सीतामढ़ी में सरकारी दावे फेल, खुल गए दर्जनों अवैध गन्ना तौल केंद्र
इस वर्ष भी रीगा चीनी मिल नहीं खुलने के कारण किसानों के सामने अंधेरा है ।जिसकी सुनने वाला न तो सरकार है और ना मिल प्रबंधन। वही बिचौलिए ओने पौने दाम में गन्ना की खरीद कर रहे हैं। किसानों की मजबूरी है कि किसी तरह खेत खाली करनी है।
सीतामढ़ी, जासं। सरकारी दावे हवा-हवाई साबित हो रही है। रीगा चीनी मिल क्षेत्र में किसानों के गन्ना खरीद के लिए सरकार ईख विभाग ने हसनपुर चीनी मिल सिधवलिया सहित कई मिलों को यहां तौल केंद्र लगाकर किसानों के गन्ना क्रय करने का निर्देश जारी किया था। इसके बावजूद पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी किसी भी चीनी मिल द्वारा एक भी तौल केंद्र नहीं खोला गया है। जबकि रीगा मिल क्षेत्र अंतर्गत मेजरगंज एवं आसपास दर्जनो अवैध गन्ना तौल केंद्र खुल गए हैं। जहां बिचौलिए किसानों कम कीमत पर गन्ना की खरीदारी कर रहे हैं। दिसंबर में किसानों के खेत मे गन्ना की कटाई शुरू हो जाती थी। किसान गन्ना काटकर खेत में दलहन एवं गेहूं की खेती करते हैं। । इस वर्ष भी रीगा चीनी मिल नहीं खुलने के कारण किसानों के सामने अंधेरा है ।जिसकी सुनने वाला न तो सरकार है और ना मिल प्रबंधन। वही बिचौलिए ओने पौने दाम में गन्ना की खरीद कर रहे हैं। किसानों की मजबूरी है कि किसी तरह खेत खाली करनी है और इसका फायदा बिचौलिए उठा रहे हैं।
सीमावर्ती क्षेत्र के डुमरी रसूलपुर गोपालपुर बेलाही खुर्द ससौला बरहरवा परसौनी सहित कई जगह पर बेरोकटोक अवैध गन्ना केंद्र खुल चुका है। जहां गन्ना डेढ़ सौ रुपये से लेकर 180 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीद रहे हैं। पूछने पर कथित ठेकेदारों ने बताया कि यहां से सिधवलिया एवं गोपालगंज चीनी मिल ले जाने में प्रति क्विंटल 110 से 130 ट्रांसपोर्टिंग चार्ज दिया देना पड़ता है। जिस कारण मूल्य कम करना मजबूरी है। वही प्रति क्विंटल 10 किलो अतिरिक्त काटा जाता है जो कि तौल केंद्र के संचालक के रूप में लिया जाता है। स्थानीय किसान राम नरेश राउत बताते हैं की गन्ना की कटाई के लिए 50 रुपए प्रति क्विंटल एवं खेत से तौल केंद्र पर ले जाने में 50 रुपये प्रति क्विंटल भाड़ा लगता है। वहीं तौल केंद्र पर 1 क्विंटल पर 10 फीसद की कटौती की जाती है। मिलाजुला कर किसानों के हाथ में कुछ भी शेष नहीं बचता है। किसान विजय सिंह बताते हैं कि सरकार की उदासीनता के कारण रीगा शुगर कंपनी बंद हो गई। अन्य चीनी मील दूर होने के कारण सभी किसान मिल तक नहीं जा सकते जिस कारण बिचौलिए किसान की मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं।