अधूरी आस, कागज पर माता जानकी की जन्मस्थली का विकास Sitamarhi News
दो साल पहले रामायण सर्किट में हुआ था शामिल 37 करोड़ में से केंद्र सरकार ने महज 1.60 करोड़ रुपये दिए। दो साल में पूरी करनी थीं तमाम विकास योजनाएं।
सीतामढ़ी [नीरज]। अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण पर देश-दुनिया की नजर, इसके विपरीत माता सीता की जन्मस्थली पर किसी का ध्यान नहीं। विकास के लिए भी कभी मांग नहीं उठी। हालांकि दो साल पहले पर्यटन विकास के लिए पुनौरा धाम मंदिर, पंथपाकड़ और हलेश्वर स्थान को रामायण सर्किट में शामिल किया गया था। इससे आस जगी कि कुछ काम होगा। लेकिन, केंद्र सरकार की ओर से 37 करोड़ में से महज 1.60 करोड़ ही मिले। इससे सिर्फ दो धर्मशालाओं का निर्माण हो रहा है, बाकी योजनाएं ठप।
वर्ष 2018 में सीतामढ़ी को रामायण सर्किट में शामिल किया गया। इसके विकास के लिए कुल 48.53 करोड़ का बजट बना। इसमें 37 करोड़ 85 लाख 74 हजार रुपये केंद्र सरकार और 10 करोड़ 67 लाख 67 हजार राज्य सरकार को देना है। बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम लिमिटेड कार्यकारी एजेंसी है। उसी वर्ष 24 अप्रैल को सीएम नीतीश कुमार ने पुनौरा धाम पहुंच कई योजनाओं का शिलान्यास भी किया। लेकिन, धन के अभाव में काम शुरू नहीं हो सका। कारण केंद्र सरकार ने महज 1.60 करोड़ कीडीपीआर को ही मंजूरी दी। इससे पुनौरा धाम में महज दो धर्मशालाओं का निर्माण हो रहा है।
हलेश्वर स्थान व पंथपाकड़ पर नजर तक नहीं
हलेश्वर स्थान और पंथपाकड़ के विकास के लिए कोई पहल नहीं हो सकी है। पंथपाकड़ में सीएम के निर्देश के पौने दो साल बाद भी सरोवर की सफाई नहीं हुई है, जबकि पंथपाकड़ में लाखों की लागत से बने विश्रामालय पर ग्रामीणों ने कब्जा कर लिया है। हलेश्वर स्थान में अब तक कोई काम शुरू नहीं हो सका।
होने हैं ये कार्य
पुनौरा धाम मंदिर की प्रत्येक मंजिल पर विभिन्न देवी-देवताओं से जुड़ी सुंदर गैलरी, परिसर को आधुनिक वास्तुशास्त्र के अनुसार सजाना, जानकी माता के मुख्य मंदिर की रंगाई-पुताई, कैंपस के लिए गेट व बाउंड्रीवॉल का निर्माण, स्थान का विकास और लैंडस्केङ्क्षपग, अप्रोच सड़क, परिक्रमा पथ, पर्यटक पूछताछ केंद्र, ओपेन एयर थिएटर, ग्रीन रूम और पवित्र तालाब की सीढिय़ों का निर्माण सहित अन्य कार्य शामिल हैं। कैंपस में एलईडी व हाईमास्ट लाइट भी लगाई जानी हैं।
पुनौरा धाम मंदिर के महंत कौशल किशोर दास का कहना है कि घोषणा के पौने दो साल बाद भी विकास नहीं हो सका है। मंदिर के लिए बिहार सरकार ने अलग से जमीन देने की बात कही थी, लेकिन नहीं मिली। पंथपाकड़ मंदिर विकास समिति के अध्यक्ष अरुण शाही का कहना है कि पूर्व में निर्मित धर्मशाला अतिक्रमण का शिकार है।
इस बारे में डीएम अभिलाषा कुमारी शर्मा ने कहा कि 'रामायण सर्किट में शामिल इस स्थली के विकास के लिए जिला प्रशासन संकल्पित है। फंड मिलते ही काम तेज होगा।