एईएस से जंग की तैयारी में जुटा स्वास्थ्य महकमा, संदिग्ध मरीज को ले विभाग में हड़कंप
पीआइसीयू कक्ष में अत्याधुनिक मशीन व उपकरणों की व्यवस्था की गई है। कक्ष में की गई अनुभवी कर्मियों की तैनाती। मरीजों के पहुंचते ही समुचित इलाज के निर्देश दिए गए हैं।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। गर्मी की धमक के साथ पहुंचे संदिग्ध एईएस के मरीज को लेकर स्वास्थ्य महकमा में हड़कंप व्याप्त होने लगा है। इससे बचाव एवं उपचार पर एसकेएमसीएच के चिकित्सकों ने मंथन शुरू कर दिया है। विभागीय अधिकारियों ने बीमारी से बचाव की तैयारियों का जायजा लिया। शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ. गोपाल शंकर साहनी ने बताया कि पीआइसीयू कक्ष में अत्याधुनिक मशीन व उपकरणों की व्यवस्था की गई है। कक्ष में अनुभवी कर्मियों की तैनाती कर दी गई है। शिशु विभाग के सभी चिकित्सकों को इससे पीडि़त मरीजों के पहुंचते ही समुचित इलाज के निर्देश दिए गए हैं।
जिले में भी सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सकों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। आम लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करने का भी अभियान चलाया जा रहा है। इससे बच्चों को शत-प्रतिशत बचाने का प्रयास किया जाएगा। एईएस (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) का कारण वायरल इंफेक्शन बताया है। इसमें जापानी इंसेफेलाइटिस का संक्रमण मच्छर के काटने से होता है। इससे बचाव को टीका भी उपलब्ध होने की बात कही है।
वहीं एंटारोवायरल इंसेफेलाइटिस का संक्रमण असुरक्षित और दूषित पानी पीने से होता है। इसके लिए अब तक कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं होना बताया गया है। मालूम हो कि एसकेएमसीएच में वर्ष 2012 से वर्ष 2017 तक क्रमश: एईएस से पीडि़त 235, 90, 334, 37, 31 एवं 43 बच्चे पहुंचे थे। इनमें क्रमश : 89, 35, 117,15, 06 एवं 17 की मौत हो गई थी।
यह है लक्षण
वायरल इंसेफेलाइटिस में मरीजों को फ्लू के लक्षण मिलते हैं। इसमें सिर दर्द, बुखार, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द के साथ कमजोरी एवं थकान महसूस होती है। गंभीर होने पर मरीज को बोलने एवं सुनने में परेशानी होती है। वह बेहोश हो जाता है। इसके साथ ही बच्चों में उल्टी, जी मिचलाना, भूख नहीं लगना, शरीर का अकडऩा व चिड़चिड़ापन प्रारंभिक लक्षण हैं। इस तरह के लक्षण होने पर तत्काल चिकित्सक से परामर्श लेना जरूरी है।