मुजफ्फरपुर : ग्रामीण क्षेत्र में दम तोड़ रही सरकारी चिकित्सा, गांवों में झोलाछाप चिकित्सक के सहारे हो रहा इलाज
Muzaffarpur लक्ष्य के मानक के हिसाब से नहीं जिले के सरकारी अस्पताल। सकरा के मछही व गन्नीपुर अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मंगलवार को रहा बंद ग्रामीणों ने कहा नहीं आते चिकित्सक व नर्स यहां पर केवल लटकता मिलता ताला। गांवों में झोलाछाप चिकित्सक के सहारे हो रहा इलाज।
सकरा (मुजफ्फरपुर), जासं। ग्रामीण क्षेत्र में सरकारी चिकित्सा तंत्र दम तोडऩे लगा है। हाल है कि चिकित्सक न दवा, केवल अस्पताल में लटका मिलता ताला। इस कारण निजी अस्पताल के सहारे काम चल रहा है। जानकारों की मानें तो एक हजार की आबादी पर एक स्वास्थ्य उपकेंद्र और साथ ही एक अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना की गई है। इलाज व्यवस्था की हालत यह है कि कुछ स्थानों पर स्टाफ ही नहीं है, कहीं हैं तो गिनती के कर्मचारी जो केवल मरहम पट्टी के अलावा और कुछ नहीं करते। एएनएम तो कभी कभार ही आती हैं। आरोप है कि अधिकतर स्थानीय पहुंच वाले लोगों ने अपने स्वजन की पदस्थापना एएनएम के लिए करा ली है। अपनी मनमर्जी से आना जाना करती है। इलाज उपकरण भी एक तरह से कबाड़ बन गया है। सरकार के मानक यानी लक्ष्य के हिसाब से एक भी सरकारी अस्पताल खरा नहीं उतर रहे। दैनिक जागरण की पड़ताल में यह बात सामने आई कि सरकार जिस हिसाब से स्वास्थ्य पर बजट खर्च कर रही है, कर्मियों के वेतन पर खर्च हो रहा, उसके हिसाब से इलाज सुविधा नहीं मिल रही है।
पड़ताल मेें यह दिखी जमीनी हकीकत
मंगलवार को सकरा के मछही एवं गन्नीपुर बेझा पंचायत स्थित अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र की पड़ताल दैनिक जागरण प्रतिनिधि द्वारा की गई। प्रस्तुत है रिपोर्ट :-
सुबह 11:00 बजे :- दिन मंगलवार :- स्थान मछही स्थित हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र पर पहुंचने के बाद स्वास्थ्य केंद्र का ताला बंद था। केंद्र पर न चिकित्सक और न नर्स मौजूद थी। ग्रामीण मिथिलेश कुमार, मोतीलाल महतो, रमेश कुमार का कहना है कि यहां चिकित्सक कभी कभार ही आते हैं। टीकाकरण के दिन नर्स तो आ जाती है लेकिन और कोई स्टाफ मौजूद नहीं रहते। दवा की किल्लत बताकर लोग यहां आना नहीं चाहते। उनका कहना है कि चिकित्सा व्यवस्था ठीक नहीं होने के कारण हमलोगों को प्राइवेट नर्सिंग होम एवं झोलाछाप चिकित्सकों का सहारा लेना होता है । उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि स्थानीय जनप्रतिनिधियों के अलावा अन्य लोग भी इस ओर ध्यान नहीं देते।
हालांकि स्वास्थ्य केंद्र के लिए चिकित्सक एवं नर्स की तैनाती है। बावजूद इसके प्रतिदिन केंद्र नहीं खुलता। ग्रामीणों का कहना है कि चिकित्सक कभी कभार आकर अपनी हाजिरी बना कर चले जाते हैं। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि मच्छही स्वास्थ्य केंद्र पर डॉ. एके चौधरी पदस्थापित हैं, परंतु दिसंबर माह में वे मात्र 3 दिन ही आए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि जनवरी माह का 6 दिन गुजर गया, लेकिन चिकित्सक एक दिन ही आए। हैरत की बात यह है कि इनको देखने वाला कोई होता ही नहीं है।
समय 11:45 स्थान गन्नीपुर बेझा अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र पर तीन लोग बैठे हुए थे। स्वास्थ्य केंद्र का ताला लटका हुआ था। एक चाय दुकानदार ने बताया कि कल नर्स आई हुई थी। चिकित्सक कभी कभार आते हैं परंतु स्थानीय लोगों को उक्त अस्पताल का लाभ नहीं मिल पाता। लोगों का कहना है कि नियमित रूप से चिकित्सक के नहीं रहने के कारण ग्रामीण सकरा रेफरल अस्पताल में ही इलाज कराते हैं। रमेश कुमार, सुमन कुमार, दिनेश कुमार, शकुंतला देवी ,गीता देवी का कहना है कि चिकित्सक के नहीं आने के कारण हमलोगों को निजी नर्सिग होम का सहारा लेना पड़ता है जहां आर्थिक शोषण के साथ-साथ सही इलाज भी नहीं हो पाता। उनका यह भी कहना था कि अस्पताल का सही देखरेख नहीं होने के कारण चिकित्सक यहां नहीं आते जिससे लोगों को परेशानी होती है। बताया जाता है कि स्वास्थ्य केंद्र बेझा पर डॉ. एके चौधरी एवं नर्स की पोङ्क्षस्टग है। एके चौधरी मछही स्वास्थ्य केंद्र एवं गन्नीपुर बेझा अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात हैं। तीन दिन मछही में एवं 3 दिन बेझा में रहते हैं। ग्रामीणों की मानें तो स्वास्थ्य कर्मियों की तैनाती कागजी खानापूर्ति तक सिमट कर रह गई है। ग्रामीणों को इसका लाभ नहीं मिल पाता है।
कहते हैं स्वास्थ्य प्रबंधक
प्रबंधक संजीव कुमार ने कहा कि अति स्वास्थ्य केंद्र मछही एवं गन्नीपुर बेझा में चिकित्सक एवं नर्स तैनात हैं। मछही के ही चिकित्सक को अतिरिक्त प्रभार गन्नीपुर बेझा का मिला है। प्रतिदिन वहां उपस्थित रहना है। आज अति स्वास्थ्य केंद्र का बंद रहना उनकी जानकारी में नहीं है। इस संदर्भ में उनसे पूछताछ की जाएगी।