पगडंडियों पर आधी आबादी, हर ओर तंगहाली
मुजफ्फरपुर। मैं बोल रहा हूं पारू मुख्यालय से 25 किमी पश्चिम दियारा के नारायणी तट पर अवस्थित बदनसीब ग
मुजफ्फरपुर। मैं बोल रहा हूं पारू मुख्यालय से 25 किमी पश्चिम दियारा के नारायणी तट पर अवस्थित बदनसीब गाव सोहासी। मेरे हाथ-पांव 1018 हेक्टेयर में फैले हैं और मेरी छाव में विभिन्न जातियों के लोग सांस लेते हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, सड़क की दुर्दशा देख जी भरकर रोने का मन करता, मगर संभावनाएं आंसू गिरने नहीं देतीं। मेरे यहां पाच सौ से अधिक लोगों ने 60 वर्ष की उम्र पार कर ली, मगर बीपीएल कार्ड के अभाव में सरकार रोटी के लिए पेंशन नहीं देती। खैर, बदनसीब होने का मतलब भी तो यही होता है।
इकलौता उमवि सोहासी है जहां एक शिक्षक साढे़ पाच सौ बच्चों का भविष्य गढ़ने का प्रयास करते हैं। बच्चों को स्कूल तक जाने के लिए अपना रोड नहीं है। महादलित बस्ती भी सड़क को लालायित है। हालत है कि दूल्हे की गाड़ी दरवाजे तक नहीं पहुंच पाती, तो दुल्हन भी पैदल चलकर कुछ दूर खड़ी गाड़ी पर सवार होने को विवश है। हालत तो यह है कि प्रसव के लिए 25 किमी दूर पारू जाने के दौरान ही कई माताएं रास्ते में ही बच्चे को जन्म दे चुकी हैं।
अधिकतर लोग तंगहाल : हम गरीब बदनसीब रोटी के लिए तरबूजे की फसल उगाते, खरही काट कर बेचते और मछली पकड़ कर दो जून की रोटी का किसी तरीके से जुगाड़ करते हैं। फिर भी पुलिस प्रशासन नक्सली बताकर आठ से अधिक लोगों को जेल भेज चुका है। यह भी सही है कि मेरे कुछ संतान सुखी संपन्न हैं, मगर सौ में अस्सी परिवार के सामने भुखमरी और तंगहाली है।
योजनाओं का बुरा हाल : सरकारी अधिकारियों की लापरवाही के कारण प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत सरकार द्वारा भेजी गई सूची में दर्जनों ऐसे गरीबों का नाम शामिल नहीं किया गया है जिन्हें आवास की खास जरूरत है, लेकिन वैसे कुछ नाम जरूर शामिल किए गए हैं जिन्हें मकान की जरूरत नहीं है। बहुत सारे गरीब राशन कार्ड के लिए दौड़ लगाते थक गए। लापरवाही का हद तो यह है कि जबसे पेंशन की राशि खाते पर आने शुरू हुए तब से 80 पेंशनधारकों के खाते पर आज तक राशि नहीं आई।
बाढ़ दिखाती अपना तांडव : बाढ़ की लीला ऐसी है कि दो साल पहले सोहासी गाव को जोड़ने वाला पुल पानी की तेज धारा के साथ सिमटता चला गया जिसका निर्माण सरकार आजतक नहीं करवा सकी। इसी बीच पिछले साल दूसरा पुल भी ध्वस्त हो गया जिस कारण ग्रामीणों को काफी परेशानी उठानी पड़ती रही है। मुखिया गुड़िया कुमारी ने दो साल पहले निजी खर्चे से चचरी पुल बनवाया था जब भी टूट गया। अब एक डायवर्सन का निर्माण करवाकर अन्य दिनों में आवागमन को बहाल किया है।
बाढ़ की भेंट चढ़ चुकीं सड़कें: गाव की सड़कें बाढ़ में टूट चुकी हैं। सही तरीके से एक छोटा वाहन भी गाव में नहीं पहुंच पाता। बेरोजगारों की कतार भी लंबी है। लगातार बाढ़ की तबाही से बचने के लिए कुछ संपन्न और नौकरीपेशा लोग गाव छोड़कर शहर की ओर कूच कर चुके हैं। मगर, शेष लोगों की जिंदगी बोझिल हो रही है। गर्मी हो या ठंड, दियारा क्षेत्र में इन्हें भविष्य तलाशते देखा जा सकता है। बिजली के जर्जर तार से कई बार हादसे हो चुके हैं, लेकिन विभागीय अधिकारी इसे दुरुस्त करना मुनासिब नहीं समझते। एक नजर में गाव
स्कूल- 01
आगनबाड़ी केंद्र- 01
रामजानकी मठ- 01
सरकारी नौकरी-12
शिक्षित बेरोजगार- 10
मतदाताओ की संख्या- 450
आबादी- 2000 चादकेवारी पंचायतकी मुखिया गुड़िया कुमारी ने बताया कि बीपीएल कार्ड के अभाव में पाच सौ लोग पेंशन से वंचित हैं। 80 पेंशनरों के खाते में आजतक राशि नहीं आई। पंचायत में सरकारी भवन के नाम पर एक जर्जर सामुदायिक भवन है। सोहासी अनुसूचित बस्ती और चादकेवारी मकतब तक जाने को रास्ता नहीं, जबकि यहां मतदान केंद्र स्थापित है। सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली की समस्याओं का निजात नहीं निकल रहा।