West Champaran : यहां राजघराने के मंदिरों का हाल यह हो चला, भगवान को भोग के लिए प्रतिदिन मिलते बस दस ही रुपये
बेतिया राज के महाराजाओं ने जिले और जिले से बाहर विभिन्न देवी-देवताओं के 56 मंदिर स्थापित किए थे। इन मंदिरों में स्थापित देवी-देवताओं के भोग के लिए प्रतिदिन महज 10 रुपये ही मिलते हैं। पुजारियों का मासिक वेतन भी सिर्फ 900 और सहायक पुजारियों को 600 रुपये ही हैं।
पश्चिम चंपारण (बेतिया), जागरण संवाददाता। बेतिया राजघराने ने एक से बढ़कर एक भव्य मंदिरों का निर्माग्ण कराया था। लेकिन आज हालत यह है कि आर्थिक तंगी से गुजर रही इन मंदिरों की संचालन व्यवस्था डंवाडोल है और यहां के पुजारी फाकाकशी में हैं। इनके समक्ष समस्या यह है कि ये खुद क्या खाएं और भगवान को क्या भोग लगाएं? बेतिया राज की ओर से विभिन्न मंदिरों में स्थापित देवी-देवताओं के भोग के लिए प्रतिदिन महज 10 रुपये ही मिलते हैं।
पुजारी रहते पशोपेश में :
पुजारी 10 रुपये में सुबह-शाम भगवान को भोग कैसे लगाएं, यह समस्या है। भोग के समय रोड़ी, चंदन, अगरबत्ती, फूल, घी, नैवेद्य चढ़ाया जाता है। लेकिन दस रुपये में सुबह-शाम दोनों समय इन सामग्री के साथ भगवान को भोग लगाना संभव नहीं। मंदिर के पुजारियों का मासिक वेतन भी सिर्फ 900 और सहायक पुजारियों को 600 रुपये हैं।
प्रबंधन से गुहार अनसुनी :
शहर के कालीबाग, दुर्गाबाग, सागर पोखरा शिव मंदिर सहित बेतियाराज की ओर से विभिन्न मंदिरों की स्थापना की गई है। इन मंदिरों में विराजमान देवी देवताओं को सुबह शाम दोनों समय भोग लगाना अनिवार्य है। ऐसे में पुजारी समझ नहीं पाते हैं वे क्या करें, भगवान को भूखा कैसे छोड़े। भोग की राशि बढ़ाने के लिए पुजारियों ने कई बार प्रबंधन से गुहार लगाई। लेकिन अब तक इस मामले में ठोस पहल नहीं हो सकी है। बता दें कि बेतिया राज फिलहाल अप्रत्यक्ष रूप से राजस्व पर्षद बिहार सरकार के अधीन है।
बेतिया राज की ओर से स्थापित हैं 56 मंदिर :
बेतिया राज के महाराजाओं ने जिले और जिले से बाहर विभिन्न देवी-देवताओं के 56 मंदिर स्थापित किए थे। आज भी ये मंदिर आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टिकोण से श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र हैं। प्रतिदिन सैकड़ों लोग इन मंदिरों में पूजा करने पहुंचते हैं।
राजगुरु परिवार के प्रमोद व्यास ने बताया कि बेतिया महाराज की ओर से नगर के अलावा चनपटिया के उत्तरवाहिनी, राजघाट, वाल्मीकिनगर के चंडी स्थान, सुगौली, छपरा में मंदिरों की स्थापना की गई है। इतना ही नहीं बेतिया महाराज ने अयोध्या, बनारस, इलाहाबाद में भी मंदिरों की स्थापना की है। लेकिन, इन मंदिरों में भगवान के भोग के लिए प्रतिमाह 300 रुपये मिलते हैं।
भक्तों के चढ़ावे से भगवान को भोग लगाना पड़ता :
मनोकामना शिव मंदिर सागर पोखरा के पुजारी जटाशंकर उपाध्याय का कहना है कि मंदिर में कई देवी देवता विराजमान है। धर्म शास्त्र के अनुसार भगवान को भूखा नहीं छोड़ा जा सकता। आज एक लड्डू की कीमत कम से कम 5 रुपये है। जबकि राज की ओर से भोग के लिए प्रतिदिन 10 रुपये मिलता है। इतनी कम राशि विधिवत पूजा-पाठ करना मुश्किल है। पूजा के समय मन व्यथित हो जाता है। दुर्गाबाग के पुजारी बबलू झा का कहना है कि भोग के समय रोड़ी, चंदन, अगरबत्ती, फूल, नैवेद्य सहित कई सामग्री की जरुरत पड़ती हैं जो इतनी कम राशि में मिलना संभव नहीं है। कई बार भक्तों के चढ़ावे से भगवान को भोग लगाना पड़ता है।
वर्ष 2013 में बढ़ाई गई थी भोग की राशि :
मंदिरों के भगवान के भोग के लिए वर्ष 2013 में राशि बढ़ाई गई थी। प्रमोद व्यास ने बताया कि पहले भोग के लिए इससे भी कम राशि मिलती थी। वर्ष 2013 में बढ़ाकर इसे प्रतिमाह 300 रुपये किया गया था। लेकिन इस महंगाई के दौर में यह अभी भी काफी कम है।
इस संबंध में बेतिया राज के व्यवस्थापक विनोद कुमार सिंह, बताते हैं कि बोर्ड ऑफ रेवेन्यू की ओर से भोग के लिए इतनी ही राशि निर्धारित है। बेतिया राज की ओर से पुजारियों को जमीन व अन्य कई तरह की सुविधाएं भी मिली हैं। वैसे, पुजारियों की समस्याओं को बोर्ड ऑफ रेवेन्यू तक पहुंचार्या जाएगा।