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मुजफ्फरपुर में हो रहे पानी के अवैध कारोबार से तेजी से गिर रहा भू-जल स्तर

शहर में हैं पांच सौ से अधिक पानी के कारोबारी बड़े पैमाने पर कर रहे भू-जल का दोहन। नगर निगम की चेतावनी के बाद भी किसी पानी कारोबारी ने नहीं किया प्लांट के पास सोख्ता का निर्माण। मात्र दस प्रतिशत उपयोग में लाया जाता है।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sun, 04 Apr 2021 09:57 AM (IST)Updated: Sun, 04 Apr 2021 09:57 AM (IST)
मुजफ्फरपुर में हो रहे पानी के अवैध कारोबार से तेजी से गिर रहा भू-जल स्तर
जिन में आरओ प्लांट लगे हैं उसके आसपास के सैकड़ों घरों में लगे मोटर एवं चापाकल जवाब दे जाते हैं।

मुजफ्फरपुर, जासं। पानी के अवैध कारोबार से शहरी क्षेत्र में पेयजल संकट गंभीर होते जा रहा है। शहर में पांच सौ से अधिक पानी के कारोबारी हैं। वे बड़े पैमाने पर भू-जल का दोहन कर रहे हैं। इससे भू-जल स्तर में लगातार गिरावट आ रही है। उनके द्वारा जमीन से जितना पानी निकाला जाता है उसका मात्र दस प्रतिशत उपयोग में लाया जाता है शेष पानी नालों में बहा दिया जाता है। जिन क्षेत्रों में आरओ प्लांट लगे हैं उसके आसपास के सैकड़ों घरों में लगे मोटर एवं चापाकल जवाब दे जाते हैं। नगर निगम ने दो साल पहले इस समस्या से निपटने के लिए पानी कारोबारियों पर अंकुश लगाने का निर्णय लिया था। पानी कारोबारियों के लिए निगम से लाइसेंस लेने एवं प्लांट के पास सोख्ता निर्माण अनिवार्य किया गया था। दो साल बाद बीते माह लाइसेंस के लिए शुल्क निर्धारित किया गया, लेकिन निगम के निर्देश के बाद भी किसी पानी कारोबारी ने प्लांट के पास सोख्ता का निर्माण नहीं कराया। सोख्ता के निर्माण से बेकार पानी को फिर से जमीन के अंदर भेजा जा सकता है। साथ ही सोख्ता के माध्यम से वर्षा जल का संचय होगा, लेकिन पानी कारोबारियों को इस बात की जरा भी चिंता नहीं, उन्हें तो बस जमीन से पानी निकाल अधिक से अधिक मुनाफा कमाने से मतलब है। नगर निगम जल संकट को देखते हुए कई बार पानी कारोबारियों को सोख्ता निर्माण की चेतावनी दे चुका है। इसके बावजूद वे इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। 

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सामाजिक कार्यकर्ता पंकज कुमार का कहना है कि पानी कारोबारी शहरी क्षेत्र के संचित जल को निकाल कर राज्य के अन्य हिस्सों में बेच रहे हैं। इसका खामियाजा शहरवासियों को पेयजल संकट के रूप में झेलना पड़ रहा है। निगम प्रशासन यदि उनको भू-जल के दोहन से नहीं रोक सकता तो उनके लिए यह अनिवार्य किया जाना चाहिए कि जितना पानी वह निकाल रहे उतना वर्षा जल संचित कर भू-जल को रीचार्ज करें। ऐसा नहीं करने पर उनको कारोबार करने की अनुमति नहीं दी जाए। महापौर सुरेश कुमार ने कहा कि दो साल से पानी कारोबारियों को सोख्ता निर्माण के लिए कहा जा रहा है, लेेकिन वे इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। अब उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई जी जाएगी। लाइसेंस शुल्क निर्धारित कर दिया गया है। अब उनको लाइसेंस लेने के साथ-साथ अनिवार्य रूप से सोख्ता का निर्माण करना होगा, अन्यथा कारोबार की छूट नहीं होगी।


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