शिक्षकों को हेल्थ एंड वेलनेस एंबेस्डर बनाने के पीछे यह है सरकार की मंशा, छात्रों की यह होगी भूमिका
जिले में सभी सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों में आयोजित होगा स्कूल हेल्थ एंड वेलनेस प्रोग्राम। बच्चों को स्वास्थ्य एवं स्वच्छता के प्रति किया जाएगा जागरूक। इसे आयुष्मान भारत कार्यक्रम के अंतर्गत स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम आरंभ किया गया है।
समस्तीपुर, जेएनएन। बच्चों के समग्र शैक्षणिक विकास में उनके स्वास्थ्य एवं पोषण-स्तर की सकारात्मक भूमिका होती है। इसके तहत अब शिक्षक हेल्थ एंड वेलनेस एंबेस्डर बनेंगे। इसी को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय के संयुक्त प्रयास से आयुष्मान भारत कार्यक्रम के अंतर्गत स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम आरंभ किया गया है। स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत विद्यालयों के माध्यम से स्वास्थ्य विभाग द्वारा अन्य स्वास्थ्य कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का मुख्य लक्ष्य स्कूल जाने वाले बच्चों में स्वास्थ्य एवं स्वच्छता संबंधी जागरूकता पैदा करना तथा विद्यालय स्तर पर संचालित स्वास्थ्य गतिविधियों को प्रोत्साहित करना है।
प्रत्येक विद्यालय से दो शिक्षक होंगे नामित
राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार ने सिविल सर्जन, जिला शिक्षा पदाधिकारी व जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को पत्र लिखकर आवश्यक दिशा-निर्देश दिया है। स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत प्रत्येक विद्यालय से दो शिक्षकों (एक महिला तथा एक पुरूष) को हेल्थ एंड वेलनेस एंबेस्डर के रूप में नामित किया जायेगा जिन्हें स्वास्थ्य व्यवहार को बढ़ावा देने और रोगों के रोकथाम के लिए प्रशिक्षित किया जायेगा। हेल्थ एंड वेलनेस एंबेस्डर हर हफ्ते एक घंटे रोचक गतिविधियों के माध्यम से सत्र आयोजित करेंगे।
छात्र मैसेंजर के रूप में करेंगे काम
प्रत्येक कक्षा से दो नामित छात्र इन स्वास्थ्य संवर्धक संदेशों को समाज तक पहुंचाने के लिए हेल्थ एंड वेलनेस मैसेंजर के रूप में कार्य करेंगे। विद्यालय में प्रत्येक बुधवार को हेल्थ एंड वेलनेस डे का आयोजन किया जायेगा। सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के छह से 18 वर्ष तक बच्चे को शामिल किया जाएगा।
आयरन की गोली देना करेंगे सुनिश्चित
एनिमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के तहत बच्चों को एनिमिया या इससे होने वाली समस्याओं से बचाने के लिए साप्ताहिक आयरन फॉलिक-एसिड अनुपूरण कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है। प्राथमिक विद्यालयों में पांच से नौ वर्ष के बच्चों को सप्ताह में एक बार (बुधवार), मध्याह्न भोजन के उपरांत वर्ग शिक्षकों के द्वारा आयरन की गुलाबी गोली का सेवन कराना सुनिश्चित किया जायेगा।माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों में 10 से 19 वर्ष के किशोर-किशोरियों को सप्ताह में एक बार सुबह प्रार्थना सत्र के बाद शिक्षकों के द्वारा आयारन की नीली गोली का सेवन कराया जायेगा।