभाला तो उन्हें यह बात अच्छी तरह मालूम हो गई कि शिक्षा के सहारे ही दिव्यांगता को हराया जा सकता है।
उम्र छोटी थी, लेकिन हौसला विशाल था। यही वजह रही कि कामराव पंचयात के मालपुर निवासी लाखो देवी और मुन्नू सहनी के सबसे छोटे पुत्र रामबरन ने दिव्यांगता के बाद भी शिक्षा ग्रहण करने की इच्छा प्रकट की। इसका परिवार के लोगों ने समर्थन किया और गांव के स्कूल में ही दाखिला करा दिया।
वहां से उनका सफर शुरू हुआ। बीच में कई तरह की परेशानियां आईं, लेकिन बिना विचलित हुए उन्होंने मालपुर उत्क्रमित उच्च विद्यालय से वर्ष 2014 में द्वितीय श्रेणी से मैट्रिकऔर वर्ष 2016 में आरबी कॉलेज से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की। कुछ कारण से उस समय स्नातक की पढ़ाई शुरू नहीं कर सके, लेकिन पिछले साल फिर से स्नातक की पढ़ाई आरंभ की है।
शुरू से लेकर स्नातक स्तर तक की पढ़ाई के दौरान रामबरन को शिक्षा के महत्व का अहसास हो गया। वर्तमान में शिक्षाविहिन लोगों को होने वाली परेशानियों को उन्होंने समझा और फिर निश्शुल्क शिक्षादान का संकल्प लिया। इसको पूरा करने के लिए उन्होंने गांव के गरीब और समाज के अशिक्षित परिवारों को शिक्षित करने के उद्देश्य से घर पर ही छोटे-छोटे बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। कक्षा एक से आठवीं तक के दर्जनों बच्चे वहां पढऩे के लिए आने लगे हैं।
समाज के लिए प्रेरणास्रोत
रामबरन से निश्शुल्क शिक्षा प्राप्त करने वाले साजन कुमार (वर्ग 7), रोहित कुमार (वर्ग 8), सीमा कुमारी (वर्ग 9), प्रियंका कुमारी (वर्ग 7), निशा कुमारी (वर्ग 4) कहती हैं कि रामबरन सर अपनी पढ़ाई करने के साथ-साथ हमलोगों को भी पढ़ाते हैं। गणित के साथ-साथ साइंस के सभी विषय, अंग्रेजी एवं सामान्य ज्ञान की शिक्षा देते हैं। इससे हमें सुविधा होती है। हमलोग भी अपने साथ के बच्चों को पढऩे में मदद करते हैं।
इस बारे में आरबी कॉलेज के प्राचार्य आनंद मोहन झा कहते हैं कि रामबरन मेरे कॉलेज के छात्र हैं। तमाम परेशानियों के बाद भी वह शिक्षा प्राप्त कर रहा है। उससे भी बढ़कर अपने समाज के बच्चों को शिक्षित कर रहा है।